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ग्‍वादर बंदरगाह पाकिस्‍तान के बलूचिस्‍तान प्रांत में, हिंदुस्तान की अमेरिका कर रहा मदद

Rounak Dey
23 Aug 2022 5:45 AM GMT
ग्‍वादर बंदरगाह पाकिस्‍तान के बलूचिस्‍तान प्रांत में, हिंदुस्तान की अमेरिका कर रहा मदद
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जनसंख्‍या 12,500 तक पार कर गई। यहां से चीन ऑयल सप्‍लाई रूट्स पर नजर रखना चाहता है।

तेहरान: हिंद महासागर पर चीन और भारत के बीच प्रतिद्वंदिता किसी से छिपी नहीं है। भारत की नौसेना को इस हिस्‍से में अब अमेरिका का भी समर्थन मिलने लगा है। लेकिन इसके बीच अरब सागर पर जो कुछ हो रहा है, उस पर शायद किसी की नजर नहीं जा रही है। अरब सागर केदो प्रमुख बंदरगाह हैं, ईरान का चाबहार और पाकिस्‍तान का ग्‍वादर। एक जहां भारत के पास है तो दूसरा चीन ने खरीदा है। चाबहार की डील साल 2016 में उस समय हुई जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ईरान की यात्रा पर गए थे। उस डील को भारत के लिए रणनीतिक तौर पर महत्‍वपूर्ण करार दिया गया। ग्‍वादर पोर्ट चीन के चीन-पाकिस्‍तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) का हिस्‍सा है। ग्‍वादर को हासिल करने का मकसद हिंद महासागर पर अपनी पैठ जमाना था। जबकि चाबहार, भारत को अफगानिस्‍तान के करीब लेकर आता है। दोनों ही बंदरगाह अपने-अपने लिहाज से काफी अलग हैं।


172 किमी का फासला
ग्‍वादर और चाबहार में करीब 172 किलोमीटर की दूरी है और 5 से 6 घंटे में एक बंदरगाह से दूसरे बंदरगाह पर पहुंचा जा सकता है। दोनों ही बंदरगाह बहुत बड़े हों, ऐसा भी नहीं है। लेकिन इनकी भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि ये दक्षिण एशिया में रणनीतिक संतुलन को बना भी सकते हैं और बिगाड़ भी सकते हें। ग्‍वादर बंदरगाह, होरमुज जलमार्ग के काफी करीब है। इस वजह से चीन आसानी से हिंद महासागर तक पहुंच सकता है। यहां से चीन, भारतीय नौसेना के अलावा अरब सागर में मौजूद अमेरिकी नौसेना पर भी नजर रख सकता है। इसके अलावा फारस की खाड़ी में क्‍या गतिविधियां हो रही हैं, इस पर भी चीन की पैनी नजर हो सकती है।

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अब अगर ईरान के चाबहार बंदरगाह की बात करें तो ये ईरान के सिस्‍तान प्रांत में आता है और बलूचिस्‍तान के दक्षिण में आता है। चाबहार वह अकेला बंदरगाह है जो भारत को ईरान तक सीधा रास्‍ता मुहैया कराता है। चाबहार कई सदियों से व्‍यापार का बड़ा केंद्र रहा है। ये बंदरगाह ओमान और फारस की खाड़ी के करीब है। सिर्फ इतना ही नहीं चाबहार बंदरगाह का मौसम हमेशा अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित मियामी बंदरगाह जैसा रहता है। यह मीडिल ईस्‍ट का सबसे ठंडा पोर्ट है। इसका निर्माण वर्ष 1973 से हो रहा है लेकिन संसाधनों की कमी के अभाव में इसमें लगातार देरी होती गई।


क्‍या था चीन का मकसद
पाकिस्‍तान का ग्‍वादर बंदरगाह पाकिस्‍तान के बलूचिस्‍तान प्रांत में है। बलूचिस्‍तान, पाकिस्‍तान का वो हिस्‍सा है जहां पर प्राकृतिक गैस और तेल का भंडार सबसे ज्‍यादा है। चीन ने इसी वजह से ग्‍वादर को अपने लिए चुना था। पाकिस्‍तान इस जगह से सबसे ज्‍यादा तेल और गैस का उत्‍पादन करता है। बलूचिस्‍तान के लोगों को इसी बात का अफसोस है कि संसाधनों के बावजूद उन्‍हें कुछ हासिल नहीं हुआ। साल 2002 में चीन ने ग्‍वादर पोर्ट डेवलपमेंट प्रोजेक्‍ट शुरुआत की थी।

चीन और पाकिस्‍तान के कई इनवेस्‍टर्स प्रोजेक्‍ट पर अब तक कई अरब डॉलर खर्च कर चुके हैं। चीन की ओर से अब 200 मिलियन डॉलर का इनवेस्‍टमेंट इस में करने का वादा किया गया है। इस प्रोजेक्‍ट का पहला फेज वर्ष 2005 में पूरा हो गया था। ग्‍वादर की जनसंख्‍या 2001 तक सिर्फ 5000 थी। चीन का प्रोजेक्‍ट शुरू होने के बाद जनसंख्‍या 12,500 तक पार कर गई। यहां से चीन ऑयल सप्‍लाई रूट्स पर नजर रखना चाहता है।

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