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एचआइवी के होस्ट सेल का लगा पता, विज्ञानियों ने एक नए शोध में उसके जीवनकाल और स्थान को किया ट्रैक
Apurva Srivastav
5 Feb 2022 5:40 PM GMT
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विज्ञानियों ने एक नए शोध में उन कोशिकाओं के जीवनकाल और स्थिति का पता लगाया है, जो एड्स रोग के कारण एचआवी के लिए होस्ट का काम करती हैं
वाशिंगटन। विज्ञानियों ने एक नए शोध में उन कोशिकाओं के जीवनकाल और स्थिति का पता लगाया है, जो एड्स रोग के कारण एचआवी के लिए होस्ट का काम करती हैं और उनके उन्मूलन में बाधक बनती हैं। यह शोध प्रोसिडिंग्स आफ द नेशनल एकेडमी आफ साइंसेज जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
लास अलामोस नेशनल लैबोरेटरी के शोधार्थी एलन पेरेलसन ने बताया है कि जब लंबे समय से एचआइवी संक्रमित व्यक्ति तेज एंटीरिट्रोवायरल ड्रग थेरेपी दी जाती है तो उनके रक्त में वायरस की मात्रा कम हो जाती है। वायरस की मात्रा में यह कमी दो चरणों में होती है, जिसमें पहला चरण तेज और उसके बाद दूसरा चरण मंद होता है।
उन्होंने पाया कि दो चरणों में वायरस की मात्रा में कमी दरअसल यह दर्शाता है कि दो प्रकार के सेल्स में कमी हुई, जो एचआइवी बढ़ाता है। इनमें से एक ऐसा है, जिससे वायरस ज्यादा बढ़ता है, लेकिन वह एक-दो दिन ही जिंदा रहता है।
इसी के कारण पहले चरण में रक्त में वायरस कम होता है। दूसरा सेल वायरस को धीमी गति से स्रावित करता है और इसके लिए कई सप्ताह तक जीवित रहता है। और फिर उनके नष्ट होने से रक्त में वायरस कम होता है।
विभिन्न क्षय दर वाले इन अनुमानित कोशिकाओं की खोज
जान्स हापकिन्स यूनिवर्सिटी स्कूल आफ मेडिसिन के एमडी राबर्ट सिलिसियानो और लास एलामोस नेशनल लेबोरेटरी में सैद्धांतिक जीवविज्ञान और बायोफिजिक्स समूह से पेरेलसन और रूय रिबेरो के साथ काम करने वाली उनकी टीम ने विभिन्न क्षय दर वाले इन अनुमानित कोशिकाओं की खोज की है।
एचआइवी से पीड़ित 17 लोगों में किया गया इसका अध्ययन
सिलिकियानो के समूह ने एचआइवी से पीड़ित 17 लोगों के रक्त में एचआइवी संक्रमित कोशिकाओं को एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी पर महीने में दो बार थेरेपी शुरू होने के बाद पहले तीन महीनों के लिए और फिर हर महीने एक साल के लिए अलग किया। उन्होंने पाया कि वायरल क्षय के पहले चरण के लिए जिम्मेदार अल्पकालिक संक्रमित कोशिकाओं में से बहुत कम रक्त में घूम रहे थे। लिम्फ नोड्स और प्लीहा ने सुझाव देते हुए कहा कि ये सेल ऊतकों में रहती हैं।
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