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पांच रॉकेटों ने बगदाद में इराकी एयरबेस को बनाया निशाना, वॉशिंगटन ने ईरान पर लगाया हमले का आरोप

Gulabi
16 March 2021 2:10 PM GMT
पांच रॉकेटों ने बगदाद में इराकी एयरबेस को बनाया निशाना, वॉशिंगटन ने ईरान पर लगाया हमले का आरोप
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परमाणु समझौते पर अमेरिका-ईरान में तनाव

पांच रॉकेटों ने सोमवार को बगदाद (Bagdad) में इराकी एयरबेस (Iraqi Airbase) को निशाना बनाया. इन ठिकानों पर अमेरिकी सैनिक (US Troops) ठहरे हुए थे. इराकी सेना (Iraqi Army) ने इसकी जानकारी दी. बीते कई दिनों से अमेरिकी ठिकानों को निशाना बनाया जा रहा है. अमेरिका (America) ने इन हमलों के पीछे ईरान (Iran) से संबंध रखने वाले समूहों को जिम्मेदार बताया है.


अल-बलाद में हुए इन हमलों में किसी के घायल होने की खबर नहीं है. एक सुरक्षा अधिकारी ने इसकी जानकारी दी. इराकी सेना ने बताया कि दो रॉकेट अल-बलाद के बाहर भी दागे गए, जिसमें स्थानीय नागरिकों के घर क्षतिग्रस्त हो गए. हालांकि किसी के हताहत होने की खबर नहीं है.

दोनों तरफ से हो रहे हमले
सुरक्षा सूत्र के हवाले से एएफपी न्यूज एजेंसी ने बताया कि ये रॉकेट बेस की पूर्व से पास के दियाला प्रांत के एक गांव से चलाए गए थे. किसी भी संगठन ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है. बीते दिनों लगातार कई बार अमेरिकी ठिकानों पर हमला हो चुका है. 3 मार्च को ऐन अल-असद के एयरबेस पर हुए हमले में अमेरिका के सब-कॉन्ट्रैक्टर की मौत हो गई थी.

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने 25 फरवरी को हुए हमले को ईरान के लिए 'चेतावनी' करार दिया था. इस हमले में अमेरिका ने सीरिया में एक बॉर्डर डिपो को नष्ट कर दिया था. पेंटागन ने दावा करते हुए कहा था कि इसका इस्तेमाल ईरान समर्थित उग्रवादियों द्वारा किया जा रहा था.

अमेरिकी दूतावास पर हमला
इराक की राजधानी बगदाद के हाई-सिक्योरिटी ग्रीन जोन में स्थित अमेरिकी दूतावास पर पिछले महीने 22 फरवरी को तीन रॉकेटों से हमला किया गया था. हालांकि दो रॉकेट ग्रीन जोन में न गिरकर आवासीय इलाकों में गिर गए और एक रॉकेट ग्रीन जोन में गिरा था. एक हफ्ते के भीतर इराक में पश्चिमी देशों के किसी ठिकाने पर ये तीसरा हमला है.

परमाणु समझौते पर अमेरिका-ईरान में तनाव

बता दें कि अमेरिका और ईरान के बीच लंबे समय से परमाणु समझौते को लेकर तनाव जारी है. अमेरिका के ट्रम्प प्रशासन ने साल 2018 में एकतरफा तरीके से अपने देश को परमाणु समझौते से अलग कर लिया था. इस समझौते में ईरान आर्थिक प्रतिबंधों में ढील देने के एवज में यूरेनियम संवर्धन को सीमित करने पर सहमत हुआ था.

अमेरिका ने जब कुछ प्रतिबंधों को दोबारा लागू किया और अन्य प्रतिबंध लगाए तो ईरान धीरे-धीरे एवं सार्वजनिक तरीके से समझौते में अपने परमाणु विकास के लिए निर्धारित सीमा का उल्लंघन करने लगा


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