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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक
नई दिल्ली: पाकिस्तान में इन दिनों कुदरत कहर बरपा रही है. बाढ़ से हाहाकार मचा हुआ है. चारों तरफ पानी विनाशलीलाएं लिख रहा है. आसमानी आफत में 1,350 लोग मारे जा चुके हैं. करीब एक तिहाई पाकिस्तान जलमग्न हो गया है. लाखों लोग बेघर हो गए हैं. इसी बीच उन बच्चों की जान भी संकट में आ गई है, जिन्होंने इस संकटकाल में जन्म लिया है. बारिश, बाढ़ से बेघर होने की पीड़ा के बीच कुछ मां जहां अपने नवजात बच्चों को लेकर परेशान हैं, तो वहीं उन परिवारों के लोग भी चिंता में हैं, जिन घरों की महिलाएं गर्भवती हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का भी कहना है कि पाकिस्तान के सिंध प्रांत में हेल्थ सिस्टम धराशायी हो चुका है. बाढ़ के बीच नवजात बच्चों का स्वास्थ्य खतरे में हैं, तो वहीं गर्भवती महिलाओं के हेल्थ को लेकर भी टेंशन बढ़ती जा रही है.
सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, सिंध के खैरपुर नाथन शाह की रहने वाली एक महिला ने बताया कि 14 अगस्त को भयंकर बारिश हो रही थी, उसी दिन बेटी का जन्म हुआ. एक तरफ खुशी का माहौल था, तो दूसरी तरफ जान बचाने का चिंता थी. बाढ़ से घर तबाह हो चुका था. अब कहां रहेंगे ये ख्याल खाए जा रहा था. बड़ी मुश्किल से चादर और कुछ फर्नीचर समेटा. और एक अस्थायी कैंप बनाकर जान बचाई. ये पीड़ा सिर्फ एक महिला की नहीं, बल्कि पाकिस्तान में हजारों मांएं अपने नवजात शिशुओं को लेकर परेशान हैं.
26 दिन की बच्ची की मां ये बात अच्छी तरह से जानती है कि बाढ़ के पानी के बीच जमीन का एक टुकड़ा उनकी बेटी के लिए कोई मुफीद जगह नहीं है. वह कहती हैं कि राहत शिविर में कुछ भी नहीं हैं. परिवार में 8 लोग हैं. हम पूरी तरह से असहाय हैं. बाढ़ से जान बच गई तो क्या हुआ, यहां भी हर पल खतरा ही है. सांपों का डर है. तबीयत खराब है, गले में इन्फेक्शन है, लेकिन मजबूरी ये है कि दवा भी नहीं खरीद सकते.
रिपोर्ट के मुताबिक, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि पाकिस्तान की विनाशकारी बाढ़ से महिलाएं और बच्चे अप्रत्याशित रूप से प्रभावित हुए हैं. पाकिस्तान में WHO के प्रतिनिधि डॉ. पलिता गुणरत्ना महिपाल ने बताया कि बाढ़ से देश की स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं. करीब 10% स्वास्थ्य संस्थान तहस-नहस हो गए हैं. लेकिन सबसे बड़ी चिंता उन 12 लाख गर्भवती महिलाओं की है, जो इन दिनों बाढ़ की वजह से बनाए गए अस्थायी कैंपों में रह रही हैं.
