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मच्छर जनित बीमारी से कैलिफोर्निया में 2021 में पहली मौत

Neha Dani
11 July 2021 5:47 AM GMT
मच्छर जनित बीमारी से कैलिफोर्निया में 2021 में पहली मौत
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फालिज हो सकता है. वेस्ट नील वायरस कई फैक्टर जैसे तापमान, किसी क्षेत्र के मच्छर और पक्षियों की किस्मों से प्रभावित होता है.

कैलिफोर्निया के जन स्वास्थ्य विभाग (सीडीपीएच) ने वेस्ट नील वायरस के कारण 2021 में पहली मौत की पुष्टि की है. हालांकि, उसने ये नहीं बताया कि शख्स की कब मौत हुई और न ही अन्य जानकारियां दी. विभाग ने बताया, "ऐसा लगता है कि देश के बाहर ऐसे इलाके की यात्रा करते समय संक्रमित हुआ जहां वायरस से संक्रमित मच्छर स्थानीय हैं.

जन स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख टोमस जे अरागोन ने बताया कि खतरनाक वायरस के और मामले संक्रमित मच्छर के काटने से जानवरों और इंसानों में फैल सकते हैं. उन्होंने कहा, "वेस्ट नील वायरस की गतिविधि राज्य में बढ़ रही है, इसलिए मैं कैलिफोर्निया वासियों से हर संभव एहतियाती उपाय मच्छरों के खिलाफ उठाने का आग्रह करता हूं." सीडीपीएच के मुताबिक, गर्म तापमान से मच्छरों की संख्या में वृद्धि हो रही है और वायरस के इंसानों में फैलने का जोखिम बढ़ रहा है.
वेस्ट नील वायरस क्या है?
सेंटर फोर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक, अमेरिका में मच्छर जनित बीमारियों का प्राथमिक कारण वेस्ट नील वायरस है. ये ज्यादातर संक्रमित मच्छर के काटने से इंसानों में फैलता है. मच्छर के मौसम में वेस्ट नील वायरस के मामले बढ़ते हैं, जो गर्मी में शुरू होता है और पतझड़ तक रहता है. वेस्ट नील वायरस से गंभीर बीमारी का खतरा ज्यादातर लोगों को कम होता है, लेकिन एक फीसद से कम को गंभीर तंत्रिका संबंधी रोग जैसे इन्सेफेलाइटिस या मैनिंजाइटिस हो सकता है. इंसानों में वेस्ट नील वायरस का इलाज या रोकथान करने के लिए कोई वैक्सीन या दवा नहीं है.
किसे ज्यादा खतरा है?
सीडीसी के मुताबिक, वेस्ट नील वायरस से संक्रमित अधिकतर लोग बीमार नहीं पड़ते हैं. हर पांच में से एक संक्रमित शक्स को बुखार और अन्य लक्षण होते हैं. 50 साल या उससे ज्यादा उम्र के लोग और डाइटबिटीज या हाइपरटेंशन से पीड़ित को बीमार पड़ने की ज्यादा संभावना होती है और वेस्ट नील वायरस के संक्रमण से पेचीदगियां होने की अधिक जोखिम रहता है. गंभीर बीमारी से ठीक होने में हफ्तों या महीनों लग सकते हैं. केंद्रीय नर्वस सिस्टम पर कुछ प्रभाव देर तक हो सकता है.
वेस्ट नील वायरस के लक्षण
सीडीसी के मुताबिक, वायरस से संक्रमित ज्यादातर लोगों को लक्षण विकसित नहीं होता है. उसके कुछ अन्य लक्षणों में सिर दर्द, बदन दर्द, जोड़ का दर्द, डायरिया, चकत्ते शामिल हैं. जिन लोगों को ये लक्षण होता है, पूरी तरह ठीक हो जाते हैं लेकिन थकान का अनुभव देर तक हो सकता है. हालांकि, 150 लोगों में मात्र एक को गंभीर लक्षण होता है. गंभीर लक्षणों से पीड़ित लोगों को तेज बुखार, सिर दर्द, गर्दन में अकड़न, झटके, मांसपेशियों में कमजोरी, दृष्टि का जाना, फालिज हो सकता है. वेस्ट नील वायरस कई फैक्टर जैसे तापमान, किसी क्षेत्र के मच्छर और पक्षियों की किस्मों से प्रभावित होता है.



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