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किस्मत का खेल! मिला था मौत का फरमान, पर हुई केवल जेल की सजा, सऊदी के तीन युवकों की कुछ ऐसी है कहानी

Gulabi
8 Feb 2021 11:05 AM GMT
किस्मत का खेल! मिला था मौत का फरमान, पर हुई केवल जेल की सजा, सऊदी के तीन युवकों की कुछ ऐसी है कहानी
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सऊदी अरब अपने कड़े कानूनों के लिए दुनियाभर में जाना जाता है. लेकिन इ

सऊदी अरब (Saudi Arabia) अपने कड़े कानूनों के लिए दुनियाभर में जाना जाता है. लेकिन इस कारण किंगडम पर मानवाधिकारों के उल्लंघन (Human Rights Violation) का भी आरोप लगता रहा है. हालांकि, अब सऊदी के सजा देने के प्रावधानों में कुछ बदलाव होते हुए नजर आ रहा है. दरअसल, सऊदी मानवाधिकार आयोग (Saudi Human Rights Commission) ने बताया है कि नाबालिग रहने के दौरान तीन युवा सऊदी लोगों (Three Young Saudi Men) को जिन अपराधों के लिए मौत की सजा (Death Sentences) सुनाई गई थी, उसके बदलकर अब 10 साल जेल की सजा दे दी गई है.


सऊदी अरब के शिया अल्पसंख्यक (Shiite minority) समुदाय से आने वाले अली अल-निम्र, दाऊद अल-मरहून और अब्दुल्लाह अल-जाहेर को सरकार विरोधी शिया प्रदर्शनों (Shiite demonstrations) में भाग लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. शिया अल्पसंख्यकों ने 2011-12 में देश के पूर्वी प्रांत में इन प्रदर्शनों को किया था, जिससे किंगडम की नींव हिल गई थी. ह्यूमन राइट्स वाच के मुताबिक, अल निम्र प्रमुख विपक्षी मौलाना शेख निम्र अल-निम्र (Shiekh Nimr al-Nimr) का भतीजा है. शेख निम्र अल-निम्र को सऊदी अरब में फांसी दी गई थी, जिसको लेकर बहरीन से लेकर पाकिस्तान तक में रहने वाले शिया समुदाय ने प्रदर्शन किया था. वहीं, अली अल-निम्र को 2012 में 17 साल की उम्र में गिरफ्तार किया गया था. उसे रियाद के विशेष आपराधिक न्यायालय द्वारा मौत की सजा सुनाई गई थी. ये अदालत आतंकवाद से जुड़े मुद्दों को देखती है.

2022 में रिहा होंने तीन युवक
सरकार ने जब देश विरोधी शिया प्रदर्शनों पर कार्रवाई कर गिरफ्तारी की थी, उस समय अल-मरहून की उम्र 17 साल और अल-जाहेर की उम्र केवल 15 साल थी. इस दौरान इन्हें वकील करने की अनुमति भी नहीं दी गई. अदालत ने इन्हें मौत की सजा सुनाई थी. वहीं, सऊदी मानवाधिकार आयोग का कहना है कि गिरफ्तारी के बाद से अभी तक बिताए गए समय को भी जेल की सजा में गिना जाएगा. इस तरह इन तीनों युवकों की 10 साल की सजा 2022 में खत्म होगी और तब इन्हें रिहा कर दिया जाएगा. अल निम्र के पिता मोहम्मद ने ट्विटर पर इस फैसले का स्वागत किया और इसे किंग सलमान (King Salman) द्वारा दिया गया सीधा आदेश बताया. हालांकि, अभी तक सरकार के सूचना मंत्रालय ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है.

नाबालिगों को दी जाने वाली मौत की सजा को किया गया खत्म
अदालत द्वारा ये फैसला तब दिया गया है, जब एक साल पहले सऊदी अरब ने नाबालिगों को सुनाई जाने वाली मौत की सजा को खत्म करने का आदेश दिया. शाही फरमान के जरिए नाबालिग रहते हुए अपराध के दोषी किसी भी व्यक्ति के लिए किशोर हिरासत में अधिकतम 10 साल की सजा तय की गई है. मानवाधिकार समूहों द्वारा लंबे समय से किंगडम में मृत्युदंड की सजा को खत्म करने की मांग की गई है, खासतौर पर नाबालिगों के लिए. हालांकि, अभी इन तीन युवकों की सजा बदलने का मानवाधिकार समूहों द्वारा स्वागत किया गया है, लेकिन इन्हें अभी भी इस बात का डर है कि क्या सही तरीके से लागू हो पाएगा.


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