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इस देश में शादी के लिए नहीं मिल रहीं लड़कियां...सरकार ने उठाया ये अजीबोगरीब कदम

Admin2
30 Jan 2021 2:10 PM GMT
इस देश में शादी के लिए नहीं मिल रहीं लड़कियां...सरकार ने उठाया ये अजीबोगरीब कदम
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अजीबोगरीब कदम

चीन में एक ऐसी समस्या खड़ी हो गई है, जिससे निपटने के लिए चीन को कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी. दरअसल, चीन की आबादी तेजी से बूढ़ी हो रही है और युवा चीनी शादी करने को लिए इच्छुक नहीं है, जिस कारण युवा आबादी सिकुड़ रही है. चीनी मिलेनियल्स (युवा वर्ग जो 90 के दशक के आखिर में पैदा हुआ) की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है और ये वर्ग शादी नहीं करने या उसे टालने में यकीन रखने वाला है. सीएनन की रिपोर्ट के अनुसार, चीन के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले छह सालों में पहली बार शादी करने वाले लोगों की संख्या में 41 फीसदी की गिरावट हुई है. ये संख्या 2013 में 2.38 करोड़ थी, जो 2019 में घटकर 1.39 करोड़ हो गई. चीन की जनसंख्या वृद्धि को सीमित करने के लिए तैयार की गई दशकों की नीतियों के चलते यह गिरावट हुई है. इसका मतलब यह है कि चीन में शादी करने के लिए युवा आबादी बहुत कम है. दूसरी ओर शादी को लेकर युवाओं की राय भी बदल रही है, खासतौर पर युवा महिलाओं की.

2019 में चीन में शादी करने की दर 1000 लोगों पर 6.6 रही, जिसमें 2013 के मुकाबले 33 फीसदी की गिरावट हुई. ये पिछले 14 सालों में सबसे कम थी. चीनी अधिकारियों ने इसके पीछे की वजह 'One Child Policy' (एक बच्चा नीति) को बताया. One Child Policy को 1979 में चीन सरकार देश की आबादी पर काबू करने के लिए लाई थी. इस नीति के चलते 2014 में देश की काम करने की आबादी सिकुड़ने लगी. इसने चीनी नेताओं के समक्ष अलार्म का काम किया और अगले साल ही चीन ने One Child Policy पर रोक लगाने का एलान किया. सरकार ने कहा कि 1 जनवरी, 2016 से One Child Policy पूरी तरह से खत्म कर दी गई. लेकिन फिर भी शादी और जन्मदर गिरती रही.

केवल जनसांख्यिकीय के चलते ही चीन में शादी की दर में गिरावट नहीं हुई है, बल्कि चीन में अब महिलाएं अधिक शिक्षित और आर्थिक रूप में स्वतंत्र हुई हैं. दरअसल, 1990 में चीन सरकार ने नौ साल की शिक्षा को अनिवार्य कर दिया. इससे गरीब क्षेत्रों में रहने वाली लड़कियां भी स्कूलों तक पहुंची. वहीं, 1999 में सरकार ने उच्च शिक्षा में विस्तार दिया. सरकार के इन निर्णयों के चलते महिलाओं को उच्च शिक्षा हासिल होना शुरू हो गया. 2016, महिलाओं ने उच्च शिक्षा कार्यक्रमों में पुरुषों को पछाड़ना शुरू किया. कॉलेज में महिला छात्रों की संख्या 52.5 फीसदी और पोस्ट ग्रेजुएशन में इनकी संख्या 50.6 फीसदी हो गई. उच्च शिक्षा से महिलाओं को आर्थिक आजादी मिली और इनका शादी के प्रति रवैया बदल गया. हालांकि, चीनी समाज अभी भी पितृ प्रधान है, इस कारण महिलाओं को लगता है कि अगर वो शादी करती हैं, तो उन्हें जीवनभर अपनी जिंदगी किचन में ही गुजारनी पड़ेगी.

लगातार गिरती आबादी के चलते चीन सरकार चिंतित है और अब इसने कदम उठाने भी शुरू कर दिए हैं. लेकिन लोगों को जागरूक करने के लिए अभी भी चीन प्रोपेगैंडा का ही सहारा ले रहा है. चीनी मीडिया द्वारा प्रोपेगैंडा फैलाया जा रहा है कि बच्चे का जन्म एक पारिवारिक मसला ही नहीं है, बल्कि ये देश का भी मसला है. शहरों और गांवों में लोगों से दो बच्चों को पैदा करने को कहा जा रहा है. सरकार चाहती है कि नए बच्चे पैदा हो, ताकि आबादी युवा रहे. अब चीन में Two Child Policy लाई गई है, इसके अलावा, प्रांतीय सरकारों ने राष्ट्रीय मानकों के अनुसार 98 दिनों से अधिक के मातृत्व अवकाश को बढ़ाकर 190 दिनों तक कर दिया है. कुछ शहरों ने एक दूसरे बच्चे के साथ जोड़ों को नकद अनुदान देना भी शुरू कर दिया. चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) की यूथ विंग कम्युनिस्ट यूथ लीग को शादी करवाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जो ब्लाइंट डेट करवा रहे हैं, ताकि लोगों को अपना जीवनसाथी मिल सके.

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