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उस पर समूह का समर्थन करने का आरोप लगाया जाता रहा है।
पाकिस्तान ने आतंक के समर्थक और गुलाम कश्मीर के कथित पूर्व राष्ट्रपति मसूद खान को अमेरिका का राजदूत नियुक्त किया है। तालिबान के मददगार पाकिस्तान के इस कदम से उसकी असलियत एक बार फिर दुनिया के सामने आ गई है। मसूद हरकत-उल-मुजाहिदी के सरगना फजलुर रहमान खलील के साथ मंच साझा कर चुके हैं, जिसे वर्ष 1997 में अमेरिका आतंकी संगठन घोषित कर चुका है।
अल कायदा और उसके सरगना ओसामा बिन लादेन से भी मसूद के संबंध रहे हैं। खलील, ओसामा के इंटरनेशनल इस्लामिक फ्रंट का सक्रिय सदस्य था, जिसने वर्ष 1998 में अमेरिका पर हमले का आह्वान किया था। अमेरिकी पत्रिका नेशनल रिव्यू के मुताबिक, मसूद का पश्चिम के कट्टरपंथी मुसलमानों और पूर्व के जिहादियों के साथ काम करने का लंबा इतिहास रहा है। अमेरिका में बतौर राजदूत मसूद की नियुक्ति पाकिस्तान की खतरनाक शासन-व्यवस्था का प्रमाण है।
बुरहान वानी की बरसी पर विशेष संदेश किया था जारी
पाकिस्तान सरकार अमेरिका समेत दुनियाभर के कट्टरपंथी मुसलमानों का समर्थन करती है। मसूद ने इसी साल जुलाई में गुलाम कश्मीर के कथित राष्ट्रपति रहते हुए हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी बुरहान वानी की पांचवीं बरसी पर उसे याद किया था और एक विशेष संदेश भी जारी किया था। बुहरान वर्ष 2016 में मारा गया था।
लेडी अल कायदा की सरगना का रह चुका है समर्थक
हिजबुल मुजाहिदीन के अलावा खान का दूसरे आतंकी संगठनों से भी संबंध रहा है। वर्ष 2019 में मसूद ने इस्लामाबाद में आयोजित आल पार्टी कश्मीर सालिडरिटी कांफ्रेस में हिस्सा लिया था। इसके अलावा वह हिंसक संगठन साउथ एशिया इस्लामिस्ट मूवमेंट जमात ए इस्लामी और लेडी अल कायदा की सरगना आफिया सिद्दिकी के भी समर्थक रह चुके हैं। पाकिस्तान के तालिबान के साथ गहरे संबंध रहे हैं और उस पर समूह का समर्थन करने का आरोप लगाया जाता रहा है।
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