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फ्रांस की राजधानी पेरिस में एक मसौदा सुरक्षा कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों में भिड़ंत हो गई।
सुरक्षा कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों में भिड़ंत हो गई कारियों में भिड़ंत हो गई। इस दौरान दर्जनों हिंसक प्रदर्शनकारियों ने दुकान की खिड़कियां तोड़ दी, कारों को आग लगा दी और बैरिकेड जला दिए। पुलिस ने भी आंसू गैस के गोले दागे।
प्रदर्शनकारी पेरिस की सड़कों पर शांतिपूर्वक मार्च निकाल रहे थे। जिसमें उन्होंने सुरक्षा कानून को वापस लेने और पुलिस के खिलाफ पोस्टर लहराए। तब पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो प्रदर्शनकारी उग्र हो गए और दुकानों-कारों में आग लगा दी।
पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए आंसू गैस के गोले फेंके जिसके बाद प्रदर्शनकारी ज्यादा भड़क गए और एक समूह ने एक बैंक के शाखा कार्यालय में तोड़फोड़ की, कागजों के ढेर को बाहर आग पर फेंक दिया।
Dozens of hooded protesters launched projectiles at riot police, smashed up shop windows, torched cars and burned barricades during a demonstration in Paris, France against police violence. The police fired back volleys of tear gas: Reuters pic.twitter.com/AFVK8qVF0j
— ANI (@ANI) December 5, 2020
सरकार द्वारा संसद में एक सुरक्षा विधेयक पेश करने और मीडिया में और ऑनलाइन पुलिस अधिकारियों की छवियों को प्रसारित करने पर फ्रांस विरोध प्रदर्शन की चपेट में आ गया है।
हाल में आए आईफॉप एजेंसी के सर्वे के मुताबिक मैक्रों की लोकप्रियता का स्तर 38 फीसदी ही रह गया है। यानी लगभग दो तिहाई लोगों की उनसे उम्मीद टूट चुकी है। ऐसे में ये आशंका गहराती जा रही है कि जिस धुर दक्षिणपंथ को रोकने के लिए देश की मुख्यधारा की तमाम सियासी ताकतों के समर्थन से तीन साल पहले मैक्रों ने भारी जीत दर्ज की थी, उनकी नाकामियों के कारण 2022 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में उन्हीं दक्षिणपंथी ताकतों के सत्ता में आने का रास्ता खुल सकता है।
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