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लड़कियों को स्कूलों में जाने की अनुमति मिलनी चाहिए: पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई

Neha Dani
25 Jan 2022 9:42 AM GMT
लड़कियों को स्कूलों में जाने की अनुमति मिलनी चाहिए: पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई
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अफगानिस्तान की 97 प्रतिशत जनसंख्या इस वर्ष गरीबी रेखा से नीचे आ सकती है.

अफगानिस्तान (Afghanistan) के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई (Hamid karzai) ने लड़कियों और महिलाओं की शिक्षा के प्रमुख मुद्दे पर अपना कड़ा रुख दोहराते हुए कहा कि मार्च में फिर से स्कूल खुलने पर अफगान लड़कियों (Afghan girls) को स्कूलों में जाने की अनुमति दी जानी चाहिए. करजई ने अमेरिकी समाचार नेटवर्क सीएनएन के साथ एक इंटरव्यू में कहा कि 'कोई बहाना नहीं हो सकता और कोई बहाना नहीं चाहिए देश की लड़कियों को स्कूल लौटना चाहिए'. उन्होंने कहा महिलाओं को भी काम पर लौटना चाहिए. हमारा धर्म इसकी अनुमति देता है. सिद्धांतों या अधिकारों से कोई समझौता नहीं होना चाहिए. देश को बेहतर ढंग से चलाना चाहिए.

बता दें कि अफगानिस्तान से संबंधित व्यापक मुद्दों पर नॉर्वे की राजधानी में बातचीत चल रही है. अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी के नेतृत्व में तालिबान के एक प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को ओस्लो में पश्चिमी देशों के दूतों से मुलाकात की. इससे पहले तालिबान प्रतिनिधिमंडल ने सिविल सोसाइटी के सदस्यों से भी मुलाकात की. करजई ने इस बैठकों का समर्थन किया है. विशेषज्ञों का मानना है कि ये बैठकें अफगानिस्तान में समस्याओं के हल में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. करजई ने कहा कि हम तालिबान सरकार के प्रतिनिधियों और नागरिक समाज के सदस्यों के बीच नॉर्वे में हुई बैठकों से खुश हैं. हमने बहुत कुछ रचनात्मक बातचीत की है.
शांतिपूर्ण अफगानिस्तान के लिए करें काम: करजई
अफगानिस्तान की भलाई के लिए करजई ने कहा कि एक ही समय में दो गतिविधियों का समानांतर ट्रैक होना चाहिए. उन्होंने कहा 'हमें इस मार्च में लड़कियों के लिए स्कूल खोलने के साथ आगे बढ़ते हुए एक संविधान बनाकर अन्य सभी अफगानों की राय और आकांक्षाओं को शामिल कर एक स्थिर और शांतिपूर्ण अफगानिस्तान के लिए काम करना शुरू करना चाहिए'. लड़कियों की शिक्षा के मुद्दे का समर्थन करते हुए पूर्व राष्ट्रपति ने कहा 'हम सभी आपस में बैठते हैं, एक-दूसरे को समझते हैं और मतभेदों के बावजूद एक-दूसरे के साथ काम करते हैं'.
अफगानिस्तान में भुखमरी
बता दें कि अफगानिस्तान सूखे, महामारी, आर्थिक पतन और वर्षों के संघर्ष के प्रभावों से जूझ रहा है. लगभग 2.4 करोड़ लोग भोजन की कमी का सामना कर रहे हैं. रिपोर्टों से संकेत मिल रहे हैं कि दस लाख बच्चे भूख से मर सकते हैं. संयुक्त राष्ट्र के अनुमानों के अनुसार, इस सर्दी में आधी से अधिक आबादी अकाल का सामना कर रही है. अफगानिस्तान की 97 प्रतिशत जनसंख्या इस वर्ष गरीबी रेखा से नीचे आ सकती है.

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