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एक ही मंच पर जुटे रूस, चीन और ईरान पर चर्चा के लिए जी 7 के विदेश मंत्री

Renuka Sahu
11 Dec 2021 1:23 AM GMT
एक ही मंच पर जुटे रूस, चीन और ईरान पर चर्चा के लिए जी 7 के विदेश मंत्री
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फाइल फोटो 

दुनिया के सात धनी देशों जी 7 के विदेश मंत्रियों ने शुक्रवार को ब्रिटेन के लिवरपूल शहर में दुनिया के ज्वलंत विषयों पर विचार विमर्श शुरू कर दिया। वि

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दुनिया के सात धनी देशों जी 7 के विदेश मंत्रियों ने शुक्रवार को ब्रिटेन के लिवरपूल शहर में दुनिया के ज्वलंत विषयों पर विचार विमर्श शुरू कर दिया। विदेश मंत्रियों के बीच यह चर्चा दो दिन तक चलेगी। चर्चा की शुरुआत में ही इन देशों ने रूस को संकेत दे दिया है कि अगर उसने यूक्रेन पर आक्रमण किया तो गंभीर आर्थिक प्रतिबंध झेलने के लिए तैयार रहे। शुक्रवार की शाम ब्रिटिश विदेश मंत्री लिज ट्रूस ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और जी 7 के अपने अन्य समकक्षों का स्वागत किया। यहां पर ये सभी लोग दो दिन तक दुनिया के विभिन्न मुद्दों पर वार्ता करेंगे और शांति व स्थिरता कायम रखने के लिए सहयोग बढ़ाने पर चर्चा करेंगे।

बैठक में मुख्य रूप से यूक्रेन सीमा पर रूस के फौजी जमावड़े , हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती ताकत और ईरान के परमाणु हथियार बनाने के बढ रहे प्रयास पर चर्चा होगी। साथ ही दुनिया में कोरोना संक्रमण की स्थिति और प्रभावित देशों में टीकाकरण की स्थिति पर भी चर्चा होगी। जी 7 में ब्रिटेन और अमेरिका के अतिरिक्त कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली और जापान शामिल हैं। चालू वर्ष के लिए ब्रिटेन इस समूह का अध्यक्ष है। ट्रूस ने इसी सप्ताह चेताया था कि विएना में हो रही वार्ता ईरान के साथ 2015 में हुआ परमाणु समझौता पुनर्जीवित करने का आखिरी मौका है। अगर यह वार्ता सफल नहीं होती है तो अन्य वैकल्पिक कदमों पर विचार किया जाएगा। ब्रिटेन की इस चेतावनी के बावजूद ईरान के तेवर ढीले नहीं पड़े और विएना में पिछले हफ्ते दोनों पक्षों की स्थगित हुई वार्ता शुरू नहीं हो सकी है। इस बीच ईरान का परमाणु हथियार बनाने के लिए यूरेनियम शोधित करने का प्रयास जारी है।
उल्लेखनीय है कि 2018 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस समझौते से हटने और ईरान पर प्रतिबंध लगाने से यह समझौता खटाई में पड़ गया था। अब अमेरिका फिर से इससे जुड़ने के लिए तैयार है लेकिन ईरान पहले प्रतिबंध हटाए जाने पर अड़ा है। ट्रूस ने रूस को भी चेतावनी दी थी कि यूक्रेन के खिलाफ किसी तरह की सैन्य कार्रवाई रूस के लिए रणनीतिक गलती होगी, जिसकी उसे बहुत बड़ी आर्थिक और कूटनीतिक नुकसान उठाना पड़ेगा।
अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकन ने भी रूस को इसी तरह की चेतावनी दी है। यूक्रेन के क्रीमिया इलाके पर 2014 में कब्जा कर लेने के बाद रूस को इस शक्तिशाली आर्थिक समूह से निकाला गया था।
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