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अदालत ने जासूसी और आतंकवादी के आरोपों पर अप्रैल 2017 में मौत की सजा सुनाई थी।
कुलभूषण जाधव की मौत की सजा के मामले की सुनवाई कर रही पाकिस्तानी की एक शीर्ष अदालत ने भारत से मामले में कानूनी कार्रवाई में सहयोग करने के लिए कहा है। साथ ही उसने कहा कि अदालत में पेश होने का मतलब संप्रभुत्ता में छूट नहीं है। इस्लामाबाद उच्च न्यायालय की तीन सदस्यीय पीठ ने बुधवार को पाकिस्तान के कानून एवं न्याय मंत्रालय की याचिका पर सुनवाई शुरू की जिसमें जाधव के लिए वकील नियुक्त करने की मांग की गई है।
डॉन में प्रकाशित खबर के मुताबिक, अटर्नी जनरल खालिद जावेद खान ने पीठ को बताया कि अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (आइसीजे) के फैसले का पालन करने के लिए पाकिस्तान ने पिछले साल सीजे (समीक्षा एवं पुनर्विचार ) अध्यादेश 2020 लागू किया ताकि जाधव वैधानिक उपाय पा सकें।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार जानबूझ कर अदालत की सुनवाई में शामिल नहीं हुई और पाकिस्तान की एक अदालत के समक्ष मुकदमे पर आपत्ति जता रही है तथा उसने आइएचसी की सुनवाई के लिए वकील नियुक्त करने से भी इन्कार करते हुए कहा कि यह संप्रभु अधिकारों का आत्मसमर्पण करने के समान है। गौरतलब है कि भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी जाधव (51) को पाकिस्तान की एक सैन्यअदालत ने जासूसी और आतंकवादी के आरोपों पर अप्रैल 2017 में मौत की सजा सुनाई थी।
Neha Dani
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