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अफगानिस्तान से विदेशी सैनिकों की वापसी, अमेरिकी सेना ने करीब 20 साल के बाद 'बाग्राम एयरफील्ड' को छोड़ा

Neha Dani
2 July 2021 6:56 AM GMT
अफगानिस्तान से विदेशी सैनिकों की वापसी, अमेरिकी सेना ने करीब 20 साल के बाद बाग्राम एयरफील्ड को छोड़ा
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उन्हें तालिबान पर भी दबाव बनाए रखने में मदद मिलेगी.

अफगानिस्तान से विदेशी सैनिकों की वापसी हो रही है. इसी कड़ी में अमेरिकी सेना ने करीब 20 साल के बाद बाग्राम एयरफील्ड को छोड़ दिया है, जो कभी तालिबान को उखाड़ फेंकने के लिए हुए युद्ध और अमेरिका पर 9/11 में हुए आतकंवादी हमले के जिम्मेदार अल-कायदा के साजिशकर्ताओं की धर-पकड़ के लिए सेना का केंद्र रहा था (Foreign Troops Withdrawal). अमेरिका के दो अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी है.

अधिकारियों ने बताया कि एयरफील्ड 'अफगान राष्ट्रीय सुरक्षा एवं रक्षा बल' को पूरी तरह से सौंप दिया गया है. एक अधिकारी ने बताया कि बलों की रक्षा का अधिकार और क्षमताएं अभी भी अफगानिस्तान में अमेरिका के शीर्ष कमांडर जनरल ऑस्टिन एस मिलर के पास हैं (Bagram Airfield Elevation). अधिकारी ने अपनी पहचान ना बताने की शर्त पर कहा, 'गठबंधन की पूरी सेना ने बाग्राम को छोड़ दिया है.' हालांकि उन्होंने ये नहीं बताया कि काबुल के 50 किमी उत्तर में स्थित इस बेस को सैनिकों ने कब छोड़ा.
11 सितंबर है समयसीमा
इसके साथ ही अधिकारी ने ये भी साफ नहीं बताया कि बेस आधिकारिक तौर पर अफगान सेना को कब सौंपा जाएगा. पहचान न बताने की शर्त पर समाचार एजेंसी एएफपी से वरिष्ठ अफगान अधिकारी ने कहा, 'हमें अभी तक अफगान सेना को आधिकारिक तौर पर बेस सौंपने को लेकर कोई जानकारी नहीं मिली है.' अफगानिस्तान में बीते दो दशक तक चले युद्ध के बाद अमेरिका और नाटो देशों के सैनिक यहां से वापस जा रहे हैं (Bagram Airfield Base Afghanistan). अमेरिका ने इसकी समयसीमा 11 सितंबर रखी है.
तालिबान बढ़ा रहा ताकत
वहीं अफगानिस्तान में तालिबान अपनी ताकत बढ़ाता जा रहा है. इसने सैनिकों की वापसी वाली अमेरिकी घोषणा के बाद से ही देश में बम हमले तेज कर दिए. जिसमें सैनिकों, आम नागरिकों और मुख्य तौर पर महिलाओं को निशाना बनाया जा रहा है (Taliban in Afghanistan). इसके साथ ही देश के कई बड़े हिस्सों पर भी कब्जा कर लिया गया है. हालांकि बाग्राम एयरफील्ड पर अगर अफगानी सैनिक तैनात रहते हैं, तो वह पास में स्थित राजधानी काबुल की रक्षा कर पाएंगे और उन्हें तालिबान पर भी दबाव बनाए रखने में मदद मिलेगी.

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