विश्व

पाकिस्तान में ईशनिंदा की भेंट चढ़ा हिंदू, स्कूली शिक्षक को हुई उम्रकैद की सजा

Kunti Dhruw
9 Feb 2022 2:42 PM GMT
पाकिस्तान में ईशनिंदा की भेंट चढ़ा हिंदू, स्कूली शिक्षक को हुई उम्रकैद की सजा
x
पाकिस्तान में एक और हिंदू ईशनिंदा कानून (Blasphemy Law in Pakistan) की भेंट चढ़ा है।

इस्लामाबाद: पाकिस्तान में एक और हिंदू ईशनिंदा कानून (Blasphemy Law in Pakistan) की भेंट चढ़ा है। पाकिस्तान के दक्षिणी सिंध प्रांत में एक स्थानीय अदालत ने मंगलवार को ईशनिंदा के मामले (Blasphemy Cases in Pakistan) में एक हिंदू शिक्षक को उम्रकैद की सजा सुनाई। सिंध के घोटकी में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश मुर्तजा ने शिक्षक नौतन लाल पर 50,000 पाकिस्तानी रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। अदालत ने 2019 से जेल में बंद नौतन लाल को ईशनिंदा करने का दोषी (Blasphemy Sentence) ठहराया। पिछले दो साल में नौतन लाल की जमानत अर्जी दो बार खारिज भी हो चुकी है। नौतन लाल को सितंबर 2019 में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल होने के बाद गिरफ्तार किया गया था। इस वीडियो में एक स्कूली छात्र ने हिंदू शिक्षक पर ईशनिंदा का आरोप लगाया था। इसके कुछ ही समय बाद जमात-ए-अहले सुन्नत पार्टी के नेता अब्दुल करीम सईदी ने ईशनिंदा अधिनियम के तहत लाल के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी।

पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून का होता है दुरुपयोग
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित करने के लिए हमेशा ईशनिंदा कानून का उपयोग किया जाता है। तानाशाह जिया-उल-हक के शासनकाल में पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून को लागू किया गया। पाकिस्तान पीनल कोड में सेक्शन 295-बी और 295-सी जोड़कर ईशनिंदा कानून बनाया गया। दरअसल पाकिस्तान को ईशनिंदा कानून ब्रिटिश शासन से विरासत में मिला है। 1860 में ब्रिटिश शासन ने धर्म से जुड़े अपराधों के लिए कानून बनाया था जिसका विस्तारित रूप आज का पाकिस्तान का ईशनिंदा कानून है।
पाकिस्तान में सैकड़ों लोग अब भी कैद
पाकिस्तान की जेलों में मुसलमानों और ईसाइयों समेत सैंकड़ों लोग ईशनिंदा के आरोपों में बंद है। नेशनल कमीशन फॉर जस्टिस एंड पीस की एक रिपोर्ट के अनुसार 1987 से 2018 तक मुसलमानों के खिलाफ 776, अहमदिया समुदाय के खिलाफ 505, ईसाइयों के खिलाफ 226 और हिंदुओं के खिलाफ 30 ईशनिंदा के मामले सामने आए हैं। हालांकि इनमें से किसी को भी मौत की सजा नहीं मिली है, इसके बावजूद कोर्ट से बाहर अब तक 78 लोगों की हत्या की जा चुकी है।इससे पहले एक ऐसे ही मामले में 2010 में भी चार बच्चों की मां आसिया बीबी को भी पड़ोसियों से विवाद होने पर इस्लाम का अपमान करने को लेकर दोषी ठहराया गया था। उसने बेगुनाह होने की बात कही थी लेकिन उसे आठ साल तक कालकोठरी में रखा गया। बाद में 2018 में पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने उसे बरी कर दिया। उसे उसी साल पाकिस्तान से चले जाने की इजाजत दी गयी और वह कथित रूप से कनाडा में रह रही है।
अमेरिकी रिपोर्ट में भी ईशनिंदा कानून की आलोचना
अमेरिकी सरकार के सलाहकार पैनल की रिपोर्ट कहती है कि दुनिया के किसी भी देश की तुलना में पाकिस्तान में सबसे अधिक ईशनिंदा कानून का इस्तेमाल होता है। दूसरे शब्दों में कहें तो पाकिस्तान में इसका सबसे ज्यादा दुरुपयोग होता है। दरअसल ईशनिंदा कानून अंग्रेजों ने 1860 में बनाया था। इसका मकसद धार्मिक झगड़ों को रोकना और एक-दूसरे के धर्म के प्रति सम्मान को कायम रखना था। दूसरे धर्म के धार्मिक स्थल को नुकसान पहुंचाने या धार्मिक मान्यताओं या धार्मिक आयोजनों का अपमान करने पर इस कानून के तहत जुर्माना या एक से दस साल की सजा होती थी। सेंटर फ़ॉर रिसर्च एंड सिक्योरिटी स्टडीज़ की एक रिपोर्ट के मुताबिक 1947 तक भारत में ईशनिंदा के सात मामले सामने आए थे। 1947 में विभाजन के बाद पाकिस्तान ने अंग्रेजों के इस कानून को जारी रखा, इतना ही नहीं 1980 से 1986 के बीच इसे और ज्यादा सख्त कर दिया गया और इसमें मौत के प्रावधान को जोड़ दिया गया।
Next Story