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वे है पूरी दुनिया को सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाले व्यक्ति, जिसने बदल कर रख दी...

Neha Dani
19 April 2022 3:44 AM GMT
वे है पूरी दुनिया को सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाले व्यक्ति, जिसने बदल कर रख दी...
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प्राकृतिक चयन को ईश्वर का हथियार तक करार दिया.

चार्ल्स डार्विन (Charles Darwin) वह वैज्ञानिक थे जिनके विकासवाद के सिद्धांत ने जीवविज्ञान और उससे संबंधित विषयों में क्रांतिकारी बदलाव लाकर पूरे विज्ञान जगत में हलचल मचा दी थी. उनकी 25 सालों की मेहनत ने वैज्ञानिकों की सोच को बदल दिया था और जीवविज्ञानयों को एक दिशा प्रदान की थी. उन्हें मानव इतिहास का सबसे प्रभावशाली व्यक्ति माना जाता है. उनका अधिकांश योगदान उनके विकासवाद की किताब ऑन द ओरिजिन ऑफ स्पीशिस (On the Origin of The species) के जरिए रहा. 19 अप्रैल को उनकी पुण्यतिथि पर हम यही जानने का प्रयास करेंगे कि डारविन ने किस तरह से वैज्ञानिक जगत के साथ साथ दुनिया और समाज को प्रभावित किया.

पसंद नहीं थी औपचारिक शिक्षा
चार्ल्स डार्विन का जन्म 12 फरवरी 1809 को इंग्लैंड के श्रोपशायर के श्रुएसबरी के एक सम्पन्न परिवार में हुआ था. डार्विन को परंपरागत पढ़ाई में कभी दिलचस्पी नहीं रही. वे अपने डॉक्टर पिता के सहायक रहे और उन्होंने भूगर्भविज्ञान भी पढ़ा. प्रकृति विज्ञान में उनकी रुचि धीरे धीरे ही विकसित हुई जो बहुत गहरी होती चली गई. 22 साल की उम्र में उन्हें बीगल नाम के जहाज से दुनिया घूमने का मौका मिला.
पांच साल की वह यात्रा
डार्विन ने 1831 को अपनी समुद्री यात्रा शुरू की. शुरू में उन्हें जहाज पर रहने में परेशानी का अनुभव हुआ. लेकिन बाद में समुद्री यात्रा के अनुकूल ढल गए थे. खुद डार्विन का कहना है कि यह यात्रा उनके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण समय साबित हुआ था. पांच साल की इस यात्रा में डार्विन ने चार महाद्वीपों की यात्रा की और पक्षियों और पौधों के बहुत से जीवाश्म जमाकर उनका अध्ययन किया.
फिर शुरू हुआ लंबे अध्ययन का सिलसिला
लेकिन इस यात्रा के बाद डार्विन को पता था उनका अध्ययन काफी नहीं हैं वे इसे गहराई तक ले जाकर इसे व्यवस्थित रूप देना चाहते थे. पहले डार्विन ने अपनी नोटबुक से काम चलाया फिर से भी व्यवस्थित किया और शोधपत्र प्रकाशित करना शुरू कर दिए. धीरे धीरे डार्विन के काम का समय बढ़ता गया जिसका उनकी सेहत पर भी असर हुआ.
20 साल की मेहनत किताब में
डार्विन का शोधकार्य और उनकी पड़तालों और अध्ययन कोव्यवस्थित करने काम सालों तक चलता रहा उन्होंने अपने विचार और पड़ताल के नतीजे द ओरिजन ऑफ स्पीसीज में प्रकाशित किए. लेकिन इसमें उन्हें 20 साल का समय लग गया. इस किताब के प्रकाशन से पहले वे आशंकित थे कि इस पर लोगों की प्रतिक्रिया क्या होगी.
वैज्ञानिकों से लेकर चर्च तक सभी
डार्विन की किताब को बढ़िया रिस्पॉन्स मिला. सभी की दिलचस्पी जगी इसमें ईश्वरवादी लोग भी शामिल थे जो डार्विन के सिद्धांत से सहमत होने को तैयार नहीं थे. कई आलोचक भी पैदा हुए. वहीं चर्च की मिली जुली प्रतिक्रिया थी क्योंकि डार्विन ने सीधे तौर ईश्वर की सत्ता को चुनौती ही नहीं दी थी. कुछ लोगों ने प्राकृतिक चयन को ईश्वर का हथियार तक करार दिया. लेकिन डार्विन ने एक तरह से सभी को प्रभावित किया.


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