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भारत, रूस, चीन और जापान ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया।
संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार परिषद ने शुक्रवार को स्वच्छ और स्वस्थ पर्यावरण को मूलभूत अधिकारों में शामिल कर लिया। इसके चलते पर्यावरण सुधार के लिए चल रहे वैश्विक प्रयासों को बल मिलने की संभावना है। इससे संबंधित संकल्प को परिषद को उत्साहजनक समर्थन मिला और वह खासे अंतर से पारित हुआ। इस संकल्प का कुछ देशों ने विरोध भी किया। इन देशों में अमेरिका और ब्रिटेन प्रमुख हैं। इस संकल्प पर सबसे पहले 1990 में चर्चा हुई थी, अब यह पारित हुआ है। यह संकल्प कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है लेकिन इससे पर्यावरण को लेकर वैश्विक मानक तय करने में मदद मिलेगी।
पर्यावरण के मामलों से जुड़े अधिवक्ताओं के अनुसार इस संकल्प के पारित हो जाने से पर्यावरण को मानवाधिकार से जोड़ने वाली कानूनी बहस को बल मिलेगा। मानवाधिकारों और पर्यावरण मामलों के संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत डेविड बोएड के अनुसार पर्यावरण प्रदूषित होने के चलते दुनिया में प्रतिवर्ष 90 लाख लोगों की अकाल मौत हो रही है। हमें प्रदूषण के खतरों को गंभीरता से लेना होगा। स्वच्छ और स्वस्थ पर्यावरण को मूलभूत अधिकारों में शामिल करने से संबंधित संकल्प का प्रस्ताव कोस्टारिका, मालदीव, मोरक्को, स्लोवेनिया और स्विट्जरलैंड ने संयुक्त रूप से पेश किया। इस संकल्प के समर्थन 43 वोट पड़े। बहस के शुरुआती दौर में ब्रिटेन ने संकल्प का विरोध किया लेकिन मतदान में उसने संकल्प के समर्थन में वोट डाला। भारत, रूस, चीन और जापान ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया।
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