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पाकिस्तान स्थित पंजाब में सरकार ट्रांसजेंडरों के लिए पहला पब्लिक स्कूल करेगी स्थापित

Deepa Sahu
6 July 2021 6:40 PM GMT
पाकिस्तान स्थित पंजाब में सरकार ट्रांसजेंडरों के लिए पहला पब्लिक स्कूल करेगी स्थापित
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पाकिस्तान स्थित पंजाब में सरकार ट्रांसजेंडरों के लिए पहला पब्लिक स्कूल करेगी स्थापित

लाहौर,पाकिस्तान की पंजाब सरकार ने मंगलवार को प्रांत में ट्रांसजेंडर लोगों के लिए पहला सार्वजनिक क्षेत्र का स्कूल खोलने की घोषणा की। 2018 में, एक एनजीओ ने यहां ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए देश का पहला शैक्षिक और व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थान खोला था।

मुल्तान में स्थापित होगा स्कूल
राज्य के शिक्षा मंत्री डॉ मुराद रास ने बताया कि, सरकार ने पंजाब प्रांत में अलग स्कूल खोलने का फैसला किया है और लाहौर से लगभग 350 किलोमीटर दूर मुल्तान शहर में इस तरह का पहला स्कूल जल्द ही स्थापित किया जाएगा। सरकार ने यह फैसला ट्रांसजेंडर समुदाय द्वारा कई बार की शिकायतों के बाद लिया है। शिक्षा मंत्री ने देश की सत्तारूढ़ इमरान खान सरकार को ट्रांसजेंडर समुदाय की शिक्षा और नौकरियों के प्रावधान के लिए कदम उठाने का श्रेय दिया है।
लाहौर में स्कूल है संचालित
लाहौर में ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए निजी स्कूल "द जेंडर गार्जियन" 15 शिक्षकों के साथ प्राथमिक स्तर से उच्च माध्यमिक स्तर तक 12 साल की शैक्षणिक शिक्षा प्रदान करता है। स्कूल में 15 टीचिंग स्टाफ में से तीन ट्रांसजेंडर समुदाय के लोग हैं। यह स्कूल तकनीकी शिक्षा, फैशन डिजाइनिंग, ब्यूटीशियन और हेयर स्टाइलिंग कोर्स, ग्राफिक डिजाइनिंग, कंप्यूटर और मोबाइल रिपेयरिंग आदि की शिक्षा प्रदान कर रहा है।
उच्च न्यायालय के सख्त आदेश
ट्रांसजेंडर लोगों को अक्सर देश के हर क्षेत्र में भेदभाव का सामना करना पड़ता है। सरकार के दृष्टिकोण से निराश होकर, लाहौर उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने हाल ही में पंजाब के मुख्य सचिव को ट्रांसजेंडर व्यक्तियों (अधिकारों की सुरक्षा) अधिनियम 2018 को सख्ती से लागू करने का निर्देश दिए थे। ताकि विभागों को पुरुष, महिला और ट्रांसजेंडर के बीच भेदभाव करने की अनुमति न हो। जस्टिस फैसल जमान खान ने एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति द्वारा एक उर्दू लेक्चरर के पद के लिए उनके आवेदन को अस्वीकार करने के खिलाफ याचिका पर कहा था कि, हमारे जैसे रूढ़िवादी समाज में, ट्रांसजेंडर लोगों के अधिकारों को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मान्यता दी गई है। साथ ही लाहौर उच्च न्यायालय ने भी अपने फैसलों में उन्हें समान अधिकार देने के लिए एक व्यापक कानून भी बनाया है। अदालत ने टिप्पणी में कहा की, समाज के इस वर्ग को अभी भी कम समान या अस्तित्वहीन माना जाता है।
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