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फ़्रांस दंगों की आग में झुलस गया था

Sonam
3 July 2023 9:40 AM GMT
फ़्रांस दंगों की आग में झुलस गया था
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दिल्ली : एक पुलिस शूटआउट में 17 वर्ष के टीनेजर की मृत्यु के बाद बीते 6 दिनों से फ्रांस दंगों की आग में झुलस रहा है। अब तक करीब 1 हजार दंगाई अरैस्ट हो चुके हैं। लेकिन आग बुझने का नाम नहीं ले रही है। फ्रांस के 9 शहर ऐसे हैं जहां पर इस समय भी हिंसा का तांडव जारी है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या फ्रांसीसी ही फ्रांसीसियों के घरों को जला रहे हैं या इस काण्ड के पीछे कोई प्रयोग है। आइए जानते हैं क्या है दंगों की इनसाइड स्टोरी।

फ्रांस में दंगों का मास्टर माइंड कौन?

फ्रांस में भीड़ के निशाने पर पुलिस है। लोगों के घरों को भी जलाने से वो बाज नहीं आ रहे हैं। जो कुछ सड़क पर नजर आ रहा है उसे देखते ही आग के हवाले किया जा रहा है। ऐसे में प्रश्न उठ रहा है कि क्या फ्रांस अब पूरी तरह से गृहयुद्ध की चपेट में आ चुका है। फ्रांस के ऐसे हालात देखकर ये नहीं लगता है कि वास्तव में ये आक्रोश एक गोलीकांड की वजह से या फिर मामला कुछ और ही है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि फ्रांसीसी नागरिकों के घरों को निशाना बनाया जाने लगा है। और ये घटना सामान्य नहीं कही जा सकती है।

दंगे मुसलमान शरर्णाथियों का प्रयोग!

दरअसल शर्ले हेब्दो काण्ड के बाद से फ्रांस इसी तरह के दंगों की आग में झुलसने लगा था। इन घटनाओं में वृद्धि होने के पीछे तथाकथित तौर पर मुसलमान शरर्णार्थियों का ही नाम सामने आया था। अब एक बार फिर से फ्रांस ऐसी ही घटनाओं का शिकार हो गया है। इधर स्वीडन में हुई घटना के बाद से यूरोप के कई राष्ट्रों में हालात बिगडने लगे हैं। फ्रांस से इसकी बानगी भी मिल चुकी है तो इन आशंकाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है कि फ्रांस में गोलीकांड एक संयोग था और वहां हो रहे दंगे मुसलमान शरर्णाथियों का प्रयोग है। दरअसल अब हालात यहां तक पहुंच गए हैं कि फ्रांस के जो लोग दंगाईयों से अपने घरों को बचाने के लिए बाहर आ रहे हैं उन्हें भी नहीं छोड़ा जा रहा है।

सड़क पर उतरी सेना

पूरा राष्ट्र जल रहा है और तस्वीरों से ही ये पता चल रहा है कि हालात अभी जल्द ठीक नहीं होने वाले हैं। ऐसे में फ्रांस की गवर्नमेंट आपातकाल के बारे में भी विचार करने लगी है। इसी के साथ संवेदनशील इलाकों में पुलिस के साथ साथ सेना को भी उतारा जा रहा है।

राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों इस समय लाचार लग रहे हैं। दंगाइयों ने ऐसे हालात पैदा कर दिए हैं कि फ्रांस के तुलना सीरिया और ईरान से होने लगी है। ऐसे में जलता फ्रांस…झुलसता फ्रांस…कराहता फ्रांस… या आपस में लड़ता फ्रांस। आप जो चाहे वो समझ सकते हैं। कोई कार जला रहा है। कोई बसें जला रहा है। कोई घर जला रहा है। कोई लाइब्रेरी जला रहा है। कोई लूटपाट कर रहा है। कोई दुकानों-दफ्तरों और शॉपिंग सेंटर में तोड़फोड़ मचा रहा है। फ्रांस की ऐसी हालत देखकर लोकतंत्र के रास्ते पर चलने वाला हर राष्ट्र परेशान हो सकता है। क्योंकि फ्रांस एक मजबूत लोकतंत्र है। जहां अभिव्यक्ति की आज़ादी है और आंदोलन का अधिकार है। लेकिन शांति की स्थान हिंसा के रास्ते पर बढ़े प्रदर्शनकारियों ने सारी लक्ष्मण रेखा लांघ दी।

इमरजेंसी लगाने के आसार

हालत ये है कि फ्रांस की मैक्रों गवर्नमेंट राष्ट्र में आपातकाल लगाने पर विचार कर रही है। फ्रांस की पीएम एलिजाबेथ बोर्न से लेकर फ्रांस के आंतरिक मामलों के मंत्री गेराल्ड डारमेनिन ने आपातकाल के संकेत दिए हैं। राष्ट्रपति ने स्वयं बोला है कि वो कठोर कदम उठाने पर विचार कर रहे हैं। मैक्रों गवर्नमेंट इस समय संकट में घिरी है। स्वयं मैक्रों आलोचना के शिकार हो रहे हैं। फ्रांस में आगजनी के बीच उनका पार्टी करते एक वीडियो वायरल हो रहा है। लोग प्रश्न पूछ रहे हैं कि फ्रांस जल रहा है और राष्ट्रपति पार्टी कर रहे हैं। हालांकि मैक्रों दंगे को देखते हुए ब्रसेल्स में हो रही यूरोपीय संघ की बैठक बीच में छोड़कर ही पेरिस लौट गए। उन्होंने दो दिन में दो बार इमरजेंसी मीटिंग की है। लेकिन इस मीटिंग का रिज़ल्ट सड़कों पर नहीं दिख रहा है। मैक्रों के अनुसार फ्रांस में हिंसा बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया उत्तरदायी हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से उन्होंने भड़काऊ कंटेंट हटाने की अपील की है।

क्यों भड़की थी हिंसा

पीली मर्सिडीज में अफ्रीकी मूल का नाहेल 27 जून की सुबह जा रहा था। जहां चेक प्वाइंट पर दो ट्रैफिक पुलिसवालों ने उसे रोका। वो वाहन रोकने के बजाय आगे बढ़ाने लगा। जिसके बाद एक पुलिसकर्मी ने उसे गोली मार दी तो उसकी मृत्यु हो गई। लड़के की मां की अपील पर लोग जुटते गए और नाहेल की मर्डर के बाद हिंसक प्रदर्शनों का दौर प्रारम्भ हो गया। राष्ट्रपति मैक्रों ने नाहेल की मर्डर को गलत बताया और आरोपी पर कार्रवाई का भरोसा दिया। आरोपी पुलिसवाले को हिरासत में ले लिया गया। उसने इस घटना के लिए माफी भी मांगी। लेकिन हंगामा फिर भी नहीं थमा। ऐसे में इस बात की आसार से इनकार नहीं किया जा सकता ही फ्रांस के दंगे कोई सोची समझी षड्यंत्र और नया प्रयोग हैं।

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