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Hijab in Tajikistan: तजाकिस्तान ने एक नया कानून पास किया है. इसके जरिये हिजाब पर लगा दी है पाबंदी
Ritik Patel
24 Jun 2024 8:46 AM GMT
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Hijab Ban in Tajikistan: तजाकिस्तान ने आधिकारिक तौर पर हिजाब पर बैन लगा दिया है. हिजाब पर पाबंदी वाला बिल पिछले महीने ही संसद के निचले सदन से पास हुआ था. 19 जून को ऊपरी सदन (मजलिसी मिली) ने भी इसे मंजूरी दे दी है. तजाकिस्तान ऐसा देश है, जहां 90% से ज्यादा आबादी मुस्लिम है. इसके बावजूद हिजाब पर बैन जैसा कदम क्यों उठाया? समझते हैं..
क्या है नए कानून में?- पहले उस कानून की बात करते हैं, जिसके जरिए हिजाब पर पाबंदी लगाई गई है. इस कानून में कहा गया है कि ‘राष्ट्रीय संस्कृति और परंपरा को ध्यान में रखते हुए विदेशी कपड़ों के आयात, बिक्री, प्रमोशन और उन्हें पहनने पर प्रतिबंध रहेगा…’ विदेशी कपड़ों से मतलब हिजाब से है, जिसका इस्तेमाल मुस्लिम महिलाएं सिर ढंकने के लिए करती हैं.
बच्चों की ईदी पर भी बैन- नए कानून में हिजाब बैन के अलावा ईदी पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है. कानून में कहा गया है कि ईद, नवरोज, बकरीद अथवा इस तरह के किसी भी त्योहार पर बच्चों को ईदी (गिफ्ट के तौर पर पैसे देना) नहीं दी जा सकेगी.
रूल तोड़ने पर क्या सजा?- तजाकिस्तान के नए कानून में हिजाब वाला रूल तोड़ने के लिए कड़ी सजा का भी प्रावधान है. इसमें कहा गया है कि अगर कोई शख्स पहली बार रूल तोड़ता है तो उसपर पर 7920 सोमोनी (तजाकिस्तान की मुद्रा) जुर्माना लगेगा. यह 774 डॉलर के आसपास है. इसी तरह यह जुर्माना बढ़कर 39500 सोमोनी (3700 डॉलर) तक हो सकता है.
क्यों लगाया गया बैन?- हिजाब पर बैन की सबसे बड़ी वजह है कि सरकार इसे विदेशी ड्रेस मानती है. तजाकिस्तान के राष्ट्रपति इमोमाली रहमोन (Emomali Rahmon) लंबे समय से हिजाब और इस्लामी कपड़ों का विरोध करते रहे हैं. इसे विदेशी करार देते रहे हैं. रहमोन का तर्क है कि वह तजाकिस्तान (Tajikistan News) में तजाकी कल्चर को बढ़ावा देना चाहते हैं. ऐसी ड्रेस नहीं चाहते जिसमें किसी धर्म विशेष की झलक दिखे. रहमोन जब साल 2015 के राष्ट्रपति चुनाव में उतरे तो उन्होंने अपने कैंपेन की शुरुआत ही देश में विदेशी कपड़ों के विरोध से की. कहा कि विदेशी कपड़ों में ‘जेनोफोबिया’ की झलक दिखती है. हमारे समाज के लिए हिजाब जैसी चीजें चिंताजनक हैं. 30 साल से लगातार सत्ता में,रहमोन (Emomali Rahmon) पिछले 30 साल से तजाकिस्तान की सत्ता में हैं. वह साल 1994 में पहली बार राष्ट्रपति बने और तब से लगातार गद्दी पर हैं. 1991 तक तजाकिस्तान, सोवियत संघ (यूएसएसआर) का हिस्सा हुआ करता था. तब भी रहमान वहां डिप्टी हुआ करते थे. 1991 में सोवियत संघ टूटा तो तजाकिस्तान (Tajikistan) में सिविल वॉर छिढ़ गया. एक तरफ सोवियत संघ की तरफ हमदर्दी रखने वाले लोग थे, जिसमें खुद रहमोन भी थे. दूसरी तरफ विपक्षी ‘यूनाइटेड ताजिक अपोजिशन’ था. करीबन 3 साल तक विरोध प्रदर्शन और हिंसक झड़पें होती रहीं. रहमोन, गरीबी भुखमरी जैसे मुद्दे आक्रामक तरीके से उठाते रहे और साल 1994 के राष्ट्रपति चुनाव में विजेता बनकर उभरे.तब से अब तक रहमोन की ‘पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी’ को कोई गद्दी से हटा नहीं पाया. साल दर साल रहमोन का दबदबा बढ़ता गया. साथ ही सेकुलर विचारधारा की तरफ झुकाव भी बढ़ा. हालांकि राजनीति के शुरुआती दिनों में उनका झुकाव धर्म आधारित राजनीतिक पार्टियों की तरफ था.
2016 में संविधान संशोधन- सत्ता में आने के बाद रहमोन एक के बाद एक बदलाव करते रहे. साल 2016 में उन्होंने संविधान में बदलाव करते हुए प्रेसीडेंशियल टर्म की लिमिट हटा दी. एक तरीके से अपने रास्ते साफ कर लिये. इसके बाद उन्होंने धर्म आधारित राजनीतिक पार्टियों पर भी बैन लगा दिया.
2007 का आदेश- यह पहला मौका नहीं है, जब तजाकिस्तान में हिजाब या इस्लामिक ड्रेस पर पाबंदी लगाई गई है. साल 2007 में भी रहमोन की सरकार ने एक आदेश पारित किया. जिसमें इस्लामिक कपड़ों और वेस्टर्न ड्रेस, खासकर मिनी स्कर्ट वगैरह पर प्रतिबंध लगाया गया था. इसके बाद पब्लिक प्लेसेज और स्कूल में हिजाब पर पाबंदी लगाई गई.
कपड़ों पर विवादित हैंडबुक- तजाकिस्तान सरकार ने साल 2017 में एक कैंपेन लॉन्च किया. महिलाओं को ऑटोमेटिक कॉल के जरिये तजाकिस्तान की पारंपरिक ड्रेस पहने को प्रोत्साहित किया. अगले ही साल यानी 2018 में 376 पेज की एक हैंडबुक जारी की. जिसमें महिलाओं के लिए कपड़े का पूरा ब्योरा था. इस हैंडबुक का टाइटल था-‘ गाइडबुक ऑफ रिकमेंडेड आउटफिट इन तज़ाकिस्तान’. इसमें महिलाओं के कपड़ों की लंबाई से लेकर, उनके रंग-रूप, आकर जैसी चीजों की डिटेल थी.मजे की बात है कि इस हैंडबुक में अंतिम संस्कार के दौरान ब्लैक ड्रेस पहनने पर रोक लगाई गई है. सुझाव दिया गया है कि फ्यूनरल में ब्लू रंग के कपड़े और सफेद स्कार्फ ही पहने जाएं.
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