नई दिल्ली: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने अक्टूबर के पहले दो हफ्तों में भारतीय शेयर बाजारों से करीब 7,500 करोड़ रुपये निकाले हैं. अमेरिकी का केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व तथा विश्वभर के अन्य केंद्रीय बैंकों द्वारा मौद्रिक नीति सख्ती की चिंताएं धारणा को प्रभावित कर रही हैं.
एफपीआई प्रवाह अस्थिर रह सकता है:
डिपॉजिटरी के आंकड़े बताते हैं कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने 2022 में अब तक 1.76 लाख करोड़ रुपये निकाले हैं. कोटक सिक्योरिटीज के इक्विटी शोध प्रमुख (खुदरा) श्रीकांत चौहान ने कहा कि आने वाले महीनों में भू-राजनीतिक जोखिमों और बढ़ती मुद्रास्फीति आदि के कारण एफपीआई प्रवाह अस्थिर रह सकता है.
आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने तीन से 14 अक्टूबर के दौरान शेयर बाजार से 7,458 करोड़ रुपये निकाले. सितंबर में उन्होंने शेयर बाजार से 7,600 करोड़ रुपये से अधिक निकाले थे. इससे पहले एफपीआई ने अगस्त में 51,200 करोड़ रुपये का और जुलाई में करीब 5,000 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था. जुलाई से पहले विदेशी निवेशक पिछले साल अक्टूबर से लगातार नौ महीने तक शुद्ध बिकवाल बने रहे थे.
वैश्विक आर्थिक वृद्धि प्रभावित हो सकती है:
मॉर्निंगस्टार इंडिया में एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध, हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि एफपीआई द्वारा हालिया निकासी व्यापक रूप से अमेरिका एवं अन्य देशों के केंद्रीय बैकों द्वारा मौद्रिक नीति में सख्ती से उपजी चिंताओं की वजह से की गयी जिससे वैश्विक आर्थिक वृद्धि प्रभावित हो सकती है. जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि एफपीआई की बिकवाली का मुख्य कारण डॉलर में लगातार वृद्धि और ये अनुमान हैं कि आने वाले समय में डॉलर में मजबूती जारी रहेगी. भारत के अलावा फिलीपीन, ताइवान और थाइलैंड के लिए भी एफपीआई का प्रवाह नकारात्मक रहा.