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गर्भपात को लेकर कोर्ट के फैसले की पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने की निंदा, कहा- अमेरिकियों की स्वतंत्रता पर हमला

Renuka Sahu
25 Jun 2022 1:09 AM GMT
Former US President Barack Obama condemned the courts decision regarding abortion, said - an attack on the freedom of Americans
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फाइल फोटो 

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट द्वारा गर्भपात के लिए संवैधानिक संरक्षण को समाप्त करने की निंदा की है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट द्वारा गर्भपात के लिए संवैधानिक संरक्षण को समाप्त करने की निंदा की है। ओबामा ने ट्विटर पर पोस्ट किया कि यह फैसला लाखों अमेरिकियों की आजादी पर हमले के समान है। सुप्रीम कोर्ट की नौ सदस्यीय पीठ ने 5-4 के बहुमत से रो बनाम वेड के फैसले को पलट दिया, जिसमें गर्भपात को संवैधानिक अधिकार दिया गया था।

कई राज्यों में प्रतिबंध की आशंका

कोर्ट के इस फैसले के बाद से अमेरिका के करीब आधे राज्यों में गर्भपात पर प्रतिबंध लगने की आशंका है। सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात को कानूनी तौर पर मंजूरी देने वाले 50 साल पुराने फैसले को पलट दिया है। कोर्ट के तीन जजों के ओर से जारी एक संयुक्त आदेश में लिखा गया है कि यह फैसला अमेरिकी महिलाओं को दुखी करने वाला होगा। साथ ही यह उनके मौलिक अधिकारों का भी हनन होगा।
सभी राज्यों के होंगे अलग नियम
गौरतलब है कि अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट द्वारा गर्भपात को लेकर 50 साल पुराने फैसले को पलटने के बाद अब अमेरिका के सभी राज्य गर्भपात को लेकर अपने-अपने अलग नियम बनाएंगे। रिपब्लिकन समर्थित मिसिसिप्पी ने गर्भपात को लेकर कानून को बरकरार रखा है, जिसमें 15 हफ्ते के बाद गर्भपात पर पाबंदी लगाई गई है। सामाजिक और राजनीतिक रूप से बंटे राज्यों में गर्भपात को लेकर अलग-अलग राय है।
वर्ष 1973 में आया था गर्भपात को लेकर कानून
आपको बता दें अमेरिका में साल 1973 में सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात को संवैधानिक अधिकार का दर्जा दिया था। जिसमें कहा गया था कि गर्भ धारण करने के पहले तीन महीने में महिला और उसकी डाक्टर को यह फैसला करने का अधिकार है कि उसे क्या करना है। 1992 में भी सुप्रीम कोर्ट ने पेंसिल्वानियां बनाम कैसी मामले में गर्भपात के अधिकार को बरकरार रखा था।
कोर्ट के फैसले पर बाइडन नाखुश
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कोर्ट के फैसले को एक दुखद दिन बताया है। उन्होंने कहा कि यह फैसला देश को 150 साल पीछे ले जाएगा। इश दौरान उन्होंने संकल्प लिया कि वो महिलाओं के अधिकारों के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।


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