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फ्रांस की सेना का संकट गहरा... राष्ट्रपति इमैनुएल ने चेतावनी देने वाले सैन्य कर्मियों को सेना से इस्तीफा देने को कहा

Neha Dani
13 May 2021 9:54 AM GMT
फ्रांस की सेना का संकट गहरा... राष्ट्रपति इमैनुएल ने चेतावनी देने वाले सैन्य कर्मियों को सेना से इस्तीफा देने को कहा
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मंत्रियों ने अलग-अलग बयानों में इन सैनिकों की निंदा जरूर की है।

फ्रांस की सेना का संकट गहरा गया है। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को पत्र लिख कर 'गृह युद्ध' की चेतावनी देने वाले सैन्य कर्मियों को सशस्त्र सैनिकों के चीफ ऑफ स्टाफ ने सेना से इस्तीफा देने को कहा है। सैन्य बलों के चीफ ऑफ स्टाफ फ्रांक्वां लिकॉइंत्रे ने बुधवार को कहा कि जो फ्रेंच सैनिक और अधिकारी राजनीतिक मामलों पर अपने विचार जताना चाहते हैं, उनके लिए सही उचित यह होगा कि सेना की तटस्थता से बिना समझौता किए वे ऐसा करें। इसका सही रास्ता यह है कि वे सेना से इस्तीफा दे दें। चीफ ऑफ स्टाफ ने ये बातें सेना के अधिकारियों, नॉन कमीशंड अफसरों, जवानों, नौसैनिकों और वायु सैनिकों को भेजे एक पत्र में कही हैं।

इसके पहले सैन्य कर्मियों ने राष्ट्रपति को एक पत्र भेजा था। इस तरह का यह दूसरा पत्र है। इसके पहले पिछले महीने 1000 से अधिक रिटायर्ड और मौजूदा सैनिकों ने एक पत्र लिखा था। दोनों पत्रों की भाषा लगभग एक जैसी है। दोनों में ये चेतावनी दी गई कि फ्रांस में गृह युद्ध के हालात पैदा हो रहे हैं। दोनों पत्रों में इस 'खतरे' के प्रति मैक्रों सरकार के रुख की कड़ी आलोचना की गई है।
दूसरा खुला पत्र सबसे पहले बीते रविवार को एक दक्षिणपंथी पत्रिका में छपा। इसमें चेतावनी दी गई कि हिंसा, इस्लामी विचारधारा और संस्थाओं के प्रति नफरत की भावना के कारण फ्रांस का क्षय हो रहा है। इसका अंतिम नतीजा गृह युद्ध के रूप में होगा, जिसमें सेना को देखल देना होगा। विश्लेषकों का कहना है कि इस पत्र ने मैक्रों सरकार को बचाव की मुद्रा में डाल दिया है। जिस समय राष्ट्रपति मैक्रों सुरक्षा के मामले में अपनी सख्त छवि पेश करने की कोशिश में हैं, इस पत्र से उनकी प्रतिष्ठा पर आंच आई है। इसीलिए इसे देश में गहरा रहे राजनीतिक संकट की एक झलक समझा गया है।
मैक्रों सरकार में आर्थिक मामलों के मंत्री ब्रूनो ली मायर ने सोमवार को आरोप लगाया था कि पत्र लिखने वाले सैनिक धुर दक्षिणपंथी प्रचार का शिकार हो गए हैं। उन्होंने कहा- 'इस्लामी विचारधारा फ्रांस को तोड़ने की कोशिश जरूर कर रही है, लेकिन हम उससे संघर्ष कर रहे हैं।' जानकारों का कहना है कि फ्रांस में हाल में कई पुलिस अधिकारियों पर हमले हुए हैं। पिछले हफ्ते अविगनन शहर में नशीले पदार्थ की बिक्री रोकने की कोशिश के समय एक पुलिस अधिकारी की हत्या कर दी गई। उसके कुछ रोज पहले एक पुलिस अधिकारी की छुरा मार कर हत्या कर दी गई थी। इन घटनाओं से देश में बेचैनी बढ़ी है। सैन्य कर्मियों के पत्र को इसी का परिणाम समझा गया है।
धुर दक्षिणपंथी नेशनल रैली की नेता मेरी ली पेन ने खुल कर पत्र लेखक सैनिकों का समर्थन किया है। इससे ये इल्जाम लगा है कि ये पत्र लिखवाने के पीछे धुर दक्षिणपंथी ताकतों का ही हाथ है, जो अगले साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले मैक्रों को कमजोर करना चाहती हैं। ली पेन राष्ट्रपति पद की दावेदार हैं।
अब चिंता इसलिए ज्यादा बढ़ी है, क्योंकि पिछले महीने जो पत्र लिखा गया था, उस पर दस्तखत करने वालों में ज्यादातर रिटायर्ड सैनिक थे, जबकि इस बार ज्यादातर वर्तमान सैनिक हैँ। इन सैनिकों ने पत्र में कहा- 'हम जो कह रहे हैं, वह हमारा पेशेवर आकलन है। हमने ऐसा क्षय संकटग्रस्त कई देशों में देखा है। व्यवस्था के ढहने, अफरा-तफरी मचने और हिंसा फैलने के पहले ऐसी ही घटनाएं होती हैं। अफरातफरी और हिंसा का कारण सैनिक बगावत नहीं, बल्कि नागरिक विद्रोह होगा।'
कुछ राजनीतिक हलकों में ताजा पत्र को सेना में पल रही बगावत का संकेत बताया गया है। वामपंथी नेता ज्यां-लुक मेलेनशॉं ने पत्र लेखकों को कायर और बागी तेवर वाले सैनिक बताया है। मेलेनशॉं अगले साल राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार होंगे। उन्होंने कहा कि वे जीते तो ऐसे सभी सैनिकों को सेना से निकाल बाहर किया जाएगा। राष्ट्रपति मैक्रों की पार्टी ला रिपब्लिक एन मार्च सेना में दिख रहे संकेतों पर साफ रुख लेने से बचती रही है। मंत्रियों ने अलग-अलग बयानों में इन सैनिकों की निंदा जरूर की है।

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