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मध्य सदी में ग्लोबल वार्मिंग से चक्रवातों का खतरा बढ़ेगा, 40 प्रतिशत लोग आएंगे इसके संपर्क में : रिसर्च

Renuka Sahu
4 Oct 2021 5:09 AM GMT
मध्य सदी में ग्लोबल वार्मिंग से चक्रवातों का खतरा बढ़ेगा, 40 प्रतिशत लोग आएंगे इसके संपर्क में : रिसर्च
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फाइल फोटो 

चक्रवात दुनियाभर के लिए एक बड़ी परेशानी है. जब भी चक्रवात आता है तो भारी तबाही देखने को मिलती है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। चक्रवात दुनियाभर के लिए एक बड़ी परेशानी है. जब भी चक्रवात (Cyclone) आता है तो भारी तबाही देखने को मिलती है. अब इन्ही चक्रवातों के प्रभाव को कम करने के लिए दुनियाभर के वैज्ञानिक अध्ययन में जुटे हुए हैं. पाट्सडैम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इंपैक्ट रिसर्च एक अध्ययन में पाया गया है कि भविष्य में ग्लोबल वार्मिंग (Global warming) में एक से दो डिग्री सेल्सियस तक की बढ़ोतरी हो सकती है और इसका सबसे ज्यादा असर उष्णकटिबंधीय चक्रवातों (Tropical Cyclone) में पड़ेगा. इससे दुनियाभर की 25 प्रतिशत आबादी को खतरा पैदा हो सकता है.

वर्तमान में, तूफान और आंधी दुनिया भर में सबसे विनाशकारी प्राकृतिक आपदाओं में से हैं और संभावित रूप से हर साल लगभग 150 मिलियन लोगों को इससे खतरा रहता है. जलवायु परिवर्तन के साथ, जनसंख्या वृद्धि ने उष्णकटिबंधीय चक्रवात के जोखिम को और ज्यादा बढ़ा दिया है. इस समय पूर्वी अफ्रीकी देशों और संयुक्त राज्य अमेरिका के तटीय क्षेत्रों में चक्रवातों का सबसे ज्यादा खतरा है.
40 प्रतिशत लोग चक्रवात के संपर्क में आएंगे
नेचर क्लाइमेट चेंज में प्रकाशित नए अध्ययन के प्रमुख लेखक, पॉट्सडैम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च (PIK) के एक शोधकर्ता टोबियास गीगर और ड्यूशर वेटरडिएनस्ट (DWD) ने कहा कि यदि हम जनसंख्या वृद्धि को दो डिग्री सेल्सियस ग्लोबल वार्मिंग में जोड़ दें, तो 2050 तक हम सीए की वृद्धि भी देख सकते हैं. अध्ययन में कहा गया कि करीब 40 प्रतिशत लोग उस समय चक्रवात के संपर्क में आते हैं.
अध्ययन में यह भी कहा गया कि मध्य सदी के आस पास विश्व की आबादी अपने चरम पर पहुंच सकती है ऐसी स्थिति में जलवायु परिवर्तन के कारण एक बड़ी आबादी को तीव्र गति वाले चक्रवातों का सामना करना पड़ सकता है.
चक्रवाती क्षेत्रों में घटेगी आबादी
वैश्विक महत्वाकांक्षा वार्मिंग को दो डिग्री से नीचे तक सीमित करने की है, फिर भी बदलती जलवायु परिवर्तन की तुलना में 50 साल बाद ग्लोबल वार्मिंग के दो डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने से काफी अलग परिणाम हो सकते हैं. जर्मनी, स्विट्ज़रलैंड और अमेरिका के वैज्ञानिकों की एक टीम ने कंप्यूटर आधारित विश्लेषण में अनुमान लगाया गया कि 2100 तक वैश्विक स्तर पर चक्रवात क्षेत्रों में एक अप्रत्याशित जनसंख्या में गिरावट देखने को मिल सकता है.
गीगर ने रेखांकित किया, "यदि हम ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को तेजी से कम करते हैं और केवल 2100 में ग्लोबल वार्मिंग के दो डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाते हैं तो यह चक्रवातों से मात्र 20 प्रतिशत की आबाद प्रभावित हो सकती है. यह खोज महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे पता चलता है कि ग्लोबल वार्मिंग को कम करने से गंभीर उष्णकटिबंधीय चक्रवात के प्रभाव संभावित खत्म हो जाते हैं और बहुत कम लोग ही इनके जोखिम में होंगे.


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