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1997 में अहमदाबाद की साबरमती जेल से भागने की कोशिश में पुलिस की गोलीबारी में वह मारा गया था।
गुजरात हाईकोर्ट ने बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान और फिल्म 'रईस' (Raees) के निर्माताओं के खिलाफ दायर 101 करोड़ रुपये की मानहानि के मामले में निचली अदालत के फैसले पर 20 जुलाई तक रोक लगा दी है। निचली अदालत के आदेश को शाहरुख खान और फिल्म निर्माताओं ने चुनौती दी थी।
मारे गए गैंगस्टर अब्दुल लतीफ के परिवार के सदस्यों ने यह मुकदमा दायर किया है। कथित तौर पर 'रईस' फिल्म अब्दुल लतीफ की ही जिंदगी पर आधारित है।
जस्टिस उमेश त्रिवेदी ने सोमवार को दिए आदेश में निचली अदालत के फैसले पर 20 जुलाई तक रोक लगा दी है। निचली अदालत के आदेश को शाहरुख खान, अभिनेता फरहान अख्तर, फिल्मकार राहुल ढोलकिया और अन्य ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
निचली अदालत ने मूल वादी लतीफ के बेटे मुश्ताक अहमद की विधवा और दो बेटियों को मुकदमे में वादी बनने की इजाजत दे दी थी क्योंकि अहमद की 2020 में मौत हो गई है। हाईकोर्ट ने मुश्ताक अहमद के वारिसों को भी नोटिस जारी किए हैं, जिनका जवाब 20 जुलाई को देना है।
अहमदाबाद दीवानी अदालत में 2016 में दायर वाद में अहमद ने दावा किया था कि 2017 में आई शाहरुख खान अभिनीत फिल्म 'रईस' ने उनकी, उनके पिता और उनके परिवार के सदस्यों की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया है। साथ ही अहमद ने 101 करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति की मांग की थी।
2020 में अहमद की मौत के बाद, उनकी विधवा और दो बेटियों ने दीवानी अदालत में आवेदन दायर कर उन्हें मुकदमे में वादी बनाने आग्रह किया था, जिसे अदालत ने मंजूर कर लिया था।
इसके खिलाफ शाहरुख खान, फरहान अख्तर, ढोलकिया और प्रोडक्शन कंपनी ने हाईकोर्ट का रुख किया और निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी। शाहरुख खान के वकील सलिक ठाकोर ने अहमद की विधवा और दो बेटियों को वादी बनाने का विरोध करते हुए कहा कि व्यक्ति की मौत के साथ उसके सम्मान को नुकसान की बात खत्म हो जाती है।
अहमद ने अपनी याचिका में दावा किया था कि जब पटकथा पर शोध किया जा रहा था तब उनके परिवार से बातचीत की गई थी और निर्माताओं ने इस बात का प्रचार किया था कि फिल्म लतीफ की जिंदगी पर आधारित है।
फिल्म के निर्देशक ढोलकिया हैं, जबकि इसमें शाहरुख खान, नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी और पाकिस्तानी अभिनेत्री माहिरा खान ने अभिनय किया है। यह फिल्म लतीफ की कहानी बयां करती है, जो शराब तस्कर था और गुजरात में 1980 के दशक में सक्रिय था।
लतीफ हत्या, अपहरण, शराब तस्करी के दर्जनों मामले में वॉन्टेड था। माना जाता है कि वह दाउद इब्राहिम के गिरोह का हिस्सा था। उसे 1995 में पुलिस ने गिरफ्तार किया था और 1997 में अहमदाबाद की साबरमती जेल से भागने की कोशिश में पुलिस की गोलीबारी में वह मारा गया था।
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