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जनता से रिश्ता वेबडेस्क।एसयूवी (SUV) बनाने वाली चीन की सबसे बड़ी कंपनी ग्रेट वॉल मोटर्स (Great Wall Motors) को बड़ा झटका लगा है. कंपनी ने दो साल के इंतजार के बाद भारत में निवेश करने के अपने प्लान को विराम दे दिया है. चीनी मोटर कंपनी ने भारत में एंट्री के लिए एक अरब डॉलर के निवेश की योजना बनाई थी. लेकिन ढाई साल तक एफडीआई की मंजूरी (FDI clearance) नहीं मिलने के बाद कंपनी ने भारत को बाय-बाय बोल दिया है.
खरीदने वाली थी प्लांट
साल 2020 में ऑटो एक्सपो (Auto Expo) में हिस्सा लेने वाली ग्रेट वॉल मोटर ने इसी साल अमेरिकी कंपनी जनरल मोटर्स (General Motors) के तालेगांव प्लांट को खरीदने के लिए टर्म शीट अनुबंध किया था. इस एग्रीमेंट को दो बार बढ़ाया भी गया, जो 30 जून 2022 को समाप्त हो गया. जनवरी 2020 में जनरल मोटर्स ने ग्रेट वॉल मोटर को प्लांट बेचने के लिए सौदा किया था.
अब GWM ने इस प्लान से अपने हाथ वापस खींच लिए हैं. कंपनी ने 11 भारतीय कर्मचारियों को काम पर रखा था और अब काम शुरू होने से पहले ही सभी को नौकरी से निकाल दिया है. हालांकि कंपनी ने कर्मचारियों को तीन महीने का पैकेज दिया है.
इस वजह से फेल हुआ प्लान
चीनी एसयूवी-निर्माता कंपनी ने भारत के कार बाजार में एंट्री के लिए एक बिलियन डॉलर के निवेश की योजना बनाई थी. इसमें कंपनी के करीब 300 मिलियन डॉलर का भुगतान जनरल मोटर्स को करने की थी, लेकिन जून 2020 में भारत-चीन सीमा पर तनाव बढ़ने के बाद भारत सरकार ने चीन से होने वाले निवेश के खिलाफ सख्त कदम उठाया, जिसकी वजह चीजें ग्रेट वॉल मोटर के प्लान के अनुसार आगे नहीं बढ़ सकीं. इस वजह से चीनी मोटर कंपनी अप्रैल 2020 से लागू हुए नए FDI नियमों के बाद मंजूरी पाने में असफल रही.
कई कंपनियां कर चुकी हैं कोशिश
ग्रेट वॉल मोटर से पहले भी चीन की कई कंपनियों ने भारतीय बाजार में एंट्री की कोशिश की थी, लेकिन उनका प्लान सफल नहीं हो सका. Changan, Haima और Chery ने भी भारतीय बाजार में अपने कारोबार को शुरू करने की योजना बनाई थीं, लेकिन उनकी योजना भी धरी रह गई.
कंपनी ने किए कई प्रयास
ग्रेट वॉल मोटर के स्ट्रेटजी निदेशक कौशिक गांगुली ने इस साल मार्च में कंपनी छोड़ दी थी. वे अक्टूबर 2018 में कंपनी के पहले वरिष्ठतम कर्मचारी के रूप में चीन की मोटर कंपनी में शामिल हुए थे.
भारत में एंट्री के लिए पिछले दो साल में इस कंपनी ने कोई प्रयास किए. यहां तक कि पूरी तरह तैयार गाड़ी के इंपोर्ट की भी कोशिश की, लेकिन वो कामयाब नहीं हो सकी. इस दौरान कंपनी ने थाईलैंड और ब्राजील में अपना कारोबार शुरू कर दिया, लेकिन भारत में उसका प्लान फेल हो गया.
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