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हज यात्रा पर गर्मी का कहर, मक्का मदीना में थमी कईयों की सांसें
jantaserishta.com
19 Jun 2024 3:27 AM GMT
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कुल संख्या 577 हो गई है।
रियाद: हज के लिए मक्का पहुंचे 550 से अधिक तीर्थयात्रियों की मौत की खबर सामने आ रही है। मरने वालों में कम से कम 323 मिस्र के थे। इनमें से अधिकांश की मौत गर्मी से होने वाली बीमारियों के कारण हुई है। अरब के दो राजनयिकों ने न्यूज एजेंसी एएफपी को इसकी जानकारी दी है। इनमें से एक ने कहा कि मिस्र के जितने भी तीर्थयात्रियों की मौत हुई है, उनमें से अधिकांश ने भीषण गर्मी के कारण दम तोड़ा। हालांकि, एक की मौत भगदड़ के दौरान घायल होने के कारण हुई है। राजनयिकों ने कहा कि मरने वालों में कम से कम 60 जॉर्डन के नागरिक भी शामिल हैं। इसके साथ ही मरने वालों की कुल संख्या 577 हो गई है।
आपको बता दें कि इस्लामिक मान्यताओं के मुताबिक, हज इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है। सभी मुसलमानों की यह जरूर इच्छा होती है कि कम से कम एक बार वह जरूर हज के लिए मक्का की यात्रा करे।
पिछले महीने प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण हज यात्रा भी प्रभावित हो रही है। मुसलमानों के इस पवित्र शहर का तापमान हर 10 साल में में 0.4 डिग्री सेल्सियस (0.72 डिग्री फारेनहाइट) बढ़ रहा है।
सऊदी राष्ट्रीय मौसम विज्ञान केंद्र ने कहा कि सोमवार को मक्का की ग्रैंड मस्जिद में तापमान 51.8 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। सऊदी अधिकारियों ने गर्मी के से परेशान 2000 से अधिक तीर्थयात्रियों के उपचार की बात कही है। आपको बता दें कि पिछले साल विभिन्न देशों के कम से कम 240 तीर्थयात्रियों के मरने की खबर सामने आई थी। सबसे अधिक इंडोनेशियाई नागरिकों की जान गई थी।
इन दिनों अक्सर मक्का के बाहर मीना में तीर्थयात्रियों को अपने सिर पर पानी की बोतलें उड़ेलते हुए देखा जाता है। तीर्थयात्रियों की सेवा में जुटे स्वयंसेवक उन्हें ठंडा रखने के लिए कोल्ड ड्रिंक और तेजी से पिघलने वाली चॉकलेट आइसक्रीम देते हैं। सऊदी अधिकारियों ने तीर्थयात्रियों को छाते का उपयोग करने, खूब पानी पीने और दिन के सबसे गर्म घंटों के दौरान धूप में निकलने से बचने की सलाह दी है।
सऊदी अधिकारियों के अनुसार, इस साल लगभग 18 लाख तीर्थयात्रियों ने हज में भाग लिया। इनमें से 16 लाख दूसरे देश से पहुंचे थे। हज मिशन की निगरानी करने वाले एक अधिकारी ने कहा, “अनियमित तीर्थयात्रियों ने मिस्र के तीर्थयात्रियों के शिविरों में बहुत अराजकता पैदा की, जिससे वहां सेवाएं ठप हो गईं। तीर्थयात्री लंबे समय तक बिना भोजन, पानी और एयर कंडीशनिंग के रह रहे हैं। उनकी मौत गर्मी से इसलिए हो रही है क्योंकि ज्यादातर लोगों के पास शरण लेने के लिए कोई जगह नहीं थी।”
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