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आइए, जानते हैं महान कवयित्री बालामणि अम्मा के बारे में…
Google Doodle आज भारतीय कवयित्री पद्म भूषण बालमणि अम्मा की 113वीं जयंती मना रहा है। बालामणि अम्मा का जन्म 19 जुलाई 1909 को ब्रिटिश इंडिया के मालाबार जिले में हुआ था। गूगल ने उनकी जयंती को सेलिब्रेट करने के लिए डूडल बनाया है, जिसमें उनके जीवन और काम को दिखाया गया है। गूगल हर खास मौके पर अपने सर्च इंजन के लोगो को डूडल के साथ रिप्लेस कर देता है। यह डूडल कई बार एनिमेटेड और कई बार स्टैटिक होते हैं। आइए, जानते हैं महान कवयित्री बालामणि अम्मा के बारे में…
कौन थीं बालमणि अम्मा?
अम्मा का जन्म पोन्नानी ताल्लुक के पुन्नायुरकुल्लम गांव में हुआ था, जो ब्रिटिश इंडिया के मालाबार जिले में स्थित था। हालांकि, वो बाद में एक नामचीन कवयित्री बनीं, लेकिन बचपन में उन्होंने कोई फॉर्मल एजुकेशन यानी शिक्षा नहीं ली थी। उनके बेटे कमला सुरैया, जो लेखक थे, उन्होंने बालमणि अम्मा के कविताओं को ट्रांसलेट किया। अम्मा के कविता को उन्होंने "The Pen" के नाम से प्रकाशित करवाया। इस कविता में एक मां के दर्द को दर्शाया गया है।
बालममि अम्मा को उनके जीवनकाल में कई तरह के अवॉर्ड से नवाजा गया, जिसमें साहित्य निपुण पुरस्कारम् भी शामिल है, जिसके बाद उन्हें लोग जानने लगे। इसके बाद उन्हें भारत के तीसरे सबसे बड़े सिविलियन अवॉर्ड पद्म भूषण भी दिया गया।
मामा ने पढ़ने में की मदद
बाद में उन्हें उनके मामा ने पढ़ाया, जिनमें उनके किताबों के संग्रह ने काफी मदद की। पद्म भूषण बालमणि अम्मा बाद में दुनिया के सबसे प्रसिद्ध कवियों में से एक बन गईं और उन्होंने नलपत नारायण मेनन और कवि वल्लथोल नारायण मेनन से प्रेरणा ली।
बालमणि अम्मा अपनी कविताएं मलयालम में लिखती थीं और उनकी कविताएं पूरे दक्षिण भारत में पढ़ी जाती थी। उनके कई प्रमुख कविताओं में अम्मा, मुथासी (दादी अम्मा) और मजुविंते कथा (एक कुल्हाड़ी की कहानी) शामिल हैं। एक कवयित्री और लेखिका के तौर पर प्रसिद्ध पद्म भूषण बालमणि अम्मा की मृत्यु 29 सितंबर 2004 में हुई। वो करीब 5 साल से अलजाइमर (Alzheimer) नाम की गंभीर बीमारी से पीड़ित थीं।
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