हिना रब्बानी खार के बयान की बात करें तो उन्होंने हिंदुस्तान और पश्चिमी राष्ट्रों के गहराते संबंधों पर कटाक्ष करते हुए बोला है कि हिंदुस्तान पश्चिमी राष्ट्रों का डार्लिंग है। हिना रब्बानी खार ने इस्लामाबाद में पाक गवर्नेंस फोरम 2023 को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की।
पाकिस्तान का आटा गीला हुआ तो उसे एक बार फिर हिंदुस्तान से वार्ता की याद आ गयी है। पाक देख रहा है कि पड़ोसियों पर क्या दुनिया के किसी भी राष्ट्र में जब-जब संकट आया तो हिंदुस्तान ने आगे बढ़कर सहायता की। यही नहीं, मालदीव और श्रीलंका तो पूरी तरह हिंदुस्तान की वजह से ही आर्थिक संकट से उबर पाये। इसके अतिरिक्त हिंदुस्तान बांग्लादेश, नेपाल और भूटान की भी काफी सहायता कर रहा है। जबकि पाक अपने सबसे खराब आर्थिक हालात से गुजर रहा है तो दुनिया में कोई राष्ट्र उसकी सहायता नहीं कर रहा। चीन और खाड़ी के कुछ राष्ट्र सहायता के लिए आगे आये भी हैं तो वह इसके लिए बड़ी मूल्य वसूल रहे हैं। चीन पाक के संसाधनों की रजिस्ट्री अपने नाम करवा रहा है तो खाड़ी के राष्ट्र भी पाक से उसके पोर्ट इत्यादि लीज पर लेकर उसे पैसा दे रहे हैं। अब जब पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ का कार्यकाल समाप्त होने वाला है तो उन्होंने एक बार फिर सभी गंभीर और लंबित मुद्दों के निवारण के लिए हिंदुस्तान के साथ वार्ता करने की पेशकश की और बोला है कि दोनों राष्ट्रों के लिए ‘‘युद्ध कोई विकल्प नहीं है’’ क्योंकि दोनों राष्ट्र गरीबी और बेरोजगारी से लड़ रहे हैं।
शहबाज शरीफ की टिप्पणियां सीमा पार आतंकवाद को इस्लामाबाद के लगातार समर्थन और कश्मीर सहित कई मुद्दों पर हिंदुस्तान और पाक के बीच संबंधों में जारी तनाव के बीच आई है। साथ ही यह टिप्पणी ऐसे समय भी आई है जब 12 अगस्त को संसद का पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा हो रहा है और उनकी गठबंधन गवर्नमेंट चुनाव में जाने की तैयारी कर रही है। लेकिन प्रश्न उठता है कि क्या पाक के पीएम और उनके मंत्रिमंडल के सदस्य हिंदुस्तान के प्रति पाक की नीति को लेकर पूरी तरह साफ हैं? यह प्रश्न हम इसलिए कर रहे हैं क्योंकि एक ओर पीएम हिंदुस्तान के साथ वार्ता की अपील कर रहे हैं तो दूसरी ओर उनकी विदेश राज्य मंत्री हिंदुस्तान पर कटाक्ष कर रही हैं। जहां तक शहबाज शरीफ के बयान की बात है तो आपको बता दें कि उन्होंने पाक और हिंदुस्तान के बीच युद्ध के इतिहास के बारे में बात की। उनकी राय में युद्ध के परिणामस्वरूप गरीबी, बेरोजगारी और लोगों की शिक्षा, स्वास्थ्य और कल्याण के लिए संसाधनों की कमी हुई। उन्होंने यह भी बोला कि जब तक अनसुलझे मुद्दों का निवारण कर ‘‘असामान्यताओं’’ को दूर नहीं किया जाता तब तक संबंध सामान्य नहीं होंगे।
दूसरी ओर, पाक की उप विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार के बयान की बात करें तो उन्होंने हिंदुस्तान और पश्चिमी राष्ट्रों के गहराते संबंधों पर कटाक्ष करते हुए बोला है कि हिंदुस्तान पश्चिमी राष्ट्रों का डार्लिंग है। हिना रब्बानी खार ने इस्लामाबाद में पाक गवर्नेंस फोरम 2023 को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की। अपने संबोधन के दौरान जब वह अपने सभी पड़ोसियों के साथ पाक के संबंधों का वर्णन कर रही थीं, तो उन्होंने हिंदुस्तान को “पश्चिम का डार्लिंग” कहा। इसके अलावा, खार ने हिंदुस्तान पर “क्षेत्र के कुछ राष्ट्रों के साथ ही घनिष्ठता रखने” का इल्जाम भी लगाया। हिना रब्बानी खार ने बोला कि “भारत ने पश्चिम का प्रिय बनने का फैसला लिया है, लेकिन साथ ही, इस क्षेत्र के भीतर बहुत आक्रामक होने का फैसला लिया है। हिना रब्बानी खार ने बोला कि हिंदुस्तान एक ऐसे राष्ट्र के रूप में खड़ा है जो कुछ राष्ट्रों के प्रति बहुत खुला है, लेकिन इस क्षेत्र में सबके करीब नहीं है। देखा जाये तो हिना रब्बानी खार का यह बयान ‘अंगूर खट्टे हैं’ वाली कहावत को चरितार्थ करता है। पाक को पश्चिम तो क्या दुनिया का कोई राष्ट्र रेट नहीं देता है जबकि हिंदुस्तान आज दुनिया में नेतृत्वकर्ता की किरदार में आ गया है। जाहिर है यह बात पाक को पचेगी नहीं इसलिए वह डार्लिंग जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर रहा है।
बहरहाल, हिना रब्बानी खार का बयान यह भी दर्शाता है कि हिंदुस्तान के प्रति नीति को लेकर पाक गवर्नमेंट के भीतर ही मतभेद हैं। इस प्रकार की भी खबरें हैं कि हिंदुस्तान को वार्ता का प्रस्ताव दिये जाने से नाराज होकर ही हिना ने हिंदुस्तान के बारे में ऐसी टिप्पणी की है। इसलिए शहबाज शरीफ को मामले सुलझाने के लिए हिंदुस्तान के समक्ष वार्ता का प्रस्ताव रखने से पहले अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों से वार्ता करनी चाहिए।
जहां तक भारत-पाकिस्तान संबंधों के वर्तमान हालात की बात है तो आपको बता दें कि हिंदुस्तान कहता रहा है कि वह पाक के साथ सामान्य पड़ोसी संबंधों की ख़्वाहिश रखता है, जबकि वह इस बात पर भी बल देता रहा है कि इस तरह के संबंध के लिए आतंक और शत्रुता से मुक्त वातावरण बनाने की जिम्मेदारी पाक की है। हिंदुस्तान ने यह भी बोला है कि जम्मू और कश्मीर हमेशा राष्ट्र का हिस्सा था, है और रहेगा। हम आपको यह भी बता दें कि इस्लामाबाद और नई दिल्ली के बीच द्विपक्षीय संबंध अगस्त 2019 से तनावपूर्ण हैं जब हिंदुस्तान ने जम्मू और कश्मीर का विशेष दर्जा वापस ले लिया था।