विश्व: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान अल-कादिर ट्रस्ट केस में सुनवाई के लिए रावलपिंडी स्थित नेशनल अकाउंटेबिलिटी ब्यूरो (NAB) की अदालत पहुंच गए हैं। यहां NAB मामले में छानबीन कर रही है। इस केस में खान पहली बार जांच एजेंसी के सामने पेश हो रहे हैं। वहीं उनकी पत्नी बुशरा बीबी को NAB ने 1 हजार 955 करोड़ रुपए की घूस लेने के मामले में 31 मई तक जमानत दे दी है।
इससे पहले इस्लामाबाद की एंटी टेरेरिज्म कोर्ट ने खान को हिंसा से जुड़े 8 मामलों में 8 जून तक जमानत दी है। ये मामले उस समय के हैं जब खान की तोशाखाना मामले में पेशी के दौरान इस्लामाबाद ज्यूडिशियल कॉम्पलेक्स में हिंसा हुई थी। सुनवाई के दौरान खान ने कहा कि मुझे दो बार मारने की कोशिश हुई है। मैं जब भी घर से बाहर कदम रखता हूं मैं अपनी जान को खतरे में डाल रहा होता हूं।
अल-कादिर ट्रस्ट केस में सुप्रीम कोर्ट ने दी थी जमानत
अल-कादिर ट्रस्ट केस में ही इमरान खान को 9 मई को गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद मुल्क में फौज के कई अहम ठिकानों पर हमले हुए थे। गिरफ्तारी के खिलाफ खान की पार्टी PTI ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी जिसके बाद इमरान को इस मामले में जमानत मिल गई थी।
हाईकोर्ट का ऑर्डर भी नहीं माना
लाहौर हाईकोर्ट ने इमरान को कई मामलों में जमानत देते हुए कहा था कि उन्हें जांच एजेंसी के सामने पेश होना होगा और जांच में सहयोग देना होगा। इसके बावजूद इमरान 19 मई को NAB के सामने पेश नहीं हुए।
खान ने हमेशा की तरह अपने वकील के जरिए लिखित जवाब दिया। कहा- मैं इस्लामाबाद में हूं। यहां मुझे सुप्रीम कोर्ट में पेश होना है। हालांकि उस दिन खान लाहौर में ही थे और इसकी जानकारी उनके वकील ने अदालत को दी।
इसके बाद, NAB ने अखबारों में एक सरकारी विज्ञापन जारी किया। इसकी एक कॉपी लाहौर हाईकोर्ट को सौंपी। इसमें कहा गया- खान को अदालत ने पेश होने का आदेश दिया था। अगर 23 मई को भी वो पेश नहीं होते हैं तो जांच एजेंसी कार्रवाई के लिए आजाद है।
गिरफ्तारी की आशंका
रविवार को एक इंटरव्यू में इमरान ने दावा किया कि जब वो जांच एजेंसी के सामने पेश होंगे तो उन्हें किसी न किसी बहाने से गिरफ्तार कर लिया जाएगा। खान ने कहा- पाकिस्तान में हर वो कदम उठाया जा रहा है जो डेमोक्रेसी को खत्म कर सकता है।
एक सवाल के जवाब में खान ने कहा- अब तक जो हम देख रहे हैं, वो लोकतंत्र को खत्म करने की साजिश नहीं तो और क्या है। मैं तो लोगों के लिए सड़कों पर निकलने के लिए तैयार हूं। मेरे दौर में मुल्क की इकोनॉमी जितनी बेहतर थी, आज उतनी ही खराब है। पता नहीं हमारी आर्मी क्या चाहती है, क्योंकि उसकी मर्जी के बिना तो पाकिस्तान में कुछ हो ही नहीं सकता।
60 अरब का स्कैम है अल-कादिर ट्रस्ट केस
सरकार के मुताबिक खान जब प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने लैंड माफिया मलिक रियाज को मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाया। लंदन में उसके 40 अरब जब्त कराए। बाद में ये पैसा ब्रिटेन सरकार ने पाकिस्तान को सौंप दिया। इमरान ने यह जानकारी कैबिनेट को भी नहीं दी।
आरोप है कि यह पैसा एक सीक्रेट अकाउंट के जरिए इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के खाते में ट्रांसफर कराई गई।
इसके बाद इमरान ने अल कादिर ट्रस्ट बनाया। इसने मजहबी तालीम देने के लिए अल कादिर यूनिवर्सिटी बनाई। इसके लिए अरबों रुपए की जमीन मलिक रियाज ने दी। बुशरा बीबी को डायमंड रिंग भी गिफ्ट की। बदले में रियाज के तमाम केस खत्म कर दिए गए। उसे करोड़ों रुपए के सरकारी ठेके भी मिले।
होम मिनिस्टर राणा सनाउल्लाह ने कहा- 50 अरब रुपए की चपत सरकारी खजाने को लगी। 13 महीने में एक बार भी इमरान या बुशरा पूछताछ के लिए नहीं आए। 4 साल बाद भी इस यूनिवर्सिटी में 32 स्टूडेंट्स ही हैं।
जियो न्यूज के मुताबिक, पूरे मामले को देखते हुए इमरान खान और उनकी पत्नी पर 1 हजार 955 करोड़ रुपए की घूस लेने का आरोप दर्ज किया गया।
पत्नी के ऑडियो लीक से फंसे इमरान
पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स में पिछले साल मलिक रियाज और उसकी बेटी अम्बर के एक ऑडियो के बारे में खबरें छपी थीं। लीक हुआ ये वीडियो 2 मिनट 17 सेकेंड का था। इसमें रियाज और अम्बर बुशरा से लेनदेन और किसी फाइल को निपटाने की बातचीत कर रहे थे। इसमें अम्बर पिता को बताती हैं कि इमरान की पत्नी बुशरा बीबी 5 कैरेट हीरे की अंगूठी मांग रही हैं। इसके बदले वो इमरान से रियाज को ठेके दिलवा देंगीं और उनके खिलाफ केस भी खत्म करा देंगीं।
लीक हुए टेप में जो बातचीत थी, उसके मुताबिक अम्बर अपने पिता से कहती हैं- मेरी फराह गोगी से बातचीत हो गई है। वो कह रही हैं कि बुशरा बीबी को 3 नहीं बल्कि 5 कैरेट का डायमंड चाहिए। रिंग वो खुद बनवा लेंगीं, लेकिन उसका पेमेंट हमें करना होगा। बुशरा और फराह ने खान साहब से बात कर ली है। वो फौरन ठेके की सारी फाइलें ओके करा देंगे। इस पर मलिक रियाज कहता है- कोई दिक्कत नहीं। 5 कैरेट का डायमंड भेज देते हैं।
माना जाता है कि ठेकों की यह सौदेबाजी अल कादिर यूनिवर्सिटी की जमीन लेने के बाद हुई।