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पूर्व नाटो शिखर सम्मेलन और यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन के लिए ब्रुसेल्स भी जाएंगे।
सात अमीर लोकतांत्रिक देशों का समूह इस सप्ताह एक शिखर सम्मेलन में दुनिया को यह दिखाने की कोशिश करेगा कि पश्चिम देश अब भी गरीब देशों को करोड़ों टीके दान करके जलवायु परिवर्तन का असर कम करने पर काम कर सकता है। इन देशों के नेता स्पष्ट करना चाहते हैं कि पश्चिमी देश चीन की ताकत और रूस की मुखरता का मुकाबला करने में सक्षम हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद अपने पहले विदेश दौरे पर शिखर सम्मेलन के लिए कार्बिस खाड़ी में आने वाले अहम नेता जो बाइडन इस काम में पश्चिमी देशों के साथ हैं। बता दें कि जलवायु परिवर्तन पर पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पेरिस समझौते से पीछे हट गए थे। इस सम्मेलन में जी-7 देशों में ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, इटली, जापान, जर्मनी और अमेरिका शामिल हैं।
राजनयिकों का कहना है कि शिखर सम्मेलन में जी-7 के नेता इस बारे में बात करेंगे कि चीन और रूस के साथ कैसा बर्ताव किया जाए। इसके साथ चीन की बढ़ती ताकत को रोकने के लिए विश्व में मुक्त व्यापार कैसे सुनिश्चित किया जाए। इसके अलावा कोविड-19 महामारी में खत्म हुए खरबों डॉलर के धन को किस तरह से वापस हासिल किया जाए। ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन ने 2022 तक पूरी दुनिया के टीकाकरण पर जोर दिया है।
विरोधियों के खिलाफ क्षमता साबित करेंगे
बाइडन ने स्पष्ट कर दिया है कि लोकतांत्रिक गठबंधन और संस्थान मौजूदा दौर के खतरों और विरोधियों के खिलाफ अपनी क्षमता साबित करेंगे। इन विरोधियों में चीन और रूस खासतौर पर शामिल हैं। इससे पहले सात देशों के वित्तमंत्रियों ने भी न्यूनतम कॉर्पोरेट टैक्स दर के 15 फीसदी रहने पर सहमति जताकर बता दिया कि वे एकजुट हैं और बहुपक्षीय सहयोग सफल हो सकता है।
बाइडन का देश के बाहर पहली बार कई कार्यक्रम
जी-7 के तीन दिनी शिखर सम्मेलन से एक दिन पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन सम्मेलन के अध्यक्ष व ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन से मुलाकात करेंगे। इस दौरे पर उनके विंडसर कैसल में 95 वर्षीय महारानी से मिलने का भी कार्यक्रम है। इसके बाद वे 16 जून को जिनेवा में क्रेमलिन प्रमुख व्हादिमीर पुतिन से मिलने के पूर्व नाटो शिखर सम्मेलन और यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन के लिए ब्रुसेल्स भी जाएंगे।
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