जंग के 37वें दिन यूक्रेन ने रूस में घुसकर पहली बार हवाई हमला कर उसका एक तेल डिपो उड़ा दिया। यूक्रेनी सीमा से महज 35 किमी दूर बेलगोरोद शहर में दो एमआई-24 हेलिकॉप्टरों ने यह सैन्य कार्रवाई की। इसमें दो लोगों के घायल होने की खबर है। वैसे रूस की धरती पर द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद यह पहला हवाई हमला है।
हमले के बाद बेलगोरोद क्षेत्र के गवर्नर व्याचेसलाव ग्लोदकोव ने बताया कि यूक्रेनी हेलिकॉप्टर कम ऊंचाई की उड़ान भरकर सीमा पार आए थे। इस कारण वे रडार की पकड़ में नहीं आए और उनका समय रहते पता नहीं चल सका। इनके जरिए दागी गईं एस-8 मिसाइलों ने शहर के तेल भंडार केंद्र को निशाना बनाया। इसके बाद डिपो में जबरदस्त आग लग गई।
इस घटना में किसी की जान नहीं गई, लेकिन आसपास की रिहायशी इमारतें जरूर खाली करा ली गई हैं। रूस का कहना है कि तेल डिपो के नष्ट होने से उसकी ऊर्जा आपूर्ति पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इस घटना के सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में हेलिकॉप्टर हमले का समय शुक्रवार सुबह 5 बजकर 43 मिनट बताया जा रहा है।
हमले के बाद डिपो में काफी देर तक ऊंची लपटें उठती रहीं। आसमान में काला धुआं फैल गया। आग लगने के बाद हेलिकॉप्टर बचकर निकलते हुए दिख रहे हैं। उधर, यूक्रेन ने अपनी ओर से अब तक ऐसे किसी हमले की सीधी जिम्मेदारी नहीं ली है।
विदेश मंत्री दमित्रो कुलेबा ने कहा कि वह ऐसी किसी घटना में यूक्रेन के शामिल होने की न तो पुष्टि करते हैं और न ही इनकार। यह सच है तो इस जंग में मिलेरोवो एयरबेस के बाद रूस में यूक्रेन का यह दूसरा बड़ा हमला होगा।
किसी भी प्रमुख शहर पर कब्जे में रूस नाकाम : जेलेंस्की
यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा कि रूस 37 दिन बाद भी उनके किसी प्रमुख बड़े शहर पर कब्जा करने में नाकाम रहा है। हालांकि, हमारे सामने चुनौतियां कम नहीं हैं। दक्षिण और डोनबास इलाके में हालात बेहद मुश्किल हैं।
शांति वार्ता खतरे में
क्रेमलिन प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव ने बताया कि हवाई हमले की जानकारी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को दे दी गई है। यह घटना यूक्रेन के साथ शांति वार्ता को खतरे में डाल सकती है।
यूरोपीय नेताओं संग बैठक में चीन ने खारिज किए रूस पर प्रतिबंध
चीन ने यूरोप के शीर्ष नेताओं से बातचीत में रूस पर लगाए गए पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों की आलोचना करते हुए इन्हें खारिज कर दिया। यही नहीं चीन ने यूक्रेन संकट के लिए आंशिक रूप से अमेरिका को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि रूस सीमा तक नाटो के विस्तार की इच्छा ने यह स्थिति पैदा की है। दूसरी ओर, यूरोपीय नेताओं ने चीन से यह आश्वासन मांगा कि वह प्रतिबंधों से बचने में मॉस्को की मदद नहीं करेगा। यूरोपीय यूनियन के 27 सदस्यों में से 21 नाटो के भी सदस्य हैं।