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ग्लोबल वॉर्मिंग
दुनियाभर के 99.9 फीसदी वैज्ञानिकों ने यह बात मान ली है कि इंसानों की वजह से क्लाइमेट इमरजेंसी (Climate Emergency) की नौबत आ चुकी है. इंसानों की वजह से ही जलवायु परिवर्तन हो रहा है. जिसकी वजह से ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ रही है. इस बात का खुलासा ग्लासगो में हुए Cop26 समिट के दौरान हुआ. अब इस बात पर कोई विवाद नहीं बचा है कि इंसान जलवायु परिवर्तन कर रहे थे या नहीं.
दुनियाभर के वैज्ञानिकों ने इंसानों द्वारा लाए गए क्लाइमेट इमरजेंसी यानी जलवायु आपातकाल की स्थिति पर रिपोर्ट आसानी से तैयार नहीं की है. इस स्टडी को तैयार करने के लिए जलवायु से संबंधित 90 हजार स्टडीज का अध्ययन और विश्लेषण किया गया है. जिसके बाद यह नतीजा निकाला गया है कि जीवाश्म ईंधन, तेल, गैस, कोयला, पीट और पेड़-पौधे काटने की वजह से धरती की गर्मी बढ़ रही है. जिसकी वजह से बेमौसम आपदाएं आ रही हैं.
इससे पहले जलवायु परिवर्तन पर साल 2013 में एक रिपोर्ट आई थी, जिसमें 1991 से 2012 तक की 97 फीसदी जलवायु संबंधी स्टडीज में यह बात कही गई थी कि इंसान ही धरती के मौसम को बदलने पर उतारू हैं. जाने-अनजाने में अपनी सुविधाओं के लिए वो ऐसा करते जा रहे हैं. जिसकी वजह से जलवायु परिवर्तन हो रहा है और ग्लोबल वॉर्मिंग हो रही है.
साल 2013 वाली स्टडी को ही इस बार कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने विस्तार से आगे बढ़ाया है. जिसमें न के बराबर ही वैज्ञानिक हैं जो इस बात को नहीं मानते कि जलवायु परिवर्तन के पीछे इंसानी गतिविधियां शामिल हैं. जबकि, 99.9 फीसदी वैज्ञानिक यह मानते हैं कि जीवाश्म ईंधन जलाने और जलवायु परिवर्तन का सीधा संबंध है. जिसके लिए इंसान सीधे तौर पर जिम्मेदार है.
कॉर्नेल यूनिवर्सिटी की स्टडी दो हिस्सों में की गई है. पहली वैज्ञानिकों ने 3000 स्टडीज के रैंडम सैंपल लिए, जिसमें से उनको सिर्फऱ चार पेपर्स ऐसे मिले जिनमें इंसानों द्वारा प्रदूषण फैलाने की बात पर संदेह जाहिर किया जा रहा है. दूसरी स्टडी में जब 88,125 स्टडीज का पूरा डेटा बेस खंगाला गया तो पता चला कि इंसान ही बढ़ती गर्मी, प्रदूषण आदि के लिए जिम्मेदार है. इन स्टडीज में से सिर्फ 28 स्टडीज ऐसी थीं, जो किसी छोटे जर्नल में प्रकाशित हुई थी.
कॉर्नेल यूनिवर्सिटी की स्टडी हाल ही में जर्नल एनवायरमेंटल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित हुई है. इस स्टडी के प्रमुख शोधकर्ता मार्क लिनास ने कहा कि अब पूरी दुनिया यह मान चुकी है कि इंसानों ने धरती का तापमान बिगाड़ा है. मौसम बिगाड़ा है. इसके पीछे जीवाश्म ईंधन जलाना, गैसों का उपयोग करना, ज्यादा तेल निकालने की चाहत आदि शामिल हैं. इसी वजह से जलवायु परिवर्तन तेजी से हो रहा है. जिससे आकस्मिक प्राकृतिक आपदाएं आ रही हैं.
'Case closed': 99.9% of scientists agree climate emergency caused by humans https://t.co/YVC4qP6GN5
— Guardian Science (@guardianscience) October 19, 2021
संयुक्त राष्ट्र की संस्था इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) ने भी अगस्त में एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि इंसानी गतिविधियों की वजह से वायुमंडल, सागर और जमीन तीनों प्रदूषित हो रहे हैं. तीनों का तापमान बढ़ रहा है. लेकिन आम लोग ये समझ नहीं पाते कि आखिर कौन सी बात सही है. जैसे अमेरिकी सिगरेट कंपनियां हमेशा इस बात को लेकर संदेह जताती आई हैं कि धूम्रपान और कैंसर का सीधा संबंध है.
Pew Research Center द्वारा साल 2016 में की गई एक स्टडी में 27 फीसदी अमेरिकी वयस्क यह मानते थे कि वैज्ञानिक जलवायु परिवर्तन और इंसानी गतिविधियों के बारे में सही कह रहे हैं. जॉर्ज डब्ल्यू बुश के कार्यकाल में कई सीनियर रिपब्लिकन्स जलवायु परिवर्तिन और इंसानी गतिविधियों के बीच सीधे संबंध पर शक जाहिर करते थे. सेंटर फॉर अमेरिकन प्रोग्रेस के मुताबिक 30 यूएस सीनेटर और 109 रिप्रेजेंटेटिव यह मानने को तैयार नहीं थे कि इंसानी गतिविधियों की वजह से जलवायु परिवर्तन हो रहा है.
मार्क लिनास से कहा है कि अब ऐसा समय नहीं रहा कि आप शक करें. क्योंकि जलवायु परिवर्तन आपकी भी किसी हरकत की वजह से हो रहा है. अब देशों को नीतियां बनानी होंगी. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को सही जानकारी देनी होगी. ताकि लोग जलवायु संबंधी समस्याओं से वाकिफ हो सकें. क्योंकि दुनियाभर के साइंटिस्ट को इस बात को मान ही चुके हैं. बात अब सिर्फ लोगों, सरकारों, देशों, मीडिया हाउसेस, औद्योगिक घरानों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को मानने की है.
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