अमेरिका में रहने वाले एशियाई मूल के नागरिकों में हिंदी पांचवीं सबसे बड़ी भाषा है। यह जानकारी एशियन अमेरिकन एडवांसिंग जस्टिस (एएजेसी) संस्था के कार्यकारी निदेशक जॉन यांग ने सीनेट सदस्यों, गृहरक्षा विभाग और सरकारी मामलात समिति को दी है।
यांग के अनुसार अमेरिका के दो-तिहाई एशियाई अमेरिकी अप्रवासी हैं। वहीं चीनी, तगालोग (फिलीपीन की भाषा) वियतनामी, कोरियन और हिंदी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाएं हैं।
उन्होंने बताया कि 52% अप्रवासियों की अंग्रेजी की समझ सीमित है। इसे लिमिटेड इंग्लिश प्रोफिशिएंसी (एलईपी) कहा जाता है। चीनी अप्रवासियों में एलईपी 66% फिलीपीन में 35% वियतनाम में 72% कोरियाई में 64% और भारतीयों में सबसे कम 29% है।
इस लिहाज से भारतीयों को अंग्रेजी में बाकी एशियाई-अमेरिकियों से बेहतर माना जा रहा है। वहीं सबसे पीछे म्यामांर के अप्रवासी रहे जहां एलईपी दर 79% थी।
महामारी में सबसे ज्यादा चुनौतियों का सामना किया
यांग ने बताया कि महामारी के दौरान एशियाई-अमेरिकियों ने सबसे ज्यादा स्वास्थ्य और वित्तीय संकट झेला। उन्हें एशियाई मूल के लोगों के प्रति बढ़ी नफरत का भी सामना करना पड़ा। हाल में आए एक अमेरिकी सर्वे के अनुसार एशियाई अमेरिकी व अश्वेत-अमेरिकियों को सबसे ज्यादा 31% नफरत आधारित अपराधों का सामना करना पड़ा। श्वेत नागरिकों से इस प्रकार के अपराध 8% हुए।