भारत आएंगे फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, ये है दौरा कार्यक्रम
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फ्रांस। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों अगले साल की शुरुआत में भारत का दौरा करेंगे। उनका यह दौरा महाराष्ट्र के जैतापुर में 1,650 मेगावाट क्षमता के परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के निर्माण पर नए सिरे से जोर दिए जाने के बीच होगा।
फ्रांस की विकास मामलों की उपमंत्री क्रिसौला जाचारोपोलू (Chrysoula Zacharopoulou) ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह के साथ एक बैठक के दौरान कहा कि मैक्रों का 2023 की शुरुआत में भारत आने का कार्यक्रम है। इस दौरान सिंह ने क्रिसौला को भरोसा दिलाया कि जैतापुर परियोजना से संबंधित तकनीकी, वित्तीय और असैन्य परमाणु दायित्व के मुद्दों को दोनों पक्षों द्वारा जल्द से जल्द और मैक्रों की निर्धारित यात्रा से बहुत पहले सुलझा लिया जाएगा।
भारत ने महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में स्थित जैतापुर में 1,650 मेगावाट क्षमता के छह परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के निर्माण की घोषणा की है, जो 9,900 मेगावाट की कुल क्षमता के साथ देश में सबसे बड़े परमाणु ऊर्जा स्थल के रूप में उभर सकता है। एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, सिंह और क्रिसौला ने जैतापुर में परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना में तेजी लाने के उपायों पर चर्चा की।
फ्रांसीसी मंत्री के साथ एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी था। इसमें भारत में फ्रांस के राजदूत इमैनुएल लेनैन (Emmanuel Lenain) और परमाणु सलाहकार थॉमस म्यूसेट (Thomas Mieusset) एवं अन्य फ्रांसीसी अधिकारी भी शामिल थे। फ्रांसीसी कंपनी ईडीएफ (EDF) ने पिछले साल न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआईएल) को जैतापुर में छह यूरोपीय दबावयुक्त संयंत्र (ईपीआर) बनाने के लिए अपनी बाध्यकारी तकनीकी-वाणिज्यिक प्रस्ताव पेश की थी। इस साल मई में, ईडीएफ की एक उच्च स्तरीय टीम ने भारत का दौरा किया था और एनपीसीआईएल के अधिकारियों के साथ विस्तृत बातचीत की थी।
सिंह और जाचारोपोलू दोनों ने विश्वसनीय, सस्ती और कम कार्बन उत्सर्जन ऊर्जा तक पहुंच के लिए रणनीतिक जैतापुर परियोजना की सफलता के लिए प्रतिबद्धता की पुष्टि की और लंबित मुद्दों को जल्द से जल्द सुलझाने पर सहमति व्यक्त की। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि एनपीसीआईएल इकाइयों के निर्माण और उन्हें चालू करने के साथ-साथ संयंत्र के मालिक और भविष्य के संचालक के रूप में भारत में सभी आवश्यक परमिट और सहमति प्राप्त करने के लिए जिम्मेदार होगा। इसमें भारतीय परमाणु नियामक द्वारा ईपीआर प्रौद्योगिकी का प्रमाणपत्र देना शामिल है।