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हारवर्ड प्रफेसर का दावा- पृथ्वी पर जीवन खत्म कर सकती है अडवांस्ड एलियन टेक्नॉलजी

Gulabi
30 May 2021 5:54 AM GMT
हारवर्ड प्रफेसर का दावा- पृथ्वी पर जीवन खत्म कर सकती है अडवांस्ड एलियन टेक्नॉलजी
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हारवर्ड प्रफेसर का दावा

लंदन: रहस्यमय स्पेस ऑब्जेक्ट Oumuamua को एलियन स्पेसक्राफ्ट बताने वाले हारवर्ड यूनवर्सिटी के प्रफेसर अवी लोएब ने एक नया दावा किया है। उनका कहना है कि धरती का अंत किसी एलियन सभ्यता के साइंस एक्सपेरिमेंट की गलती से हो सकता है। साइंटिफिक अमेरिकन में लिखे आर्टिकल में लिखा है कि एक विशाल पार्टिकल एक्सेलरेटर ऐसा डार्क एनर्जी विस्फोट पैदा कर सकता है जो रोशनी की गति में पूरी गैलेक्सी को जला सकता सकता है।

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उनके मुताबिक इससे बचने के लिए 'इंटरस्टेलर डिप्लोमेसी' जल्द से जल्द करनी होगी। अभी दुनियाभर की स्पेस एजेंसियां दूसरी दुनिया में जीवन खोजने में ही लगी हैं। आज तक जीवन का कोई सबूत हाथ नहीं लगा है। ऐसे में सुपर-अडवांस्ड सभ्यता का होना भी एक कल्पना है और कूटनीति करना और भी दूर की बात है।
बचने का मौका नहीं
लोएब ने लिखा है, 'इस तरह की आपदा से बचने के लिए न्यूक्लियर टेस्ट बैन थिअरी की तरह समझौता बनाना होगा।' लोएब का कहना है कि अगर ऐसी कोई संभावना होगी तो डार्क एनर्जी का एक 'बबल' बन जाएगा जो फैलता जाएगा और अपने रास्ते में आने वाली हर चीज को तबाह कर देगा। लोएब का कहना है कि इस तरह की घटना के बारे में पहले से चेतावनी मिलना भी मुश्किल होगा क्योंकि रोशनी की गति से तेज कोई सिग्नल आ नहीं सकेगा।
अमेरिकन जिओफिज‍िकल यूनियन जर्नल में प्रकाशित पेपर में स्पेस रॉक Oumuamua को लेकर एक और सिद्धांत दिया गया है। इसमें कहा गया है कि यह ऐस्‍टरॉइड किसी दूसरे सोलर सिस्‍टम के छोटे से ग्रह का टुकड़ा था। एरिजोना स्‍टेट यूनिवर्सिटी के खगोल भौतिकीविद और इस शोध के सह लेखक स्‍टीवन देश्‍च ने कहा कि हमने संभवत: Oumuamua के रहस्‍य का खुलासा कर लिया है। हमने युक्तिपूर्वक यह पहचान कर सके हैं कि यह चट्टान किसी दूसरे ग्रह के प्‍लूटो जैसे ग्रह का एक टुकड़ा थी। देश्‍च और उनके सहलेखकों का मानना है कि करीब 50 करोड़ साल पहले एक स्‍पेस ऑब्‍जेक्‍ट ने Oumuamua के मुख्‍य ग्रह को टक्‍कर मार दी थी। इसके बाद Oumuamua स्‍पेस ऑब्‍जेक्‍ट का एक टुकड़ा टूटकर हमारे सोलर सिस्‍टम में आ गया होगा। वैज्ञानिकों ने कहा कि एक बार जब यह स्‍पेस ऑब्‍जेक्‍ट सूरज के पास पहुंचा होगा तो उसकी गति बढ़ गई होगी क्‍योंकि सूरज की किरणों ने बर्फ से भरी चट्टान को वाष्‍पीकृत कर दिया होगा। धूमकेतु भी इसी तरह से गति करते हैं और इसे 'रॉकेट इफेक्‍ट' कहा जाता है।
चूंकि Oumuamua चट्टान के निर्माण का पता नहीं है, इसलिए वैज्ञानिकों ने निष्‍कर्ष निकाला है कि यह स्‍पेस ऑब्‍जेक्‍ट संभवत: नाइट्रोजन आइस से बनी होगी। यह कुछ उसी तरह से होगा जैसे प्‍लूटो या नेप्‍यूटन के ग्रह ट्राइटोन की सतह का निर्माण नाइट्रोजन आइस से हुआ है। जब यह चट्टान हमारे सोलर सिस्‍टम के पास आने लगी तब सूरज की किरणों ने इसकी जमी हुई नाइट्रोजन की लेयर को पिघलाना शुरू कर दिया होगा। यह स्‍पेस ऑब्‍जेक्‍ट वर्ष 1995 में पहली बार हमारे सोलर सिस्‍टम में घुसी थी। उस समय इसका किसी को पता नहीं था और परिणाम यह हुआ कि यह करीब 95 फीसदी पिघल गई है और अब यह चांदी में बदल गई है। वर्ष 2017 में जब खगोलव‍िदों को इसके बारे में पता चला तब तक देर हो चुकी थी। यह करीब एक लाख 96 हजार प्रतिघंटे की रफ्तार से धरती से दूर रहा था। ऐसे में उनके पास Oumuamua के अध्‍ययन के लिए कुछ ही सप्‍ताह थे। कई टेलिस्‍कोप की मदद से उसकी जांच की गई लेकिन बहुत ज्‍यादा जानकारी नहीं मिल पाई। अब यह रहस्‍यमय ऐस्‍टरॉइड धरती से बहुत दूर चला गया है और वर्तमान तकनीक से उसकी जांच संभव नहीं है।
Oumuamua को पहले वैज्ञानिकों ने एक धूमकेतु माना था लेकिन वह न तो बर्फ से बना था और न ही गैस छोड़ता था जैसा कि कॉमेट या धूमकेतु करते हैं। वहीं इसका घूमना, स्‍पीड और परिक्रमापथ को केवल गुरुत्‍वाकर्षण से नहीं बताया जा सकता है, इससे पता चलता है कि यह एक ऐस्‍टरॉइड नहीं है। इस रहस्‍यमय ऑब्‍जेक्‍ट का आकार और प्रोफाइल अब तक देखे गए किसी कॉमेट या ऐस्‍टरॉइड से मेल नहीं खाता है। Oumuamua एक मील लंबा है लेकिन केवल 114 फुट चौड़ा है। शोधकर्ताओं ने कहा कि Oumuamua की जमी हुई नाइट्रोजन संरचना इसके आकार के बारे में बता सकती है। इस शोध के एक अन्‍य लेखक एलन जैक्‍शन ने कहा कि चूंकि इस चट्टान की बाहरी परत सूरज की रोशनी की वजह से सूख गई है, इसलिए इसका आकार काफी हद तक समतल हो गया है। यह कुछ उसी तरह से है जैसे साबुन होता है, जब उसकी परत घिसती है तो वह समतल हो जाता है

