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नई दिल्ली । जेल में कैदियों को सुधारने के लिए सरकार ने डी-रेडिकलाइजेशन योजना की शुरुआत की है। एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के अनुसार गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सभी डीजी कारागार से कहा है कि वे सभी जेलों में सुधारात्मक और व्यवहार विशेषज्ञों की मदद से नियमित विशेष डी-रेडिकलाइजेशन सत्र आयोजित करने पर ध्यान केंद्रित करें ताकि गुमराह लोगों की मानसिकता को बदला जा सके।
उप सचिव अरुण सोबती ने एक पत्र में कहा कि जेलप्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि कट्टरपंथ की विचारधारा का प्रचार करने वाले कैदियों को अन्य कैदियों से दूर अलग बाड़े में रखा जाए। जेल प्रशासन को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि जो कैदी नशीले पदार्थों और ड्रग्स की तस्करी आदि से संबंधित अपराधों के लिए हिरासत में हैं उन्हें भी अलग से रखने की आवश्यकता है। सोबती ने अपने पत्र में कहा कि 3240 अदालत परिसरों में वीडियो कांफ्रेंसिंग की सुविधा उपलब्ध कराई गई है।
पत्र में जेल अधिकारियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा का उपयोग करने के लिए विशेष प्रयास करने का अनुरोध किया गया है। 2021 एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार भारतीय जेल की आबादी में 77 प्रतिशत विचाराधीन कैदी थे जबकि केवल 22 प्रतिशत अपराधी थे जिनमें लगभग आधे विचाराधीन कैदी 2 साल से अधिक समय से जेल में थे। 554000 कैदियों में से 427000 मुकदमे की प्रतीक्षा कर रहे थे जिनमें से 24033 विचाराधीन कैदी पहले से ही तीन से पांच साल से जेल में थे।
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