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रॉकेट और क्रू कैप्सूल का था पहला उड़ान टेस्ट

Admin4
29 Aug 2022 12:57 PM GMT
रॉकेट और क्रू कैप्सूल का था पहला उड़ान टेस्ट
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न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला

इस मिशन से वैज्ञानिकों को ऑरियन क्रू कैप्सूल की क्षमता देखने को मिलेगी। स्पेसक्राफ्ट चंद्रमा तक जाएगा और कुछ छोटे उपग्रहों को कक्षा में छोड़कर खुद कक्षा में स्थापित हो जाएगा। इस मिशन के तहत नासा स्पेसक्राफ्ट को ऑपरेट करने की ट्रेनिंग हासिल करेगी।

अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के आर्टेमिस-1 की लॉन्चिंग फिलहाल टाल दी गई है। नासा ने ट्वीट किया कि आर्टेमिस-1 का लॉन्च आज नहीं हो रहा है, क्योंकि इसके इंजन में कुछ समस्या आ गई है। टीमें डेटा इकट्ठा कर रही हैं, ताकि इसे सुलझाया जा सके। हम आपको अगले लॉन्च प्रयास के समय पर पोस्ट करते रहेंगे। इसे फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से रवाना किया जाना था।

सोमवार को भारतीय समयानुसार शाम साढ़े छह बजे आर्टेमिस-1 के तहत नए स्पेस लॉन्च सिस्टम रॉकेट और ऑरियन क्रू कैप्सूल की पहली टेस्ट फ्लाइट होनी थी। 322 फुट (98 मीटर) लंबा रॉकेट नासा द्वारा बनाया गया अब तक का सबसे शक्तिशाली रॉकेट है। इस रॉकेट से करीब 42 दिनों के मिशन पर बिना चालक दल वाले ऑरियन स्पेसक्राफ्ट को लॉन्च करने की योजना थी।

इस मिशन से वैज्ञानिकों को ऑरियन क्रू कैप्सूल की क्षमता देखने को मिलेगी। स्पेसक्राफ्ट चंद्रमा तक जाएगा और कुछ छोटे उपग्रहों को कक्षा में छोड़कर खुद कक्षा में स्थापित हो जाएगा। इस मिशन के तहत नासा स्पेसक्राफ्ट को ऑपरेट करने की ट्रेनिंग हासिल करेगी। साथ ही चंद्रमा के आसपास के हालात की जांच करेगी, जिसका अनुभव अंतरिक्ष यात्रियों को मिलेगा और यात्रियों की पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी को सुनिश्चित करेगी।

लॉन्च से पहले गिरी बिजली, नुकसान नहीं

परीक्षण से पहले नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर में शनिवार को तेज आंधी के दौरान रॉकेट के पास स्थित लॉन्च पैड व 600 फुट के टावरों पर बिजली गिर गई। जांच के दौरान पांच बिजली के हमलों की पुष्टि की गई। हालांकि, आंधी से न तो रॉकेट और न ही कैप्सूल को कोई नुकसान हुआ है। नासा के वरिष्ठ परीक्षण निदेशक जेफ स्पाउल्डिंग ने कहा कि यह हमला इतना मजबूत नहीं था कि बड़े पैमाने पर पुन: परीक्षण की गारंटी दी जा सके। हम प्रक्षेपण के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।

42 दिनों तक चल सकता है मिशन

आर्टेमिस-1 मिशन में नासा की ओर से नया और सुपर हैवी रॉकेट का इस्तेमाल किया जाएगा और इसमें स्पेस लॉन्च सिस्टम लगाया गया है जिसे पहले कभी-भी इस्तेमाल नहीं किया गया है। अपोलो मिशन के कमांड सर्विस मॉडयूल के उलट ओरियन एमपीसीवी एक सौर-संचालित प्रणाली है। इसमें लगी विशिष्ट एक्स-विंग शैली की सौर सरणियों को मिशन के दौरान शटल पर दबाव को कम करने के लिए आगे या पीछे घुमाया जा सकता है। यह छह अंतरिक्ष यात्रियों को 21 दिनों तक स्पेस में ले जाने में सक्षम है। बिना चालक दल के भी आर्टेमिस-1 मिशन 42 दिनों तक चल सकता है।

10 छोटे उपग्रह भी होंगे स्थापित

अगर आर्टेमिस-1 सफलतापूर्वक पृथ्वी की कक्षा में पहुंच जाता है तो ये परियोजना के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। मिशन के दौरान ओरियन 10 छोटे उपग्रहों को भी अंतरिक्ष में स्थापित करेगा जिन्हें क्यूबसैट के नाम से जाना जाता है। इनमें से ही एक में खमीर होगा जो ये देखने के लिए होगा कि चांद पर माइक्रोग्रेविटी और विकिरण वातावरण सूक्ष्मजीवों के विकास को किस तरह से प्रभावित करते हैं। इस दौरान आइसक्यूब चांद की परिक्रमा करेगा और चांद पर बर्फ के भंडार की खोज करेगा और जिसका उपयोग भविष्य में चांद पर जाने वाले यात्री कर पाएंगे।

करीब 23 दिन अंतरिक्ष में बिताएगा

अंतरिक्ष यान को धीरे करने के लिए ओरियन अपने ऑनबोर्ड थ्रस्टर्स को फायर करेगा और चांद के गुरुत्वाकर्षण को इसे कक्षा में पकड़ने में मदद करेगा। इस चरण के दौरान ओरियन चांद से करीब 70 हजार किलोमीटर की यात्रा करेगा और पृथ्वी से अब तक की सबसे ज्यादा दूरी पर पहुंचेगा। इस दौरान अगर इसमें अंतरिक्ष यात्री होते तो उन्हें दूर से पृथ्वी और चांद का भव्य दृश्य दिखाई देता। ओरियन चांद की कक्षा में छह से 23 दिन बिताकर चांद की कक्षा से बाहर निकलने के लिए एक बार फिर अपने थ्रस्टर्स को फायर करेगा और खुद को पृथ्वी प्रक्षेपवक्र पर वापस लाएगा।

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