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उन्होंने यह बात यूरोप में तैनात अमेरिकी परमाणु हथियारों की तैनाती के मद्देनजर कही थी.
अमेरिका- रूस (US-Russia) और अमेरिका-चीन (US-China) के बीच तनाव पिछले करीब एक साल से ज्यादा समय से बना हुआ है. परमाणु ताकत (Nuclear Power) से लैस इन शक्तियों के बीच कोई भी युद्ध (War) दुनिया को तबाह कर सकता है. अमेरिका के कई सीनियर मिलिट्री ऑफिसर्स ने जहां पहले भी इस बात को माना है तो अब एक अमेरिकी जनरल की तरफ से इस बाबत एक वॉर्निंग दी गई है.
तीनों ही देश ऐसे हैं जिनके पास कई परमाणु हथियार हैं. रॉकेट और मिसाइलों से लेकर ये तीनों हर तरह के मॉर्डन हथियारों को लॉन्च करने की ताकत रखते हैं. ऐसे में अगर इनके बीच तनाव बढ़ा तो फिर क्या होगा, इस बात का बस अंदाजा ही लगाया जा सकता है. ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूशन जो कि एक थिंक-टैंक है, यहां पर आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए अमेरिका वाइस ज्वॉइन्ट चीफ्स ऑफ स्टाफ जनरल जॉन ई हाइटन ने एक बड़ी बात कही है.
ठंडे दिमाग से सोचने की जरूरत
वॉशिंगटन स्थित थिंक-टैंक की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए जनरल जॉन ने चेतावनी दी है कि अगर रूस और चीन के साथ किसी भी तरह का युद्ध छिड़ा तो फिर स्थिति नियंत्रण से बाहर हो सकती है. उन्होंने कहा कि अमेरिका, रूस या फिर चीन के साथ किसी भी तरह के संघर्ष को टालने के लिए ठंडे दिमाग से जरूर सोचेगा. जनरल जॉन के शब्दों में, 'हमनें कभी भी सोवियत यूनियन से कोई लड़ाई नहीं की है. एक महाशक्ति के तौर पर हमेशा से हमारा लक्ष्य रहा है कि हम चीन और रूस के साथ कभी भी किसी भी तरह के युद्ध की तरफ न बढ़ें.
रूस से खतरा नहीं लेकिन…
जनरल हाइटन ने आगे कहा, 'इस तरह की घटनाएं दुनिया को तो तबाह कर ही देंगी, साथ ही साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था भी खतरे में पड़ सकती है.' उनकी मानें तो इन देशों के साथ युद्ध किसी के लिए भी बुरे होंगे. ऐसे में इस बात को सुनिश्चित करना होगा कि अमेरिका अपने रास्ते से न हटे.
हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि सोवियत संघ के पतन के बाद रूस अब अमेरिका के लिए कोई खतरा नहीं है. वो इसके अलावा ये कहना भी नहीं भूले हैं कि रूस की सेनाएं अब अपने परमाणु हथियारों के जखीरे को आधुनिक बनाने में लगी हैं और ये बात अमेरिका के लिए परेशान करने वाली हैं.
चीन को रोकना असंभव
उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच रिश्तों को सामान्य करने की दिशा में कुछ प्रगति हुई है मगर ये काफी नहीं है. अभी लंबा रास्ता तय करना है ताकि क्षेत्र में स्थिरता कायम रहे. वहीं अमेरिकी सरकार इस बात को लेकर परेशान है कि चीन के साथ इसी तरह के कदम कुछ काम नहीं आ रहे हैं. चीन का परमाणु खजाना अब सबके सामने आ रहा है.
उन्होंने कहा कि रूस ने अपने परमाणु हथियारों को एक सीमा तक ही बढ़ाया है. मगर चीन के साथ ऐसा नहीं है और वो पनडुब्बी से लेकर इंटर-कॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल से लेकर हर वो हथियार तेजी से बना रहा है, जो परमाणु क्षमता से लैस है.
इससे पहले दिसंबर 2020 में रूस के उप-विदेश मंत्री ने अमेरिका को दोष दिया था. उन्होंने कहा था कि रूस नहीं बल्कि व्हाइट हाउस की नीतियों की वजह से खतरा पैदा हो रहा है. उन्होंने यह बात यूरोप में तैनात अमेरिकी परमाणु हथियारों की तैनाती के मद्देनजर कही थी.
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