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चेन्नई, (आईएएनएस)| जनरल इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (जीआईसी री) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उर्वरक, तेल के आयात को कवर करने के लिए बीमा पूल ने अब तक लगभग 15-20 करोड़ रुपये का प्रीमियम अर्जित किया है।
रूस, बेलारूस से आयातित उत्पादों के लिए पुनबीर्मा कवर लगभग एक साल पहले शुरू हुए रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद शुरू हुए थे।
बीमा कवर प्रदान करने के लिए, भारतीय गैर-जीवन बीमा उद्योग ने पिछले जून में 500 करोड़ रुपये का 'उर्वरक पूल' बनाने का फैसला किया।
रूसी-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के तुरंत बाद, यूरोपीय पुनबीर्माकर्ताओं ने रूस और बेलारूस से उर्वरक के आयात के लिए पुनर्बीमा समर्थन को अस्वीकार कर दिया।
उस समय भारत रूस से उर्वरक आयात कर रहा था। जल्द ही भारत ने बड़ी मात्रा में रूसी तेल का आयात करना शुरू कर दिया और पूल से बीमा कवर प्रदान किया गया।
जीआईसी री के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर आईएएनएस को बताया, रूस, बेलारूस से उर्वरक और तेल को कवर करने के लिए अर्जित कुल प्रीमियम लगभग 15-20 करोड़ रुपये होगा, और इसका कोई दावा नहीं है।
यह पता चला है, पूल क्षमता का 75 प्रतिशत जीआईसी री (51 प्रतिशत) और चार सरकारी स्वामित्व वाली सामान्य बीमा कंपनियों (24 प्रतिशत) और शेष कई निजी बीमाकर्ताओं द्वारा योगदान दिया जाता है। पूल का प्रबंधन जीआईसी री द्वारा किया जाता है।
प्राथमिक बीमाकर्ताओं द्वारा उर्वरक आयात का बीमा करने के लिए एकत्रित प्रीमियम को कुछ प्रशासनिक खचरें में कटौती करने के बाद पूल में जमा कर दिया जाएगा। दावों का भुगतान पूल से किया जाता है।
आतंकवाद और परमाणु बीमा पूल के बाद भारत में यह तीसरा बीमा पूल है।
--आईएएनएस
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Rani Sahu
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