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रफेसर ऐवी लोएब का कहना है कि 19 अक्टूबर, 2017 को देखी गई स्पेस रॉक Oumuamua दरअसल एलियन लाइफ का सबूत थी। यूनिवर्सिटी ऑफ हवाई के PAN-STARRS1 टेलिस्कोप ने इसे देखा था। सिगार के आकार का ये ऑब्जेक्ट 1.96 लाख मील प्रतिघंटा की रफ्तार से धरती के करीब से गुजरा था और इसे धूमकेतु या ऐस्टरॉइड माना गया था। हालांकि, ऐवी का कहना है कि यह कोई आम स्पेस रॉक नहीं थी। यह एलियंस का अंतरिक्ष यान था। ऐवी ने बताया कि Oumuamua हर आठ घंटे पर सूरज की एक सी चमक रिफ्लेक्ट करता था। इससे संकेत मिलता है कि वह हर आठ घंटे पर अपने केंद्र पर पूरी तरह घूम लेता था। इससे पहले किसी दूसरे स्पेस ऑब्जेक्ट का आकार ऐसा नहीं पाया गया था। इसकी चमक सामान्य धूमकेतुओं या ऐस्टरॉइड्स से दस गुन ज्यादा थी। सबसे बड़ा दावा जो ऐवी इसके एलियन लाइफ के सबूत के तौर पर देते हैं, वह है सूरज के गुरुत्वाकर्षण का असर। उन्होंने बताया कि सूरज के करीब जाने पर स्पेस ऑब्जेक्ट्स की रफ्तार तेज हो जाती है और दूर जाने पर धीमी। हालांकि, Oumuamua के साथ ऐसा नहीं हो रहा था। उन्होंने यह भी कहा है कि किसी धूमकेतु या ऐस्टरॉइड की तरह Oumuamua की कोई पूंछ नहीं थी और न ही इससे कार्बन के संकेत मिले। इसके चक्कर का जो रास्ता था, वह अपने आप में काफी अजीब था।

पहले भी चर्चित रहे
इससे पहले लोएब तब चर्चा में थे जब उन्होंने दावा किया था कि 19 अक्टूबर, 2017 को देखी गई स्पेस रॉक Oumuamua दरअसल एलियन लाइफ का सबूत थी। यूनिवर्सिटी ऑफ हवाई के PAN-STARRS1 टेलिस्कोप ने इसे देखा था। सिगार के आकार का ये ऑब्जेक्ट 1.96 लाख मील प्रतिघंटा की रफ्तार से धरती के करीब से गुजरा था और इसे धूमकेतु या ऐस्टरॉइड माना गया था। हालांकि, ऐवी का कहना है कि यह कोई आम स्पेस रॉक नहीं थी।
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