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कजाखस्तान में षडयंत्र के आरोप में पूर्व खुफिया प्रमुख गिरफ्तार, राष्ट्रपति ने पुतिन को कॉल कर के बताए हालात

Khushboo Dhruw
8 Jan 2022 4:24 PM GMT
कजाखस्तान में षडयंत्र के आरोप में पूर्व खुफिया प्रमुख गिरफ्तार, राष्ट्रपति ने पुतिन को कॉल कर के बताए हालात
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कजाखस्तान में शनिवार को सुरक्षा बलों ने सबसे बड़े शहर अलमाटी और राजधानी नूर सुल्तान की स्थिति नियंत्रण में आने का दावा किया। इस बीच सत्ता पर कब्जे की साजिश रचने के आरोप में पूर्व खुफिया प्रमुख करीम मासीमोव को गिरफ्तार कर लिया गया है।

कजाखस्तान में शनिवार को सुरक्षा बलों ने सबसे बड़े शहर अलमाटी और राजधानी नूर सुल्तान की स्थिति नियंत्रण में आने का दावा किया। इस बीच सत्ता पर कब्जे की साजिश रचने के आरोप में पूर्व खुफिया प्रमुख करीम मासीमोव को गिरफ्तार कर लिया गया है। उन्हें इसी सप्ताह पद से हटाया गया था। राष्ट्रपति कासिम-जोमार्ट टोकायेव ने देश में हिंसा की स्थिति पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर लंबी बात की है।

रूस के नेतृत्व में कुल पांच पूर्व सोवियत देशों ने पूर्व समझौते के तहत कजाखस्तान में शांति स्थापित करने के लिए अपने 2,500 सैनिक भेजे हैं। इस समझौते में कजाखस्तान भी शामिल है। तेल संपन्न मध्य एशियाई देश कजाखस्तान में हफ्ते भर से जारी हिंसा में अभी तक 18 सुरक्षाकर्मियों समेत करीब 100 लोग मारे जा चुके हैं और 700 से ज्यादा घायल हुए हैं। हिंसा में शामिल 4,400 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है।
कुछ घटनाओं को छोड़कर देश में अब शांति है और स्थिति नियंत्रण में है। अलमाटी में शनिवार को कुछ व्यापारिक प्रतिष्ठान और पेट्रोल पंप खुले। हालात पर नजर रखने के लिए सुरक्षा बल सड़कों पर लगातार गश्त कर रहे हैं। प्रशासन ने नागरिकों को फिलहाल घर में रहने की सलाह दी है।
देश में साजिश रचकर अशांति पैदा करने के आरोप में गिरफ्तार किए गए मासीमोव देश के प्रधानमंत्री भी रह चुके हैं। उन्हें पूर्व राष्ट्रपति नूर सुल्तान नजरबायेव का निकट सहयोगी माना जाता था। बताते हैं कि 2019 में नजरबायेव द्वारा टोकायेव को राष्ट्रपति बनाए जाने से मासीमोव असंतुष्ट थे। इसीलिए हिंसक आंदोलन के दौरान कई बार ओल्डमैन गो के नारे सुने गए।
यह नारा सत्ता में नजरबायेव (81) के प्रभाव के विरोध में था, जिसके पीछे मासीमोव का असंतोष था। इस महीने के शुरू में लिक्विफाइड पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) की कीमत में बढ़ोतरी के खिलाफ शुरू हुआ आंदोलन कुछ ही देर में सरकार विरोधी हिंसक प्रदर्शन में तब्दील हो गया। इसके बाद राजधानी नूर सुल्तान, अलमाटी और अन्य शहरों में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई।


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