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जिन्हें रॉयटर्स ने पहले स्ट्राउड द्वारा प्रदान की गई जानकारी के आधार पर रिपोर्ट किया था.
अमेरिका ने मार्क बेयर (Mark Bear), रयान एडम्स (Ryan Adams) और डेनियल गैरिक (Daniel Garrick) पर संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में सरकारी एजेंसियों और एक प्राइवेट कंपनी के साथ महत्वपूर्ण अमेरिकन डिफेंस टेक्नोलॉजी (American Defense Technology) और रहस्यों को साझा करने का आरोप लगाया. इनपर अमेरिकी हैकिंग और हथियारों की तस्करी कानूनों का उल्लंघन करने का भी आरोप लगाया गया था.
उनका ऑपरेशन अक्टूबर 2015 में शुरू हुआ, जब वे एक अनाम अमेरिकी फर्म के कई कर्मचारियों में से एक थे, जिन्होंने सैन फ्रांसिस्को संघीय अदालत (San Francisco Federal Court) में दायर शिकायत के अनुसार, साइबर-खुफिया पर काम करने के लिए यूएई (UAE) में आकर्षक नौकरियों की पेशकश की. फरवरी 2016 तक, उन्होंने नौकरी स्वीकार कर ली थी और अपने नए एंप्लॉयर की ओर से प्रतिबंधित खुफिया जानकारी प्राप्त करने के लिए अमेरिका में अपने संपर्कों का उपयोग कर रहे थे.
इसके बाद बैयर ने एक अन्य कंपनी को एक साइबर हथियार बेचने के लिए राजी किया, जिसे ज़ीरो-क्लिक मैलवेयर के रूप में जाना जाता है. ये कंपनी हैकर्स को उनके मालिकों की जानकारी के बिना पर्सनल डिवाइस में घुसपैठ करने की अनुमति देता है. बैयर ने इसके साथ 750, 000 डॉलर का सौदा किया था.
90 दिनों के अंदर FBI को पेश करनी होगी बिहेवियर रिपोर्ट
कोर्ट में दायर एक पैरेलर डॉक्यूमेंट में तीनों आरोपियों ने अपने प्रॉसीक्यूशन को स्थगित करने के लिए एक समझौते के हिस्से के रूप में जस्टिस डिपार्टमेंट के दावों को स्वीकार किया. समझौते के लिए जरूरी है कि तीनों संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में अपनी नौकरी छोड़ दें. 60 दिनों के भीतर उस सरकार के साथ किसी भी संबद्धता को काट दें और 90 दिनों के भीतर एफबीआई (FBI) को अपने बिहेवियर रिपोर्ट (Behavior Report) पेश करें.
कोर्ट के दस्तावेजों में बताया गया है कि कैसे इन तीनों आरोपियों ने कई सालों में हैकिंग क्षमताओं को डिजाइन करने, खरीदने और तैनात करने में यूएई की मदद की. उनके पीड़ितों में कथित तौर पर अमेरिकी नागरिक शामिल थे, जिन्हें रॉयटर्स ने पहले स्ट्राउड द्वारा प्रदान की गई जानकारी के आधार पर रिपोर्ट किया था.
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