युद्ध की स्थिति में दुश्मन देशों चीन और पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी में भारत सरकार
गडकरी बोले, एमर्जेंसी में लड़ाकू विमान कर सकेंगे इस्तेमाल
15 एनएच काम पूरा, बाकी पर युद्धस्तर पर चल रहा काम
नई दिल्ली:
चीन और पाकिस्तान की नापाक हरकतों से लोहा लेने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से देश भर के नेशनल हाइवे पर 35 एयरस्ट्रिप का निर्माण युद्धस्तर पर किया जा रहा है। इन एयरस्ट्रिप पर आपातकाल में लड़ाकू विमानों को लैड कराया जा सकेगा। खासतौर पर देश के बॉर्डर वाले हाइवे पर एयरस्ट्रिप बनाने पर ज्यादा जोर है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि एमर्जेंसी के हालात में हाइवे से ट्रैफिक की आवाजाही को रोक दिया जाएगा, जिससे कि हाइवे पर बने एयर स्ट्रिप का इस्तेमाल लड़ाकू विमान कर सकें। केंद्र सरकार ने देशभर में हाइवे पर 35 एयरस्ट्रिप बनाने का लक्ष्य रखा है। जम्मू-कश्मीर से लेकर देश के कई राज्यों में युद्धस्तर पर काम चल रहा है। इसमें से लगभग 15 बनकर तैयार हो गए हैं। कुछ ऐसे एयरस्ट्रिप हैं, जिनको लेकर एयरफोर्स से अप्रूवल ली जा रही है।
गडकरी ने कहा कि इसके लिए प्रधानमंत्री से भी आग्रह किया है, जिससे कि एयरस्ट्रिप बनाने में किसी तरह की अड़चन न आए। गडकरी ने कहा कि इन एयरस्ट्रिप का उसी तरह से इस्तेमाल किया जाएगा, जिस तरह से ट्रेन के आने पर रेलवे का फाटक बंद कर दिया जाता है और ट्रेन के जाने के बाद ही उसे खोल दिया जाता है और फिर ट्रैफिक और लोगों की आवाजाही शुरू हो जाती है। ठीक उसी तरह हाइवे पर एयरस्ट्रिप को ऐसे डिजाइन किया गया है, जिससे कि ट्रैफिक की आवाजाही तो हो ही, साथ ही एमर्जेंसी में हाइवे की ट्रैफिक को रोककर उस पर विमानों की लैंडिंग और टेक ऑफ करवाया जा सके।
एयरबेस को नुकसान होने पर मिलेगा विकल्प
भारत की सीमा के पास साल 2021 में राजस्थान में एनएच पर पहली एमर्जेंसी एयर स्ट्रिप की शुरुआत हुई थी। उसका उद्घाटन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय सडक़ और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने वायुसेना के सी-130जे सुपर हरक्यूलिस को लैंड करवाकर किया था। जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, गुजरात, हरियाणा और पंजाब में एमर्जेंसी लैंडिंग के लिए एयरस्ट्रिप तैयार किए जा रहे हैं। इन एमर्जेंसी लैंडिंग स्ट्रिप की जरूरत इसलिए भी होती है, क्योंकि जंग की सूरत में दुश्मन का सबसे पहले टारगेट एयरबेस ही होते हैं। इसके चलते लड़ाकू जहाजों के संचालन को दूसरे विकल्प भी तैयार किए जाते हैं।