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अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA के पूर्व डायरेक्टर जेम्स वूलसे ने दुनिया में एलियंस को लेकर एक बड़ा दावा किया है
वॉशिंगटन: अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA के पूर्व डायरेक्टर जेम्स वूलसे ने दुनिया में एलियंस को लेकर एक बड़ा दावा किया है। जेम्स ने कहा कि वह पहले एलियंस के अस्तित्व को लेकर शक करते थे लेकिन जब 40 हजार फुट की ऊंचाई पर उनके एक दोस्त का विमान रुक गया तो उन्हें अपनी सोच को बदलनी पड़ी। उन्होंने आशा जताई कि अगर एलियंस मौजूद हैं तो हम उनसे दोस्ती कर सकते हैं।
सीआईए के पूर्व डायरेक्टर ने एलियंस की संभावनाओं पर पहली बार खुलकर बात की और अपने दोस्त के विमान के 40 हजार फुट की ऊंचाई पर अचानक रुक जाने की कहानी को बताया। उन्होंने आशा जताई कि अगर एलियंस कभी संपर्क करते हैं तो मानवता परग्रहियों के साथ 'दोस्ती' कर सकेगी। जेम्स वर्ष 1993 से लेकर 1995 तक सीआईए के डायरेक्टर रह चुके हैं।
'एयरक्राफ्ट 40 हजार फुट की ऊंचाई पर अचानक से रुका'
यूट्यूब पर दिए एक साक्षात्कार में जेम्स ने अपनी नई किताब ऑपरेशन ड्रैगन के बारे में बताया। इस बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि पिछले कई सालों में उन्होंने हवा में कई रहस्यमय चीजों के बारे में सुना है। इसमें एयरक्राफ्ट जैसी चीज के बारे में बताया गया है। उन्होंने कहा कि इस तरह की खबरें मुझे हमेशा से सत्य नहीं लगती थी लेकिन एक ऐसी घटना हुई जिसमें मेरे एक मित्र का एयरक्राफ्ट 40 हजार फुट की ऊंचाई पर अचानक से रुक गया था और एक सामान्य विमान की तरह से उड़ान नहीं भर पा रहा था।
दरअसल मंगल तक इंसानों को पहुंचाने में नासा के सामने सबसे बड़ी समस्या रॉकेट की आ रही है। क्योंकि, वर्तमान में जितने भी रॉकेट मौजूद हैं वे मंगल तक पहुंचने में कम से कम 7 महीने का समय लेते हैं। अगर इंसानों को इतनी दूरी तक भेजा जाता है तो मंगल तक पहुंचते पहुंचते ऑक्सीजन की कमी हो सकती है। दूसरी चिंता की बात यह है कि मंगल का वातावरण इंसानों के रहने के अनुकूल नहीं है। वहां का तापमान अंटार्कटिका से भी ज्यादा ठंडा है। ऐसे बेरहम मौसम में कम ऑक्सीजन के साथ पहुंचना खतरनाक हो सकता है।
नासा के स्पेस टेक्नोलॉजी मिशन डायरेक्ट्रेट की चीफ इंजिनियर जेफ शेही ने कहा कि वर्तमान में संचालित अधिकांश रॉकेट में केमिकल इंजन लगे हुए हैं। ये आपको मंगल ग्रह तक ले जा सकते हैं, लेकिन इस लंबी यात्रा की धरती से टेकऑफ करने और वापस लौटने में कम से कम तीन साल का समय लग सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि बाहरी अंतरिक्ष में चालक दल को कम से कम समय बिताने के लिए नासा जल्द से जल्द मंगल तक पहुंचना चाहता है। इससे अंतरिक्ष विकिरण के संपर्क में कमी आएगी। जिस कारण रेडिएशन, कैंसर और नर्वस सिस्टम पर भी असर पड़ता है।
इस कारण ही नासा के वैज्ञानिक यात्रा के समय को कम करने के तरीके खोज रहे हैं। सिएटल स्थित कंपनी अल्ट्रा सेफ न्यूक्लियर टेक्नोलॉजीज (USNC-Tech) ने नासा को एक परमाणु थर्मल प्रोपल्शन (NTP) इंजन बनाने का प्रस्ताव दिया है। यह रॉकेट धरती से इंसानों को मंगल ग्रह तक केवल तीन महीने में पहुंचा सकता है। वर्तमान में मंगल पर भेजे जाने वाले मानवरहित अंतरिक्ष यान कम से कम सात महीने का समय लेते हैं। वहीं, इंसानों वाले मिशन को वर्तमान के रॉकेट से मंगल तक पहुंचने में कम से कम नौ महीने लगने की उम्मीद है।
परमाणु रॉकेट इंजन को बनाने का विचार नया नहीं है। इसकी परिकल्पना सबसे पहले 1940 में की गई थी। लेकिन, तब तकनीकी के अभाव के कारण यह योजना ठंडे बस्ते में चली गई। अब फिर अंतरिक्ष में लंबे समय तक यात्रा करने के लिए परमाणु शक्ति से चलने वारे रॉकेट को एक समाधान के रूप में देखा जा रहा है। USNC-Tech में इंजीनियरिंग के निदेशक माइकल ईड्स ने सीएनएन से कहा कि परमाणु ऊर्जा से चलने वाले रॉकेट आज के समय में इस्तेमाल किए जाने वाले रासायनिक इंजनों की तुलना में अधिक शक्तिशाली और दोगुने कुशल होंगे।
परमाणु रॉकेट इंजन की निर्माण की तकनीकी काफी जटिल है। इंजन के निर्माण के लिए मुख्य चुनौतियों में से एक यूरेनियम ईंधन है। यह यूरेनियम परमाणु थर्मल इंजन के अंदर चरम तापमान को पैदा करेगा। वहीं, USNC-Tech दावा किा है कि इस समस्या को हल करके एक ईंधन विकसित किया जा सकता है जो 2,700 डिग्री केल्विन (4,400 डिग्री फ़ारेनहाइट) तक के तापमान में काम कर सकता है। इस ईंधन में सिलिकॉन कार्बाइड होता जो टैंक के कवच में भी सुरक्षा के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इससे इंजन से रेडिएशन बाहर नहीं निकलेगा, जिससे सभी अंतरिक्षयात्री सुरक्षित रहेंगे।
उन्होंने कहा, 'क्या हो रहा है, मुझे नहीं पता। क्या कोई जानता है?' इससे पहले सीआईए के कई पूर्व डायरेक्टरों ने भी एलियंस की संभावनाओं की ओर इशारा किया था। यही नहीं इजरायल के पूर्व अंतरिक्ष सुरक्षा प्रोग्राम के प्रमुख हैम इशेद ने दावा किया था कि ब्रह्मांड में एलियन मौजूद हैं और उनका अमेरिका तथा इजरायल के साथ संपर्क भी है। यही नहीं अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं।
'मंगल ग्रह पर जमीन के अंदर एक अड्डा चला रहा'
इशेद ने यह भी दावा किया कि एलियन्स की मौजूदगी को अभी इसलिए छिपाकर रखा गया है क्योंकि मानवता अभी इसके लिए तैयार नहीं है। करीब 30 साल तक इजरायल के स्पेस सिक्यॉरिटी प्रोग्राम को संभालने वाले हैम इशेद ने कहा कि एक 'गैलेक्टिक फेडरेशन' बनाया गया है जो अमेरिका के साथ गुप्त समझौते के तहत मंगल ग्रह पर जमीन के अंदर एक अड्डा चला रहा है।
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