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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक
नई दिल्ली,: चिली की राजधानी सैंटियागो के पास रहस्यमयी गड्ढे बनने से पूरे विश्व की नजर उस पर टिक गई थी. यहां तक कि इस गड्ढे को नर्क का दरवाजा तक भी कहा जा रहा था लेकिन जब जांच शुरू की तो मामला कुछ और ही निकला. शुरुआती जांच के आधार पर ऐसा कहा जा रहा है कि यह गड्ढा किसी और वजह से नहीं बल्कि उस इलाके में अधिक माइनिंग की वजह से हुआ है. हालांकि, यह सिर्फ अधिक माइनिंग की वजह से ही हुआ है, ऐसा पूरी तरह से दावा नहीं किया गया है. अभी गड्ढे को लेकर आगे की जांच की जा रही है.
चिली के टिएरा अमरीला टाउन के पास हुए इस विशालकाय गड्ढे ने सबको चौंका दिया था. पहले गड्ढे की गहराई कम थी लेकिन धीरे-धीरे यह गहराता चला गया और इसकी गहराई 200 मीटर तक हो गई. यानी गड्ढा इतना गहरा है कि इसके अंदर 198 मीटर का स्टैचू ऑफ यूनिटी भी समा जाए.
चिली देश दुनिया का सबसे बड़ा कॉपर प्रोड्यूसर है और खास बात है कि जिस टाउन के पास यह गड्ढा है, वो चिली का माइनिंग हब कहा जाता है और कई विदेशी कंपनियों का वहां माइनिंग का कार्य भी चल रहा है.
चिली में ऐसा रहस्यमयी गड्ढा मिलने के बाद से ही उसके पीछे का कारण तलाशना शुरू कर दिया गया था. इस गड्ढे का रहस्य जानने के लिए नेशनल जियोलोजी और माइनिंग सर्विस ने टीम भेजकर जांच शुरू की थी. इस दौरान टीम को पता चला कि इस इलाके में एक कैनेडियन कंपनी जरूरत से ज्यादा माइनिंग कर रही थी जिसकी वजह से पानी का बहाव काफी ज्यादा बढ़ गया, जिसे ठीक से कंट्रोल भी नहीं किया गया.
समाचार एजेंसी रायटर्स के अनुसार, चिली के माइनिंग मिनिस्टर मार्केल हर्नांडो ने चेतावनी देते हुए कहा है कि इस गड्ढे के बनने का जो भी जिम्मेदार होगा, उस पर कड़े प्रतिबंध लगाए जाएंगे. दूसरी ओर, कनाडाई कंपनी ने इस मामले को लेकर बयान जारी किया था. कंपनी की ओर से कहा गया था कि इस गड्ढे का किसी कर्मचारी, उपकरण या बुनियादी ढांचे पर असर नहीं है. साथ ही कंपनी ने कहा था कि जब से गड्ढे का पता चला तब से अभी तक यह स्थिर रहा है.
चिली के जिस इलाके में यह गड्ढा हुआ है, उसे अल्कापरोसा खदान के नाम से जाना जाता है. यहां माइनिंग का कार्य एक कैनेडियन कंपनी लंडिन माइंनिंग कर रही है. कंपनी के पास इस इलाके की 80 फीसदी जमीन पर अधिकार है, जबकि बाकी 20 फीसदी एक जापान की माइनिंग कंपनी के हाथों में है.
इस रहस्यमी गड्ढे ने चिली सरकार की भी चिंता बढ़ा दी है. इसी वजह से अल्कापरोसा खदान में कार्य को फिलहाल के तौर पर रोक दिया गया है. सरकार को डर है कि गड्ढे की वजह से भविष्य में किसी तरह की कोई परेशानी न हो जाए. हालांकि, जहां यह गड्ढा बना है, वह ज्यादा आबादी वाला क्षेत्र तो नहीं है लेकिन गड्ढे के सबसे पास वाले घर की दूरी महज 600 मीटर ही है.
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