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हमारे खगोलविदों को ब्रह्माण्ड (Universe) में अनेक तरह के बाह्यग्रह (Exoplanets) दिखाई देते हैं
हमारे खगोलविदों को ब्रह्माण्ड (Universe) में अनेक तरह के बाह्यग्रह (Exoplanets) दिखाई देते हैं. इनकी खोज करना ही अभी तक एक चुनौती पूर्ण कार्य है. इसके बाद इनका अध्ययन तो और भी मुश्किल काम होता है. हाल ही में उन्होंने हमारे सौरमंडल (Solar System) के बाहर ऐसा ग्रह खोजा है जो उन्हें ज्वालामुखी गतिविधि (Volcanic Activity) होने के संकेत मिले हैं. इतना ही नहीं उन्होंने यह तक पता लगाया है कि ये ज्वालामुखी गतिविधियां ग्रह के केवल आधे हिस्से में ही होंगी.
कोई वायुमंडल नहीं है इस ग्रह में
LHS 3844b पृथ्वी से थोड़ा ही बड़ा ग्रह है जहां पर ज्वालामुखी गतिविधियों के होने की संभावना का वास्तव में उन्नत सिम्यलेशन के आधार किए गए अवलोकनों से पता चला है. वैसे इस शोध में इस बाह्यग्रह पर वायुमंडल के होने के कोई संकेत नहीं मिले हैं. इस ग्रह का आधा हिस्सा हमेशा ही सूर्य की ओर रहता है.
बहुत अंतर है दो हिस्सों में
इसका अधिकतम तापमान 800 डिग्री सेंल्सियस जो दिन वाले हिस्से में होता है. जबकि रात वाले हिस्से में न्यूनतम तापमान-250 डिग्री सेल्सियस होता है. स्विट्जरलैंड की बर्न यूनिवर्सिटी के खगोलविद तोबियास मेइयर ने बताया, "हमें पहले लगा था कि चरम तापमान विरोधाभास के कारण ग्रह के आंतरिक भागों में पदार्थ बहाव का प्रभाव देखने को मिलेगा."
ग्रह की सतह के नीचे पदार्थ का बहाव
इस बाह्यग्रह की चमक और संभावित तापमान, और कम्प्यूटर मॉडल्स से ज्वालामुखी सामग्री और ऊष्मा स्रोतों का सिम्यूलेशन किया और उनके फेज कर्व अवलोकनों के आधार पर मेइयर और उनके साथियों ने निष्कर्ष निकाला की इस ग्रह के एक ही गोलार्द्ध में सतह के नीचे पदार्थ का बहाव हो रहा है.
दोनों हिस्सों के नीचे अलग बहाव
शोधकर्ताओं के ज्यादातर चलाए गए सिम्यूलेशन दर्शाते हैं कि ग्रह के एक हिस्से में ऊपरी बहाव होता है तो दूसरे हिस्से में नीचे की ओर बहाव होता है. हैरानी की बात थी कि कुछ मामलो में उल्टा पाया गया जो पृथ्वी की टैक्टोनिक गतिविधि से मेल खाता नहीं दिखा. जियोफिजिस्ट डेन बोवर का कहना है कि पृथ्वी की तरह यह उम्मीद की जाती है कि दूसरे ग्रहों पर ही दिन के हिस्से में पदार्थ हलका होगा. और इसलिए ऊपर की ओर बहेगा.
असामान्य टेक्टोनिक गतिविधियों की संभावना
इसके पीछे का कारण है मैंटल के पदार्थ के गतिमान होते समय तापमान में बदलाव. इस दौरान ठंडी चट्टानें सख्त हो जीत है और हिलने के संभावना कम होती है. वहीं गर्म चट्टान गर्म होते ही तरल होने लगती है. वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तरह के बदलाव से कुछ असामान्य टेक्टोनिक गतिविधि हो सकती हैं.
ज्वालामुखियों से ढका होगा एक हिस्सा
बोवर का कहना है कि ग्रह पर जहां भी पदार्थ ऊपर की ओर बहेगा उसी हिस्से में ज्वालमुखी गतिविधियां ज्यादा दिखाई देंगी. यही वजह है कि वैज्ञिक सुझाते हैं कि LHS 3844b का एक गोलार्द्ध पूरे ज्वालामुखियों से ढका होगा. और यह सब ग्रह पर चरम तापमान के विरोधाभास के कारण होगा.
एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लैटेर्स में प्राकशित इस अध्ययन के शोधकर्ताओं को और ज्यादा शक्तिशाली टेलीस्कोप का इंतजार है जिससे वे LHS 3844b के बारे में अधिक से अधिक आंकड़े हासिल कर सकें.इससे वे इस बात की पुष्टि कर सकेंगे कि क्या वाकई में इस ग्रह का आधा हिस्स ज्वालामुखियों से ढका है.
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