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कीव : रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण तेल और अनाज जैसी जरूरी चीजों के दाम बढ़े हैं। हालांकि, इन सब के बीच एक अच्छी खबर सामने आई है। युद्ध में एक-दूसरे के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे रूस और यूक्रेन इस बात पर सहमत हुए हैं कि इन देशों से अनाज अफ्रीका, मध्य पूर्व और एशिया में निर्यात होता रहेगा। इससे इन इलाकों में अनाज की ऊंची कीमतों से परेशान गरीब लोगों को राहत मिलेगी।
इस बारे में संयुक्त राष्ट्र और तुर्किये के राष्ट्रपति एर्दोगन ने घोषणा की है कि रूस-यूक्रेन के बीच अनाज के परिवहन के लिए युद्धकालीन समझौते का विस्तार किया गया है। यूक्रेन के उप प्रधानमंत्री ऑलेक्ज़ेंडर कुब्राकोव ने ट्वीट में बताया कि यह समझौता 120 दिनों के लिए बढ़ाया गया है।
युद्ध में एक-दूसरे का सामना कर रहे रूस और यूक्रेन दोनों ही विश्व में गेहूं, जौ, सूरजमुखी तेल और अन्य किफायती खाद्य उत्पादों के मुख्य आपूर्तिकर्ता हैं। इन दोनों देशों के युद्ध के कारण पिछले वर्ष खाद्य पदार्थों की कीमत रिकार्ड ऊंचाई पर पहुंच गई और विश्व भर में खाद्य संकट खड़ा हो गया। मिस्र, लेबनान और नाइजीरिया जैसे देशों में अनाज आपूर्ति में बाधा से आर्थिक हालात बिगड़ गए और लाखों लोग गरीबी या खाद्य असुरक्षा के शिकार हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र ने इस घटनाक्रम पर कहा कि काला सागर अनाज पहल से 24 मिलियन मीट्रिक टन अनाज की आपूर्ति की गई। इसमें से 55% शिपमेंट विकासशील देशों में गई है।
उधर, रूस उर्वरक नहीं बेच पा रहा है, लेकिन इस बार रिकार्ड पैदावार के बाद रूस भारी मात्रा में गेहूं का निर्यात कर रहा है। वित्तीय डेटा प्रदाता रेफिनिटिव के आंकड़ों के अनुसार, आक्रमण से रूस द्वारा पिछले वर्ष जनवरी माह के मुकाबले इस बार जनवरी में गेहूं का दोगुने से भी अधिक निर्यात किया गया। अनुमान है कि 2022-2023 में रूस 44 मिलियन टन गेहूं का निर्यात करेगा।
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Teja
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