पाकिस्तान में इन दिनों लाखों लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं. सहायता कर्मियों की ओर से मुहैया कराए गए राशन के सहारे जीवन जीने को मजबूर हैं, करें भी तो क्या कोई विकल्प भी तो नहीं है. सिर्फ एक इंतजार है कि किसी तरह बाढ़ का पानी कम हो जाए तो फिर से आशियाने की जुगत की जाए. इसी बीच मलेरिया का खतरा बढ़ने लगा है. क्योंकि आसपास गंदगी की वजह से मच्छरों ने जीना मुहाल कर दिया है. इस वजह से बुखार और फ्लू के मरीज बढ़ते जा रहे हैं. लोगों को अब चिंता सताने लगी है कि कहीं महामारी न फैल जाए. वहीं WHO ने कहा है कि करीब 6.3 लाख लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं. ये संख्या बढ़ सकती है. इन दिनों टाइफाइड, स्किन डिसीज और सांस संबंधी बीमारी के मरीजों का ग्राफ भी बढ़ता जा रहा है. हमें डर है कि हालात बेकाबू न हो जाएं. क्योंकि सिंध प्रांत में हालात भयावह बने हुए हैं. अगर स्थिति बिगड़ी तो कुछ भी कहना मुश्किल है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राहत शिविरों में रहने वाली महिलाओं का कहना है कि हमारे पास मच्छरदानी भी नहीं है. सहायता कर्मियों से इस बारे में कई बार कह चुके हैं, लेकिन अभी तक मच्छरदानी नहीं मिली है. ऐसे में नवजात बच्चों की चिंता बढ़ रही है. कहीं कोई बीमारी इन्हें अपनी चपेट में न ले ले. क्योंकि बच्चों के आसपास मच्छर-मक्खियां मंडराते रहते हैं.
राहत शिविर में रहने वाली दूसरी महिला ने बताया कि हमने पाकिस्तान में इतनी भयावह बाढ़ कभी नहीं देखी. जिंदगी खतरे में आ गई है. बच्चों की चिंता लगी रहती है. सूर्यास्त के बाद अपने बच्चों की निगरानी करते हैं. घर तबाह हो चुका है, लेकिन अब यही सोचते हैं कि किसी तरह हमारी और बच्चों की जान बच जाए. क्योंकि बच्चे बहुत छोटे हैं. इन हालातों से भी नासमझ हैं. यह बहुत बुरा दौर है. इसके लिए रोना बेकार है, बस किसी तरह से यह दौर गुजर जाए.
पाकिस्तान की स्थानीय मीडिया के मुताबिक अगले महीने तक करीब 70,000 से अधिक महिलाओं को पर्याप्त चिकित्सा सहायता के बिना बच्चों को जन्म देना होगा. क्योंकि चिकित्सा सुविधाएं बाढ़ के चलते काफी प्रभावित हो गई हैं. वहीं, प्राकृतिक आपदा के बीच स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर चिंता गहराती जा रही है. क्योंकि इस तरह की आपदा के बाद सबसे ज्यादा डर जलजनित बीमारियों का होता है. सिंध प्रांत से लगातार हैजा, डेंगू की रिपोर्ट मिल रही है. आने वाले दिनों में हालात काफी खतरनाक हो सकते हैं. क्योंकि जब तक बाढ़ का पानी है, यहां बीमारियों का घर है. साथ ही सिंध प्रांत में अब बड़ी चुनौती खाने की कमी और फसलों का नष्ट हो जाना है. क्योंकि जब फसल तैयार हुई तब बारिश ने सब चौपट कर दिया. ऐसे में किसान कर्ज के बोझ से भी दब गए हैं.
समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक, बारिश से 4,500 साल पुराने एक पुरातत्व स्थल को भी नुकसान पहुंचा है. सिंधु नदी के पास दक्षिणी सिंध प्रांत में स्थित और यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल मोहनजोदड़ो के खंडहर भी बारिश के चलते प्रभावित हुए हैं. साइट के क्यूरेटर अहसान अब्बासी ने कहा कि बाढ़ ने मोहनजोदाड़ो को बहुत ज्यादा तो नहीं लेकिन प्राचीन शहर के खंडहरों को नुकसान जरूर पहुंचाया है. कई बड़ी दीवारें, जो लगभग 5,000 साल पुरानी हैं, वह इस बार बारिश के कारण ढह गई हैं. हालांकि बाढ़ ने पूरे पाकिस्तान को अपनी चपेट में ले लिया है, लेकिन सिंध प्रांत सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है.
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