हजारों भारतीय भी पहुंचेंगे
कतर सरकार ने इस महीने 20 नवंबर से शुरू होने वाले विश्व कप से पहले एक बड़ा ऐलान किया है. वहां की सरकार ने कहा है कि विश्व कप के दौरान मेडिकल ट्रीटमेंट के वक्त महिलाओं से उनकी वैवाहिक स्थिति के बारे में नहीं पूछा जाएगा. दरअसल, कतर में शादी के बाहर यौन संबंधों को अपराध माना जाता है. आयोजन समिति के स्वास्थ्य सेवा प्रवक्ता यूसुफ अल-मसलामणि ने गुरुवार को कहा, 'किसी भी महिला से यह नहीं पूछा जाएगा कि वह शादीशुदा है या नहीं.'
कतर में शादी से बाहर के संबंध बनाने पर सात साल तक की जेल की सजा का प्रावधान है. हालांकि वहां के अफसरों का कहना है कि इस तरह की सजा कई वर्षों से किसी को नहीं दी गई है, लेकिन कड़े कानूनों की वजह से लगातार आपत्तियां मिल रही थीं. इसके अलावा कुछ दूतावासों ने अपने देश की गर्भवती महिलाओं को सलाह दी थी कि अगर वे कतर में चिकित्सा उपचार चाहते हैं तो शादी का सबूत दें. इन सबको देखते हुए वहां की सरकार ने यह घोषणा की है. विश्व कप में महिलाओं के इलाज के बारे में पूछे जाने पर मसलामणि ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'किसी से भी उनके लिंग, राष्ट्रीयता या धर्म के बारे में नहीं पूछा जाएगा.' उन्होंने कहा, 'लोगों से केवल उनकी मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पूछा जाएगा. यदि इसके बाद इलाज की जरूरत है तो वह किया जाएगा.' कई समूहों ने टूर्नामेंट में महिलाओं के इलाज को लेकर चिंता व्यक्त की थी.
पिछले महीने, ऑस्ट्रेलियाई महिलाओं के एक समूह ने 2 साल पहले ही परेशानियों को लेकर कतर एयरवेज और देश के सिविल एविएशन अथॉरिटी पर केस दर्ज कराने की बात कही थी. इसके बाद कतर को इस मामले में माफी मांगनी पड़ी थी साथ ही एयरपोर्ट के एक कर्मचारी को सस्पेंड भी किया गया था. दरअसल, अक्टूबर 2020 में दोहा हवाई अड्डे पर इन महिलाओं को तब महिलाओं से जुड़े कई मेडिकल टेस्ट से गुजरना पड़ा था जब वहां एयरपोर्ट पर एक लावारिस नवजात शिशु मिला था.
आयोजकों ने कहा कि केवल विश्व कप टिकट वाले लोगों को ही देश में प्रवेश देने की अनुमति वाले नियमों में भी सरकार ढील देगी. पहले 1 नवंबर के बाद से सिर्फ मैच टिकट वाले लोगों के साथ तीन मेहमानों को ही देश में प्रवेश करने की अनुमति दी गई थी, लेकिन इस नियम में अब 2 दिसंबर यानी टूर्नामेंट के ग्रुप चरण के अंत तक ढील दी जाएगी.