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सरकार ने मर डाला 28,000 लोग, एजेंट्स और महिला का विवाद बढ़कर नरसंहार में तब्दील हुआ...

Neha Dani
28 Feb 2021 2:54 AM GMT
सरकार ने मर डाला 28,000 लोग, एजेंट्स और महिला का विवाद बढ़कर नरसंहार में तब्दील हुआ...
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लोगों की हत्या की गईचीन की पहचान दुनिया के एक ऐसे मुल्क के तौर पर होती है,

चीन की पहचान दुनिया के एक ऐसे मुल्क के तौर पर होती है, जो अपने यहां उठने वाली आवाज को दबाने के लिए दुनियाभर में बदनाम है. हांगकांग में लोकतंत्र समर्थकों की आवाजों को कुचलने और उइगुरों मुस्लिमों पर अत्याचार ढाने से पहले भी चीन ने ताइवान में एक ऐसा ही दमनकारी कार्य किया. दरअसल, चीन ने ताइवान में करीब 28 हजार लोगों का नरसंहार किया. ये घटना आज ही के दिन 74 साल पहले ताइवान में हुई. इस घटना को '228 घटना' (228 Incident) या '28 फरवरी का नरसंहार' (February 28 massacre) के रूप में जाना जाता है.

दरअसल, 1947 में ताइवान में सरकार विरोधी विद्रोह हुआ, जिसे कुओमिनतांग (Kuomintang) के नेतृत्व वाली चीन सरकार द्वारा हिंसक रूप से दबाया गया. इस नरसंहार ने व्हाइट टेरर (White Terror) की शुरुआत की. इसमें ताइवान (Taiwan) के हजारों लोग लापता हो गए या फिर मारे गए. कुछ लोगों को कैद में डाल दिया गया. यह घटना ताइवान के आधुनिक इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है. ये घटना ताइवान स्वतंत्रता आंदोलन (Taiwan independence movement) के लिए एक महत्वपूर्ण प्रेरणा थी.
चीन ने हजारों लोगों को मौत के घाट क्यों उतारा?
साल 1895 से 1945 तक जापानियों ने ताइवान के ऊपर शासन किया. इस दौरान, जापान (Japan) ने ताइवान के बुनियादी ढांचे और अर्थव्यवस्था का बहुत विकास किया. इस तरह अधिकांश ताइवानी लोगों के जीवन स्तर में वृद्धि हुई. जापानी औपनिवेशिक शासन (Japanese colonial rule) के तहत हुए इन सुधारों ने जापान को लेकर ताइवान के लोगों में एक बेहतर धारणा बनी.
वहीं, जब द्वितीय विश्व युद्ध (Second World War) में मित्र राष्ट्रों को जीत मिली तो जापान ने ताइवान को जनरल चियांग काई-शेक (General Chiang Kai-Shek) को सौंप दिया. जनरल चियांग रिपब्लिक ऑफ चाइना (Republic of China) के शासक थे. 1945 में जनरल चियांग ने ताइवान पर रिपब्लिक ऑफ चाइना के तौर पर शासन करना शुरू किया. यहां गौर करने वाली बात ये है कि अभी तक ताइवान जापान के नियंत्रण में होते हुए भी कुछ हद तक खुद ही शासन कर रहा था.
दूसरी ओर, जनरल के आदेश के बाद चेन यी नाम के शीर्ष चीनी अधिकारी ने जापानी सिस्टम को खत्म कर दिया. इसने यहां की फसलों और प्रमुख चीजों पर कब्जा जमा लिया. उसने इस नियंत्रण के जरिए ताइवान का शोषण करना शुरू कर दिया. अब ताइवान में चीन के सरकारी अधिकारियों का बोल बाला हो गया. वहीं, इस घटना से ताइवान के लोगों के भीतर गुस्सा बढ़ने लगा. चीनी सैनिक यहां लूटपाट मचाने लगे. इसने भी लोगों के बीच आक्रोश बढ़ाने का काम किया. इसका नतीजा ये हुआ कि लोगों ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया.
एजेंट्स और महिला का विवाद बढ़कर नरसंहार में तब्दील हुआ
ताइवान की राजधानी ताइपे में 27 फरवरी, 1947 की रात को 'टोबैको मोनोपॉली ब्यूरो' के एजेंट्स ने एक महिला से सिगरेट को कब्जे में ले लिया. साथ ही उसके पैसों को भी छीन लिया. जब महिला ने पैसों और सिगरेट को लौटाने की बात कही तो एक एजेंट ने महिला के सिर पर पिस्तौल से हमला कर दिया. इसके बाद एक गुस्साई भीड़ वहां जमा होने लगी. इसके बाद एजेंट्स वहां से भागने लगे. इस दौरान उन्होंने गोली चला दी और एक व्यक्ति की इसमें मौत हो गई.
वहीं, अगले दिन 28 फरवरी को बढ़ती बेरोजगारी, महंगाई और सरकारी भ्रष्टाचार से परेशान लोगों ने बड़े पैमाने पर ताइवान में प्रदर्शन शुरू कर दिए. शुरुआत में प्रदर्शनकारियों ने 'टोबैको मोनोपॉली ब्यूरो' के मुख्यालय तक मार्च किया. इनकी मांग थी कि हत्या करने वाले एजेंट्स को सजा मिले. लेकिन जैसे ही प्रदर्शनकारियों की भीड़ गवर्नर जरनल चेन यी के कार्यालय की तरफ बढ़ी तो गार्ड्स ने इन पर गोलियां बरसाना शुरू कर दिया. इसके बाद हिंसा का ऐसा चक्र शुरू हुआ कि हजारों ताइवान के लोगों को चीन ने मौत के घाट उतार दिया. कुल मिलाकर 28 हजार से अधिक लोगों की हत्या की गईचीन की पहचान दुनिया के एक ऐसे मुल्क के तौर पर होती है,
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