गूगल ने महान भारतीय वैज्ञानिक सत्येंद्र नाथ बोस को अपने डूडल के माध्यम से श्रद्धांजलि दी है. आज की पीढ़ी को उनके बारे में शायद ही बहुत कुछ पता हो. लेकिन हम बता देते हैं कि पिछले काफी समय से जिस हिग्स-बोसोन थ्यौरी के आधार पर सर्न (The Higgs boson : CERN) दुनिया की सबसे बड़ी लैब में ब्रह्मांड की उत्पत्ति के बारे में खोज कर रहा है, उसका पता भी चला तो साल 2012 में. सर्न के लार्ज हेड्रोन कोलाइजर में आखिरकार हिग्स बोसोन की थ्यौरी को हल किया है. हिग्स-बोसोन का नाम ब्रिटिश वैज्ञानिक पीटर हिग्स के नाम पर है, जिन्होंने खुद क्वांटम थ्यौरी के हिग्स-बोसोन के बोसोन स्टैटिक्स का नाम सत्येंद्र नाथ बोस के नाम पर रखा था. इस बात का अंदाजा आप खुद लगा सकते हैं कि सत्येंद्र नाथ बोस को 4 बार (1956, 1959, 1962 और 1962) नोबेल पुरस्कार के लिए नामित किया गया था. वैसे, नोबेल पुरस्कारों के पीछे की वैश्विक राजनीति के बारे में सभी जानते हैं, लेकिन सत्येंद्र नाथ बोस किस तरह से पिछड़ गए, उसे इस बात से जानिए कि वो 4 बार नामित किए गए, इसके बाद भी नोबेल पुरस्कार नहीं पा सके, जबकि उनकी दी गई थ्यौरी पर काम करने वाले 7 वैज्ञानिकों को अब तक नोबेल पुरस्कार मिल चुका है.