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आज हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं, जो न केवल हाउंटेड है, बल्कि अब इसे आम लोगों के लिए भी खोल दिया गया है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। लोगों को भूतों के नाम से भले ही डर लगता है, लेकिन उनके बारे में जानने की इच्छा हर कोई रखता है. आज हम आपको एक ऐसी ही जगह के बारे में बताने जा रहे हैं, जो न केवल हाउंटेड है, बल्कि अब इस जगह को आम लोगों के लिए भी खोल दिया गया है. ये कोई टूरिस्ट प्लेस नहीं, बल्कि एक पागलखना है. लेकिन यहां के लोगों का मानना है कि यहां भूतों का वास है. उन्हें कई बार अजीबोगरीब आवाजें भी सुनाई दी हैं.
डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका के जॉर्जिया में सेंट्रल स्टेट हॉस्पिटल नाम का एक पागलखाना था, जिसे 1842 में बनाया गया था. पहले इसका नाम जॉर्जिया स्टेट लुनेटिक इडियट और एपिलेप्टिक असायलम था. 1960 तक इसे दुनिया का सबसे बड़ा पागलखाना माना जाता था. तब यह 12 हजार से ज्यादा मरीजों का घर हुआ करता था. रिपोर्ट के मुताबिक, दूसरे विश्व युद्ध के बाद से इस अस्पताल की हालत खस्ता होने लगी थी. फंड की कमी और जानकार डॉक्टरों के अभाव में मरीजों को इलाज के नाम पर टॉर्चर किया जा रहा था. डॉक्टर तब उन्हें बिजली के झटके और इंसूलिन शॉक दिया करते थे.
बताया जाता है कि तब इस पागलखाने में मरीजों के साथ बड़ा ही अमानवीय व्यवहार किया जाता था. इनमें लोहे के पिंजरे में उन्हें बंद करने से लेकर जबरन स्टीम बाथ या ठंडे पानी से नहाया जाता था. इसके अलावा टॉर्चर के नाम पर यहां एक स्ट्रेट जैकेट भी होता था, जिससे मरीजों को काफी पीड़ा होती थी.
यह जानकर आपको बेहद हैरानी होगी की इस पगलखाने के कैम्पस में 25 हजार मरीजों को दफनाया गया था. यहां उनके नाम की प्लेट भी आपको देखने को मिल जाएंगी. लोकल मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि 8 हजार एकड़ में बने इस पागलखाने में कई इमारतें खाली पड़ी हुई हैं. कहते हैं कि यहां अक्सर घोस्ट बस्टर्स भूतों को पकड़ने या महसूस करने आते रहते हैं. स्थानीय लोगों की मानें यह एक हॉन्टेड प्लेस यानी भुतहा जगह है. लेकिन अब तक इस दिशा में कोई सबूत हाथ नहीं लगे हैं.
आज की तारीख में बिल्डिंग का एक हिस्सा एक्टिव है, जहां लगभग 300 लोगों का इलाज होता है. हालांकि, पहले की तरह उन्हें टॉर्चर नहीं किया जाता. पहली बार जनवरी 2020 में अस्पताल का एक ऑफिशियल टूर कराया गया. अब यह आम लोगों के लिए भी खोल दिया गया है. लोगों को इस अस्पताल के इतिहास के बारे में बताया जाता है.
Shiddhant Shriwas
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